Friday 27 March 2015

चैत्र रामनवमी की महिमा

भारतीय संस्कृति को दुनिया भर बहुत महत्व दिया जाता है। ऐसा ही एक पर्व चैत्र नवरात्रि के दिनों में मनाया जाता है, जिसे 'रामनवमी' के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म में राम का नाम बहुत महत्त्व रखता है। राम सदाचार के प्रतीक हैं और "मर्यादा पुरूषोत्तम राम" के नाम की महिमा जग विख्यात हैं। रामनवमी को राम के जन्‍मदिन की स्‍मृति में मनाया जाता है। राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।रामनवमी के मौके पर भारत ही क्या विदेशों के मंदिरों में भी शोभा देखते ही बनती है। ऐसा लगता है पूरी दुनिया श्री राम की भक्ति में डूबी हुई है।


राम नवमी भजन देखिये इस लिंक में -
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पुरूषोतम भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को दोपहर 12 बजे पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में कौशल्या की कोख से हुआ था। यह दिन भारतीय जीवन में पुण्य पर्व माना जाता हैं। इस दिन सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं।



रामनवमी का महत्व :-
त्रेता युग में अत्याचारी रावन के अत्याचारो से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था । साधू संतो का जीना मुश्किल हो गया था । अत्याचारी रावण ने अपने प्रताप से नव ग्रहों और काल को भी बंदी बना लिया था । कोई भी देव या मानव रावण का अंत नहीं कर पा रहा था । तब पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने राम के रूप में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया । यानि भगवान श्री राम भगवान विष्णु के ही अवतार थे।
भगवान विष्णु ने असुरों का संहार करने के लिए राम रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। ‍तभी से लेकर आज तक मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव तो धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारा जाता।
अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग कर चौदह वर्षों के लिए वन चले गए। उन्होंने अपने जीवन में धर्म की रक्षा करते हुए अपने हर वचन को पूर्ण किया। 

देखिये राम लला का भजन इस लिंक में - 
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भगवान विष्णु ने राम रूप में असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव तो धूमधाम से मनाया जाता है पर उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारा जाता। अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग 14 वर्ष के लिए वन चले गए और आज देखें तो वैभव की लालसा में ही पुत्र अपने माता-पिता का काल बन रहा है।
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Wednesday 25 March 2015

२३ मार्च : शहीद दिवस

आजाद हिन्दुस्तान में हम आज़ादी से अपने मन मुताबिक स्वच्छंद पंछी की असमान में उड़ सकते हैं. स्वतंत्रता पूर्वक हम अपने फैसले खुद ले सकते हैं. मगर जब हमार देश भारतवर्ष गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था तब हमारे देश के नागरिक को ब्रिटिश सरकार के अधीन जीवन यापन करना पड़ता था. 

शहीद  गीत देखिये इस लिंक को ओपन करके - http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/YUpMs5Ln1xQ/Watan-se-mohabat-23rd-March-1931-Shaheed-avi 

अग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद करवाने के लिए हमारे देश के सच्चे सपूतों ने अपने प्राण न्यौछावर करके, सीने पर गोली - बारूद झेलकर, हँसते - मुस्कुराते हुए एवं वन्दे मातरम् और इन्कलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए फाँसी के फन्दे पर झूलकर आज़ादी का बिगुल बजाया.

अये वतन देश भक्ति गीत देखिये इस लिंक में -
 http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/fWJxHviZMgg/Aye-Watan-Full-Song-Shaheed--23Rd-March-1931

२३ मार्च भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है. इस दिन बहुत ही कम उम्र के तीन अमर शहीदों को फाँसी की सजा देकर सदा सदा के भारत माता के गोद सुलाकर अमर शहीद बना दिया गया था. उन तीन महान देश भक्त भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने क्रूर अंग्रेजी हुकूमत के सामने सीना तानकर हँसते हुए आजाद भारत सपना सजोये हुए फांसी के फन्दे पर झूल गए थे.
देश के सभी अमर वीर शहीदों को शत शत नमन !!

शहीद दिवस और देशभक्ति के वीडियो देखने के लिए लॉगिन कीजिये -
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Sunday 22 March 2015

नवरात्रि से मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष

नवरात्रि से मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष : हमारे देश भारत में अंग्रेजी महीना मार्च तथा हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार चैत्र  महीना से नवर्ष आरम्भ होता है। इस साल विक्रम संवत २०७२  नववर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। 
विदित है कि जिस तरह से अग्रेजी महीना का दिसंबर का अंतिम रात  ३१ तारीख को थर्टी फर्स्ट फेस्टवल और पहिला महीना का १ जनवरीको हैप्पी न्यू ईयर के रूप में मनाया जाता है। उसी प्रकार हिंदी महीना के अंतिम माह फाल्गुन की  अंतिम रात को होलिका दहन और चैत्र महीने के प्रथम दिन की सुबह से ही रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है। 
विक्रम संवत के अनुसार हिन्दू नवर्ष पर्व चैत्र  माह के द्वितीय पक्ष शुक्ल पक्ष में माता जी के नौ रूप की पूजा के साथ मनाया जाता है। 
 नवरात्रि  चैत्र  माह के अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन से नवरात्रि आरम्भ हो जाती है। हिन्दू वर्ष के प्रथम महीने का पहला त्यौहार "वासन्तिक नवरात्रि पर्व" के रूप  में नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस  दौरान आदिशक्ति माता जगदम्बा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक शुद्ध एवं पवित्र दिवस माने गए हैं।                          

माँ अम्बे का भजन देखने के लिए यह लिंक क्लिक करें- 
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नवरात्रि पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है – हिन्दू वर्ष के आरम्भ में अर्थात चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस वासन्तिक नवरात्रि आते हैं जबकि शीत ऋतु बीत चुकी होती है और ग्रीष्म ऋतु आरम्भ होने वाली होती है। प्रचलित अंग्रेजी कैलेन्डर के अनुसार ये समय साधारणतः मार्च-अप्रैल के महीनों के दौरान आता है।

माता जी का भजन देखें इस लिंक में -

दूसरे नवरात्रि जिन्हें शारदीय नवरात्रि  के नाम से जाना जाता है। वर्षा ऋतु बीत जाने के बाद तथा शीत ऋतु के आगमन से पहले अश्विन माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन से मनाए जाते हैं। अंग्रेजी कैलेन्डर के अनुसार सितम्बर-अक्तूबर के दौरान शारदीय नावरात्रि का पर्व मनाया जाता है। वासन्तिक नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति माता दुर्गा  के उन नौ रूपों का भी पूजन किया जाता है जिन्होंने सृष्टि के आरम्भ से लेकर अभी तक इस पृथ्वी लोक पर विभिन्न लीलाएँ की थीं। माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। वासन्तिक नवरात्रि के इन्हीं नौ दिनों पर मां दुर्गा के जिन नौ रूपों का पूजन किया जाता है वे क्रमशः इस प्रकार हैं – पहला - शैलपुत्री, दूसरा - ब्रह्माचारिणी, तीसरा - चन्द्रघन्टा, चौथा - कूष्माण्डा, पाँचवा - स्कन्द माता, छठा - कात्यायिनी, सातवाँ - कालरात्रि, आठवाँ - महागौरी, नौवां - सिद्धिदात्री।

माँ दुर्गा भवानी की  महिमा देखिए इस लिंक क्लिक करके -

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Tuesday 17 March 2015

फगुआ और होली के साथ ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत

फगुआ और होली  के साथ ही  हिन्दू नव वर्ष की आरंम्भ होता है. भारतवर्ष को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है, क्योंकि हमारे भारत देश में हर ख़ुशी के लम्हों को त्यौहारों से जोड़कर मनाया जाता है। भारत देश की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ सभी धर्मों के लोग "सर्व धर्म समभाव'' की सदभावना के साथ रहते हैं। इसीलिए यह नारा लगाया जाता है – ‘’हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, आपस में हैं भाई भाई’’। हिन्दू धर्मं में जो महत्व ‘होली’ का है वही महत्व इस्लाम में ‘ईद’ का, सिक्ख में बैशाखी का तथा ईसाई में ‘क्रिसमस’ का है।


फाल्गुन मास की शुरुआत बसंत ऋतु के रूप में होती है। बसंत के स्वागत में प्रकृति का कण-कण खिलने लगा है। पेड़-पौधों-फूलों पर बहार, खेतों में सरसों का चमकता सोना, गेहूं की सुडौल बालियां, आम के पेड़ों पर लदे बौर ऋतुराज के अभिनंदन में नत मस्तक हो रहे हैं। मौसम सुहाना हो गया है। न अधिक गर्मी है न अधिक ठंड। पूरे वर्ष को जिन छः ऋतुओं में बांटा गया है, उनमें बसंत मनभावन मौसम है।
फाल्गुन माह की अंतिम रात (पूर्णिमा) पूनम की रात को होली जलाकर ख़ुशी मनायी जाती है। साल की आखिरी रात होती है। सुबह नयी ताज़गी  साथ चैत्र महीने का पहिला दिन नववर्ष का आरम्भ होता है जिसे रंग गुलाल के साथ लोगो से गले मिलकर  होली के रूप में मनाया जाता है।





इस माह में चैता का विशेष महत्त्व है देखिये इस लिंक में - 

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नववर्ष की शुरुआत का महत्व :- 

कोयल की कुंतर पुकार
बाग-बगीचों में बौराए हैं आम।
हर घर में सजी है गुड़ी 
नववर्ष की आई है सुहानी घड़ी।।
हिन्दी नववर्ष को भारत के प्रांतों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार मनाया जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण तिथियां मार्च और अप्रैल के महीनों में आती हैं। इस नववर्ष को प्रत्येक प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। फिर भी पूरा देश चैत्र माह में ही नववर्ष मनाता है और इसे नवसंवत्सर के रूप में जाना जाता है।


गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी, नवरेह, चेटीचंड, उगाड़ी, चित्रेय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नवसंवत्सर के आसपास आती हैं। इसी दिन से सतयुग की शुरुआत मानी जाती है।


चैता गीत को देखें व सुनने के लिए  को क्लिक किजिए -

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Tuesday 10 March 2015

होली : भारत के अलावा विदेशों में धूमधाम से मनायी जाती है

होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है। होली के रंगों से हर किसी के जीवन में खुशहाली का रंग भर देते हैं. हम सभी भेदभाव भूलकर प्रेम भाव से भाईचारे का धर्म निभाते हुए  दूसरे को रंग लगाकर प्यार से  मिलकर दिल से दिल मिलते हैं. हम भारतवासी सभी प्रमुख त्यौहार के हर पल का आनन्द जी भरके उठाते हैं। हिंदी का  पहिले महीने के पहले ही दिन से ही शुरू हो जाता है त्यौहार एवं पर्व जिसे हम होली के त्यौहार के रूप में रंग, गुलाल और अबीर के साथ से एक दूसरे से गले मिलकर मनाते हैं। साल का अंतिम महीना फाल्गुन की अंतिम रात को होलिका दहन किया जाता है सुबह सबेरे से शुरू हो जाता है होली का हुड़दंग और होली  मिलन। होली का यह त्यौहार भारत देश के अलावा विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। 

होली का हुड़दंग देखिये इस लिंक में -
http://www.bhojpurinama.com/video/item-song-holi-hai-from-bhojpuri-movie-zilla-chhapra



अमेरिका -  इस देश में होबो नाम से मस्ती वाला त्यौहार मनाया जाता है। अमेरिका में इस दिन ऊंटपटांग अतरंगी कपड़े पहनकर लोग बेहूदगी किया करते हैं। जो ज्यादा बेहूदगी करता है उसे पुरस्कृति किया जाता है। 




मारीशस -  यहाँ 60% भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं। अफ़्रीकी महाद्वीप में बसे इस देश  में पूरी तरह से भारतीय परम्परा के अनुसार होली का त्यौहार मनाया जाता है। 15 दिन पहले से ही होली की तैयारी शुरू हो जाती है। होलिका दहन करने के दूसरे दिन धूमधाम से रंग गुलाल के साथ होली मनायी जाती है।

 
रूस - इस देश में भी भारतीय होली के समान मनाया जाता है। एक दूसरे को अबीरगुलाल लगाके गले मिलते हैं।


इटली - अन्न की देवी फ़्लोरा को प्रसन्न करने के लिए मई महीने में पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर आतिशबाज़ी के साथ ऊंचे स्थान पर लकड़ियाँ एकत्र करके जलाते हैं और नाच गाकर खुशियाँ मनाते हैं। 


 इंग्लैंड - यहाँ गाइ फॉक्स डे के रूप में 5 नवम्बर को फॉक्स का पुतला जलाकर हर्षोल्लास के साथ होली पर्व मनाया जाता है।

भोजपुरी मेगा स्टार मनोज तिवारी और भोजपुरी सुपर स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ का एक साथ होली गीत देखिये -http://www.bhojpurinama.com/video/dinesh-lal-yadav-manoj-tiwari-enjoying-holi-song






श्रीलंका - भारत देश की तरह श्रीलंका में होली का त्यौहार मनाया जाता है। अबीर, गुलाल, रंग तथा पिचकारी की दुकानें सजायी जाती है। लोग भेदभाव मिटाकर एक दूसरे से मिलते हैं।

जर्मनी - इस दिन लड़के-लड़कियाँ  जर्मनी देश के ओल्डबर्ग शहर में घास-फूस का पुतला बनाकर जलाते हैं। आग के समाप्त होते ही अपने से बड़े लोगों के कपड़ों पर धब्बा लगाते हैं और एक दूसरे को मुँह चिढ़ाते हैं।


म्यांमार - भारत का पड़ोसी देश बर्मा (म्यांमार) में होली का पर्व को तिजान के नाम से मनाया जाता है। बड़े-बड़े ड्रम में पानी भरकर रंग सुगन्ध मिलाकर एक दूसरे पर डालकर मनाते हैं।

अफ्रीका - होली के त्यौहार को अफ्रीका में ओगेवा बोगा के नाम  से मनाया जाता है। प्रिन बोगा नाम के जंगली देवता का पुतला जलाकर ख़ुशी मनाते हैं।


चेक गणराज्य -  इस देश में होली से मिलते जुलते त्यौहार को वेलियाकोनसि कहते हैं। भारत की तरह यहाँ भी होली मनायी जाती है।यूरोप में स्थिति चेकोस्लोवाकिया नाम का यह देश इस समय चेक गणराज्य तथा स्लोवाकिया गणराज्य नामक दो भागों में बँट गया है।

 देखिये इस लिंक में भगवान शिवजी का पार्वती जी से भांग की मांग -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/zwyzLs3DT5c/GANESH%2BKE%2BPAPA.mp4


स्वीडन - होली से मिलते जुलते त्यौहार को यहाँ सेन्ट जॉन की पावन तिथि के रूप में मनाते हैं। इस दिन शाम के समय पर्वतों पर आग लगाकर पटाखें फोड़ते हैं और रंगों से खेलते हैं।


फ्रांस - यहाँ पर होली का त्यौहार गाचो के नाम से मनाया जाता है। घास का पुतला जलाकर रंग उड़ाते हुए लोग मौज मस्ती करते हैं।  


चीन - इस त्यौहार को चीनी भाषा में चैजे का नाम दिया गया है। लकड़ियाँ जलाने के बाद रंग गुलाल एक दूसरे पर डालते हैं। उसके बाद रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर एक दूसरे को लोग शुभकामनाएं देते हैं। 


पोलैंड - इस देश में आरशिना के नाम से होली का पर्व मनाया जाता है। सामूहिक रूप से फूलों से बनाये गये रंग को सभी पर डाला जता है।


बेल्जियम - यहाँ पर होली पर्व की तरह का उत्सव पुराने जूतों को जलाकर मनाया जाता है। जो इस उत्सव में नहीं शामिल नहीं होते है उनके मुँह को रंगकर एवं गधे पर बैठाकर जुलूस निकलते हैं और खूब हँसी-मजाक किया जाता है।

भोजपुरी होली गीत देखिये इस लिंक में -http://www.bhojpurinama.com/video/bhar-ke-pichkari-me-ragawa-lado-madhesiya

यूनान - इस देश को ग्रीस भी कहा जाता है यहाँ यूनानी देवता टायनोसियस की पूजा बड़े धूमधाम से किया जाता है। आग जलाकर नाच गाना करते हुए खूब  मौज मस्ती की जाती है। 

होली, फगुआ गीत सुनने व देखने के लिए लॉगिन कीजिये -
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