Tuesday 19 August 2014

श्री कृष्णजन्माष्टमी : भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्सव

द्वापर युग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन  आधी रात को भगवान श्री कृष्णजी का जन्म मथुरा के कारगार में हुआ था। इनकी माता - देवकीजी  तथा पिता - वसुदेवजी को मथुरा के राजा कंस ने कैदी बना लिया था। भगवान विष्णुजी ने कंस के अत्याचार को समाप्त करने तथा भक्तों को मोक्ष प्रदान करने के लिए कृष्ण अवतार लिया था। इस पावन दिन को श्री कृष्णजन्माष्टमी पर्व के नाम से धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण जी का भजन देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिये -

जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी श्रद्धा, आस्था व हर्षोल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मथुरा नगरी कृष्ण भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। सम्पूर्ण  मथुरा कृष्णमय हो जाता है। श्रीकृष्ण की झाँकी सजाना, झूला झुलाना, व्रत, पूजन उत्सव, प्रसाद बाँटना, भजन गान के साथ ही साथ रासलीला का भी आयोजन किया जाता है।  भगवान श्रीकृष्ण  की मोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु जन्माष्टमी के दिन मथुरा पहुँचते हैं। मोहन मुरारी के अलग अलग रूप में मूर्ति देखकर भक्तगण आनंदित हो जाते हैं। राधा-कृष्ण की मोहिनी छवि देखते हुए श्रद्धालु बरबस ही भावविभोर हो जाते हैं। योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं।

श्रीकृष्ण जी का जन्म तथा मथुरा से गोकुल पहुँचाने का वीडियो देखने के लिए  इस लिंक पर क्लिक कीजिये -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/e38us8m21f8/%2527Krishna-Janmashtami%2527---Unforgettable-part-of-great-epic-%2522The-Mahabharata%2522.avi
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Saturday 9 August 2014

अंत भारतीय कॉमिक जगत के एक युग का : कार्टूनिस्ट "प्राण" अब नहीं रहे


हमारे बचपन के सुनहरे क्षणों के साथी "चाचा चौधरी" बिल्लू, पिंकी, जैसे कॉमिक्स और हमें अपनी मनोरंजक कहानियों एवं चित्रों के जरिये गुदगुदानेवाले ''प्राण '' जी की मृत्यु की समाचार बहुत ही दुखभरा है। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट 'प्राण' का बुधवार (6 अगस्त) को 75 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके  निधन से कॉमिक जगत को अपूरणीय क्षति हुयी है। 
प्राण साहब कॉमिक्स जगत के एक जीते जागते लीजेंड थे, जिनके बनाये हर पात्र को आज भी याद किया जाता है। उन दिनों कॉमिक्स में कवर के दूसरे हिस्से में एक तस्वीर छपी रहती थी। जो हँसते मुस्कुराते कार्टूनिस्ट ‘प्राण‘ साहब की होती थी। जिन्हें देखने की आदत सी हो गई थी। प्राण साहब के सरल चित्रों ने कॉमिक्स प्रेमियों को दीवाना बना दिया था। उनकी कहानियों में  खालिस मनोरंजन होता था। चाहे वह नटखट बच्ची ‘पिंकी ‘ के रूप में हो, या शैतान बच्चे ‘बिल्लू' के रूप में, जिसकी आँखे उसके घने बालो से हमेशा ढंकी रहती थी या आम आदमी की सामान्य समस्याओं से जूझता सीधा साधा चरित्र ‘रमण‘ जिसकी समस्याए ‘महंगाई, बीवी की फरमाईश, बाजार का चक्कर, बिजली राशन का बिल आदि थी। जिसे बेहद हल्के फुल्के ढंग से प्रस्तुत किया जाता था। ‘प्राण’ जी का पूरा नाम प्राण कुमार शर्मा है। प्राण साहब का जन्म 15 अगस्त,1938 को कसूर नामक कस्बे में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। जिस समय हमारे यहाँ विदेशी नायको की भरमार हवा करती थी।  उस समय प्राण जी ने शुद्ध देसी चरित्रों की रचना की ,जिन्हें आम जनमानस में खूब पसंद किया गया। क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी सामान रूप से प्राण जी द्वारा बनाए गए चरित्र ‘चाचा चौधरी ‘ के दीवाने थे। उस दौर में रहनेवाला शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसने चाचा चौधरी का नाम न सुना हो।
कॉमिक्स जगत के सबसे बुजुर्ग एवं समझदार अक्लमंद चरित्र 'चाचा चौधरी', ये उस दौर में आये थे जब कम्प्यूटर सबसे तेज हुवा करता था। किन्तु इनके आने से ये भ्रम टूट गया के कम्प्यूटर सबसे तेज है क्योकि 'चाचा चौधरी ' का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है। एकदम सीधी साधी सरल कहानिया, शुद्ध भारतीय परिवेश के चाचा चौधरी के जन्मदाता थे 'प्राण' साहब। जिन्होंने चाचा चौधरी की शुरुवात बतौर स्ट्रिप्स साप्ताहिक पत्रिका 'लोटपोट ' से की। सर्वप्रथम चाचा जी लोटपोट में नजर आये ,कुछ समय बाद वे अलग से कॉमिक्स जगत में एक सोलो चरित्र के रूप में उभरे और बहुत पसंद किये गए। सामान्य व्यक्ति की आम जिन्दगी में आती आम समस्याओं से चाचा जी तो बखुबी निपटते ही थे। किन्तु राका जैसे फैंटसी किरदार को भी बखुबी संभाल लेते थे। डायमंड कॉमिक्स की पहचान बन गए थे चाचा चौधरी यदि आज भी डायमंड में से चाचा चौधरी को निकाल दिया जाए तो लोग डायमंड क्या है ये शायद जान पाए। चाचा जी का साथ निभाते थे जुपिटर गृह से आया भीमकाय व्यक्ति साबू। जिसने चाची जी उर्फ़ बिनी के हाथो के बने 'परांठे ' खाए तो धरती का ही होकर रह गया। साबू के बारे में प्रसिद्ध था कि  'जब साबू को गुस्सा आता है तब कही ज्वालामुखी फूटता है।

भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल और लोकप्रिय रचयिता कार्टूनिस्ट प्राण ने सन 1960 से कार्टून बनाने की शुरुआत की। अमरीका के इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ कार्टून आर्ट में उनकी बनाई कार्टून स्ट्रिप ‘चाचा चौधरी’ को स्थाई रूप से रखा गया है. सन 1983 में देश की एकता को लेकर उनके द्वारा बनाई गयी कॉमिक ‘रमन- हम एक हैं’ का विमोचन तत्कालीन प्रधान मन्त्री स्व. इन्दिरा गांधी ने किया था. ( उपरोक्त पंक्तिया ,चाचा चौधरी की हर कॉमिक्स के सम्पादकीय पन्ने पर छपी रहती थी )बहुत कम लोग जानते है के ‘चम्पक ‘ पत्रिका का नन्हा खरगोश ‘चीकू’ भी प्राण सर जी का निर्माण था ! चीकू वर्षो तक चम्पक में निरंतर प्रकाशित होता रहा, एक या दो पेज की कहानी में चीकू की बुद्धिमानी एवं सुझबुझ बच्चो को सिख दे जाती थी। बाद में प्राण जी ने चीकू पर काम करना बंद किया क्योकि वे ‘चम्पक ‘ से अलग हो चुके थे। उसके बाद से ‘चीकू ‘ को ‘दास ‘ जी बनाने लगे।  यह सन1980 की बात है। उन्होंने लगातार कई पात्रो का सृजन किया जो कही न कही हमारे समाज से ही उठाये गए थे।  और वे भी उन्ही परेशानियों से जूझते थे जिससे आम आदमी दो चार होता था। इसी कारण से इन पात्रो की लोकप्रियता आज भी कायम है ,बिल्लू, पिन्की, तोषी, रमण ,श्रीमतीजी ,गब्दू, बजरंगी पहलवान, चाचा चौधरी ,साबू ,जोजी, ताऊजी, आदि तमाम पात्र जनमानस में सालों से बसे हुए हैं। 
हमारे बचपन और हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके प्राण साहब अब नहीं रहे। यह खबर हर कॉमिक्स फैन के लिए दुखदायी है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। उनकी कमी हमेशा बनी रहेगी। इनके साथ ही भारतीय कॉमिक जगत के एक युग का अंत हो गया मगर प्राण साहब अपने बनाये पात्रो के माध्यम से सदैव हम सभी के हृदय में बसे रहेंगे। 

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Saturday 2 August 2014

नाग पंचमी तिथि पर जलार्पण के लिए कांवरियों में रहा उत्साह

शाम पांच बजे 40 हजार भक्तों ने किया जलार्पण:-  श्रावणी मेले के 20वें दिन शाम पांच बजे तक 40 हजार भक्तों ने जलार्पण किया. शुक्रवार को नाग पंचमी तिथि होने के कारण भी श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा गया. हालांकि अन्य दिन की अपेक्षा भीड़ में कुछ कमी देखी गयी. दोपहर दो बजे के बाद कांवरियों की कतार बीएड कॉलेज परिसर तक सिमट गयी थी. पंचमी तिथि पर अहले सुबह पूजारी विनोद झा ने बाबा की विधिवत पूजा की. उसके उपरांत वीवीआइपी के लिए पट खोल दिया गयी. इस श्रेणी में एक भी वीवीआइपी सरकारी पूजा में जलार्पण के लिए शामिल होने नहीं पहुंचे. जबकी बीते वर्ष इस शुभ दिन में कई वीवीआइपी ने कामना लिंग पर जलार्पण किया था. इधर, स्थानीय लोग भी जलार्पण के लिए बाबा दरबार पहुंचे. 

बाबा को सउदी अरब के श्रद्धालु ने भी दिया दान:-  बाबा मंदिर में श्रावणी मेले के दौरान अब तक 14 लाख कांवरिये देवघर पहुंच कर जलार्पण कर चुके हैं. इन कांवरियों ने जो बाबा को दान दिया वह तो अलग आमदनी मंदिर को हुई है. लेकिन इस बार दान देने वालों की सूचना वेबसाइट पर पहली बार सार्वजनिक की गयी है. जिससे दानदाताओं के बीच अच्छा मैसेज गया है. दानदाताओं को अब बाबा मंदिर की वेबसाइट से ही पता चल जा रहा है कि उनके द्वारा दान दी गयी राशि मंदिर के अकाउंट में चली गयी. क्योंकि वेबसाइट पर दानदाताओं के नाम और जो लोग गुप्त दान देते हैं उनकी प्राप्ति रसीद नंबर अंकित रहती है. अब तो भारत से बाहर यानी साउदी अरब से भी बाबा को दान मिलने लगा है. सउदी अरब के एक श्रद्धालु शिवकांत झा ने 5000 रुपये  दान दिया है. 
देवघर डीसी अमीत कुमार मंदिर प्रबंधन को निर्देश दिया है कि जो भी दान बाबा मंदिर को प्राप्त हो रहा है, उसकी सूचना 24 घंटे के अंदर वेबसाइट पर दर्ज की जाये. ताकि सूचना आॅनलाइन रहे. तब से सूचनाएं सार्वजनिक होने लगी है.
31 श्रद्धालुओं की सूचना आॅनलाइन :  इस बार श्रावणी मेले में अब तक 4.89 लाख रुपये दान प्राप्त हुए हैं. सभी 31 श्रद्धालुओं की सूचना वेबसाइट पर आॅनलाइन कर दी गयी है. उक्त दान की राशि में कुछ मंदिर कार्यालय में दान देकर रसीद प्राप्त किये गये हैं. वहीं अधिक दान आॅनलाइन डोनरों ने भेजा है. यह राशि चेक, ड्राफ्ट या कैश प्राप्त हुए हैं. सबों को प्राप्ति रसीद दी गयी है. अब तक कुल 31 शिवभक्तों ने बाबा को आॅनलाइन दान दिया है. अलीपुर द्वार बम के नाम से एक श्रद्धालु ने बाबा को 2.52 ग्राम सोने का त्रिशूल और बंडी दान किया है. अब तक सबसे अधिक दान जिस शिवभक्त ने दिया है उनमें देवानंद झा शामिल हैं. जिन्होंने मंदिर को एक लाख एक रुपये आॅनलाइन दान दिया. 
कहां-कहां के श्रद्धालुओं ने दिया है दान: रियाद सउदी अरब, दिल्ली, छत्तीसगढ़(रायपुर, कोरबा, दुर्ग, पिथौड़ा), सिलीगुड़ी, झरझर-हरियाणा, गुवाहाटी-असम, नागपुर(महाराष्ट्र), बहरमपुर(पश्चिम बंगाल), रोहतास, छपरा (बिहार) सहित अन्य स्टेट के श्रद्धालु शामिल हैं.

भोलेबाबा  भक्ति गीत देखने के लिए लॉगिन कीजिये www.bhojpurinama.com