Tuesday 2 December 2014

भोजपुरी सिनेमा का पहला और दूसरा दौर

भोजपुरी सिनेमा का इतिहास वाकई बहुत ही दिलचस्प एवं सीख लेने वाला है। आज की तारीख में जो भी भोजपुरी सिनेमा से जुड़े हुए लोग हैं उन्हें सबक लेना चाहिए पहले और दूसरे दौर की फिल्मों से  तथा फिल्म के निर्माण करने वाले बुद्धिजीवियों से।

भोजपुरी सिनेमा का पहला दौर  श्याम / श्वेत (Black & White) फिल्मों का निर्माण : हमारा देश भारत वर्ष के स्वतंत्र होने के  के बाद हिन्दी फिल्मों निर्माण बहुत तेज़ी के साथ हो रहा था और उसे हर वर्ग के दर्शक पसंद कर रहे थे। हिन्दी सिनेमा का जिक्र करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि कई सुपर हिट फिल्मों जुड़े  लोग भोजपुरी भाषी थे। प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी  के कहने पर विश्वनाथ शाहाबादी ने उस समय सन 1962 में पहली भोजपुरी फिल्म "गंगा मईया तोहे पियरी चढईबो"  का  निर्माण किया। फिल्म की अपार सफलता के बाद से लागी नाही छूटे रामा (1963), बिदेसिया (1963), गंगा (1965), भौजी (1965), लोहा सिंह (1966), ढेर चलाकी जिनकरा (1971), डाकू रानी गंगा (1976), अमर सुहागिन (1978) इत्यादि प्रमुख श्याम-श्वेत भोजपुरी फिल्मों का निर्माण किया गया।

भोजपुरी सिनेमा का दूसरा  दौर  रंगीन (Colour) फिल्मों का निर्माण : सन १९७९ में पहली रंगीन भोजपुरी फिल्म "बलम परदेसिया" का प्रदर्शन हुआ। धरती मईया १९८१, चनवा के ताके चकोर १९८१, सईयाँ मगन पहलवानी में १९८१, सईयाँ तोरे कारन १९८१, नदिया के पार १९८२, हमार भौजी १९८३, बैरी कँगना १९८३, चुटकी भर सेनुर १९८३, गंगा किनारे मोरा गाँव १९८४, पान खाये सईयाँ हमार १९८४, पिया के गाँव १९८५, दूल्हा गंगा पार के १९८६, रूस गइलें सईयाँ हमार १९८८, माई १९८९,  आदि प्रदर्शित की गई। बिहारी बाबू, गोदना, पिया टूटे ना पिरितिया हमार, बलमा मोरा बाँका, बाबा के दुआरी, कसम गंगाजल के, कजरी, हमार बेटवा, कईसन बनाउला संसार, गंगा से नाता बा हमार, गंगा मईया भर द गोदिया हमार, धनिया मुनिया, रंगली चुनरिया रंग में तोहार, बबुनी, चंपा चमेली, हमार सजना, मुनिया, प्यारा भईया, गंगा तोरी ममता महान, जग जिया मोरे लाल इत्यादि दर्शकों के बीच आई। 


भोजपुरी फिल्म गंगा किनारे मोरा गाँव का एक गीत इस लिंक में - 










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