Wednesday 31 December 2014

भोजपुरी सिनेमा के दूसरे दौर के अनछुए पहलू - भाग ४ : सन १९९० से २००० तक

भोजपुरी सिनेमा का दूसरा दौर में १९९० से २००० सन तक की भोजपुरी फिल्मों का उल्लेख और अनछुए पहलु पर चर्चा कर रहे हैं. यह दशक भोजपुरी फिल्मों के अनुकूल नहीं था. बहुत  सी फिल्मों का निर्माण हुआ मगर बहुत कम ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई. कुछ फिल्में ठीक से प्रदर्शित नहीं हो पायी.

एक नज़र सन १९९० से २००० तक की भोजपुरी फिल्मों पर :-
हमार बेटवा (१९९०) कलाकार  कुणाल सिंह, जमुना, बृजेश  त्रिपाठी, संजीवनी, मधु मिश्रा. निर्माता किशोर कुमार, निर्देशक अब्बास, संगीतकार चित्रगुप्त. माई (१९९१) कलाकार पदमा खन्ना, पंकज शर्मा, निर्माता रामबाबू यादव, निर्देशक राजकुमार शर्मा. उधार की बेटी (१९९१) कलाकार कुणाल सिंह, सोना, निर्देशक चन्द्र भूषण मणि (निर्देशक चन्द्र भूषण मणि की बतौर निर्देशक यह पहली भोजपुरी फिल्म थी). कजरी (१९९१) निर्देशक किरणकान्त वर्मा. हो जाई  द नैना चार (१९९२), राम जईसन भईया हमार (१९९३), कब अईहैं दूल्हा हमार (१९९३) कलाकार कुणाल सिंह, आँचल, विजय, निर्माता उदय शंकर, निर्देशक नवीन जोशी.


बैरी कँगना का सुपर हिट गीत देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/7nKgPwZd-EU/JHUMAKA-MORA-GADHI-DE-RE-SONARA-MPG

बैरी कँगना (१९९३) कलाकार कुणाल सिंह, मीरा माधुरी, राकेश पाण्डेय, ब्रज किशोर, गोपाल राय, निर्देशक निहाल सिंह. जुग जुग जिया मोरे लाल (१९९३) निर्माता दिलीप जयसवाल. लागल चुनरी में दाग (१९९४), चल सखी दूल्हा देखी (१९९४) कलाकार कुणाल सिंह, सुनैना, के के गोस्वामी, गोपाल राय, हरी शुक्ला, युनिश परवेज़, बीना राय, सत्येन कप्प्पू, रमेश आनंद, निर्माता विजय यादव, अरविन्द श्रीवास्तव, निर्देशक राजू सिंह, संगीतकार सुरेन्द्र कोहली, गीतकार अशोक घायल. ( के के गोस्वामी और अशोक घायल की पहली भोजपुरी फिल्म थी यह). बटोहिया (१९९५) राकेश पाण्डेय, मीरा माधुरी, बृजेश त्रिपाठी, निर्माता भरत सिंह, निर्देशक देवा. पलना में झूले ललना (१९९५) राकेश पाण्डेय, पदमा खन्ना, बृजेश त्रिपाठी, निर्माता अरविन्द गुप्ता, निर्देशक देवा. दूल्हा दुल्हन (१९९६) कलाकार कुणाल सिंह, शकीला माजिद, निर्माता टी पी वर्मा, निर्देशक नवीन जोशी.
घर अँगना (१९९६) कलाकार कुणाल सिंह, अभिषेक चड्ढा, आँचल. साथ हमार तोहार (१९९६) कलाकार कुणाल सिंह, निर्देशक अशोक चतुर्वेदी. महुआ (१९९६) कलाकार विजय राणा, मीरा माधुरी, निर्माता अनिल राणा,  निर्देशक आकाश योगी.  हे तुलसी मईया (१९९७) पदमा खन्ना, विजय खरे, निर्देशक पदमा खन्ना. झुमकी (१९९७). सात फेरे (१९९७) कलाकार कुणाल सिंह, सुनैना, दारा सिंह, निर्माता संजय जयसवाल, निर्देशक निर्देशक राजू सिंह. (दारा सिंह की पहली भोजपुरी फिल्म थी यह). नईहर की चुनरी (१९९७) कलाकार ललितेश झा, सुनैना, निर्देशक लालजी यादव. बैरी सजना (१९९८) कुणाल सिंह, मीरा माधुरी, निर्माता प्रहलाद दास गुप्ता, निर्देशक राजू सिंह. माई के लाल (१९९८) दीप श्रेष्ठ, आँचल, निर्माता दीप श्रेष्ठ, निर्देशक सुनील सिन्हा. पैजनिया (१९९८) निर्माता मोटू असलम, निर्देशक असलम शेख.

नोट : अब तक इतनी भोजपुरी फिल्मों का विवरण मिल सका है. कुछ फिल्मों पूरा विवरण नहीं मिल सका है. आप सबसे अनुरोध है कि आप सबके पास कोई जानकारी हो तो कृपया कमेन्ट में साँझा करें.

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Saturday 27 December 2014

भोजपुरी सिनेमा के दूसरे दौर के अनछुए पहलू भाग 3

भोजपुरी सिनेमा का दूसरा दौर जितना रोचक है उससे कहीं ज्यादा ज्ञानवर्धक भी है. आज हम चर्चा कर रहे हैं १९८० से १९९० तक भोजपुरी फिल्मों का सफ़र और उनके अनछुए पहलुओं पर.

भोजपुरी फिल्म गंगा किनारे मोरा गाँव का एक गीत इस लिंक में - 


फिल्म धरती मईया (१९८१) राकेश पाण्डेय, पदमा खन्ना, कुणाल सिंह, श्री गोपाल, गौरी खुराना आदि स्टारर निर्माता अशोक चन्द जैन तथा निर्देशक कमर नार्वी थे. संगीतकार थे चित्रगुप्त.

 सन १९८२ में राजश्री प्रोडक्शंन के बैनर तले केशव प्रसाद मिश्र  के उपन्यास 'कोहबर की शर्त' पर आधारित फिल्म 'नदिया के पार' प्रदर्शित गई।  जो  काफी सराही गयी और सफलता के कीर्तिमान भी रचा। फिल्म के लेखक व निर्देशक गोविन्द मुनीस थे। यह  फिल्म सभी तरह के लोगो को पसंद आई। इस फिल्म मुख्य कलाकार सचिन, साधना सिंह, इन्दर ठाकुर, मिताली, सविता बज़ाज़, शीला डेविड, लीला मिश्रा, सोनी राठौड़ थे।
फिल्म बसुरिया बाजे गंगा तीर (१९८३) राकेश पाण्डेय, प्रेमा नारायण, पदमा खन्ना, बृजेश त्रिपाठी तथा भूषण तिवारी. गंगा किनारे मोरा गाँव (१९८३) कुणाल सिंह, गौरी खुराना, निर्माता अशोक चन्द जैन, निर्देशक दिलीप बोस, संगीतकार चित्रगुप्त. यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा की ब्लाक बस्टर फिल्म थी. भोजपुरी को बहुत ऊँचा  मुकाम दिया था. बैरी सावन (१९८४) सुजीत कुमार, रजनी शर्मा, अरुण प्रभात तथा बृजेश त्रिपाठी. निर्माता राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, निर्देशक प्रेम सिंह, संगीतकार श्याम सागर थे. इस फिल्म से मशहूर गीतकार समीर को पहला ब्रेक मिला था. उनका एक गीत लिया गया था बाकी के गीत अन्जान ने लिखा था. गौरतलब हो कि संगीतकार चित्रगुप्त के सभी गीतों को अन्जान ने लिखा था.

देखिये इस लिंक में - आज भी सुपर हिट गीत कवने दिशा में लेके चला रे बटोहिया 
http://bhojpurinama.com/video/kaun-disa-mein-song-of-film-nadiya-ke-paar


दूल्हा गंगा पार के (१९८५) कुणाल सिंह, गौरी खुराना. निर्देशक राजकुमार शर्मा, निर्माता, गीतकार व संगीतकार लक्षमण शाहाबादी थे. यह फिल्म  भी बड़ी हिट थी. गंगा की बेटी (१९८५) सुरेन्द्र पाल, टीना घई, बृजेश त्रिपाठी आदि, निर्माता राम उदार झा, निर्देशक के डी सिंह, संगीतकार ओमकार थे. सजनवा बैरी भईले हमार (१९८६) मनोज वर्मा, दीपिका चिकलिया. निर्माता लाला दमानी, निर्देशक दिलीप बोस तथा संगीतकार चित्रगुप्त थे. पिया टूटे न पिरितिया हमार (१९८६) सुजीत कुमार, पदमा खन्ना, कुणाल सिंह, मनोज वर्मा, बंदिनी मिश्रा, बृजेश त्रिपाठी, बीना बाबा आदि, निर्माता राम उदार झा (जवाहर सिनेमा के मालिक) निर्देशक के डी सिंह, गीतकार समीर तथा संगीतकार ओमकार थे.
बिहारी बाबू (१९८७) शत्रुघ्न सिन्हा, कुणाल सिंह. निर्माता पवन कुमार, संगीतकार चित्रगुप्त थे. घर गृहस्थी (१`९८८) राकेश पाण्डेय, सुजीत कुमार, रेखा सहाय, बृजेश त्रिपाठी. निर्माता बाबू भाई, निर्देशक दिलीप बोस तथा संगीतकार चित्रगुप्त थे. इसी साल पिया की प्यारी एवं सेन्हुर का भी प्रदर्शन हुआ था.

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Tuesday 23 December 2014

भोजपुरी फिल्म अवार्ड 2014 का आँखों देखा बयान : भोजपुरी बोली नदारद

16 दिसंबर मंगलवार की शाम मुंबई के उपनगर अँधेरी (पश्चिम) वीरा देसाई रोड पर स्थित कंट्री क्लब में विनोद गुप्ता द्वारा ब्लॉक बस्टर भोजपुरी फिल्म अवार्ड - 2014 का आयोजन किया गया. कुछ बुलाये और हम जैसे कुछ बिन बुलाये अतिथि पहुंच गए थे. सबसे पहले अभिनेता सुरेन्द्र पाल ने भोजपुरी आवर्ड फंक्शन का संचालन हिंदी में किया. कार्यक्रम का शुरुआत भी श्री गणेश वंदना (मराठी-हिंदी) गीत से किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में कांग्रेस प्रवक्ता रशीद अल्वी, कांग्रेस के पूर्व सांसद संजय निरुपम, पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह, फिल्म निर्माता टी.पी अग्रवाल, अशोक पंडित आदि थे. खलनायक अवधेश मिश्रा का आगमन हिंदी सांग तेरा ही जलवा से हुआ और सुरेन्द्र पाल की जगह मंच संचालन का कार्यभार संभाला.
फिल्म जीना तेरी गली में को हर नॉमनी  में देख कर पूरा मामला फिक्स नजर आया. बिना नॉमनी  के बेस्ट एक्टर और एक्ट्रेस तथा  डायरेक्टर का अवार्ड देना सवालों  के घेरे में है...???
कुछ सवाल और भी उठाये जा रहे हैं, क्या मिल सकेगा इन सवालों का जवाब :-


* ज्युरी मेम्बर का नाम बताया जाय?
* कब और कितनी फिल्मों का नॉमिनेशन किया गया?
* जबकि हर साल 60 से 70 फिल्मों का निर्माण किया जाता है तो फिर कुछ गिनी चुनी फिल्मों तक ही क्यों सिमटा रहा यह भोजपुरी फ़िल्म अवार्ड?
* मापदंड क्या है नॉमिनेशन का ?

ब्लॉक बस्टर भोजपुरी फिल्म अवार्ड -2014 में कोई भी ब्लॉक बस्टर फिल्म शामिल ही नहीं थी.  इस साल की सबसे बड़ी फिल्म निरहुआ हिंदुस्तानी रही है दिनेश लाल यादव निरहुआ की तारीफ भी हुई फिर भी रवि किशन को अवार्ड...???  जबकि  इस साल रवि किशन की कोई फिल्म अच्छी नही चली एक औसत दर्जे तक रही. सूत्रों से मिली जानकारी  के अनुसार समारोह के आयोजक विनोद गुप्ता ने फूहड़ न्यूकमर अभिनेत्री को कहा कि आप तो फ़ोन रिसीव ही नही करती हो नही तो आप ही को प्रियंका पंडित के जगह अवार्ड दे देता.  इस मामले से पूरा आयोजन ही फिक्स नजर आता है.
दिनाँक 20.12.2014 की सुबह 7.21am को अभिनेत्री प्रियंका पंडित ने मधुप श्रीवास्तव के फेसबुक इनबॉक्स में मैसेज किया कि यह अवार्ड 2013 की  फिल्मों का था. जबकि आयोजक विनोद गुप्ता ने ना ही मिडिया को और ना ही फिल्म प्रचारको को यह बताया कि अवार्ड 2013 का है या  2014 का है तथा कब होगा और कहाँ होगा इसकी भी जानंकारी नहीं दी गई. 
नोट : इस अवार्ड समारोह में भोजपुरी फिल्म के सभी पी. आर. ओ. (फिल्म प्रचारक) को आमंत्रित नहीं किया गया. भोजपुरी फिल्म पत्रिका और भोजपुरी फिल्म संवाददाता को भी वंचित रखा गया जबकि किसी भी फिल्म के मुहूर्त से लेकर फिल्म के प्रदर्शन के बाद तक की सभी खबरें हर जगह पहुँचाने में फिल्म प्रचारक, फिल्म पत्रिका और संवाददाता की अहम भूमिका होती है.

1). बेस्ट पब्लिसिटी अवार्ड - नरसू (बिना नॉमनी घोषित किये हुए).

2). बेस्ट एक्शन - वेंकेट, फिल्म टाईगर ( शंकर वोहरा निर्मता के हाथ से)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
टाईगर
छपरा एक्सप्रेस
दूल्हे राजा
शेरनी
जीना तेरी गली में

3). बेस्ट एडिटर -कोमल वर्मा, फिल्म-बनारसवाली (सम्मान उमेश कोहली ने दिया)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
बनारसवाली
धुरंधर
टाईगर
जीना तेरी गली में
संसार

4).बेस्ट आर्ट डायरेक्शन - शकील शेख, फिल्म दबंग मोरा बलमा (अभिनेता बृजेश त्रिपाठी के हाथ से)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
फूहड़ सिनेमा
दूल्हे राजा
दबंग मोरा बलमा
साली बड़ी सतावेली
रखवाला

इसके बाद अभिनेत्री संगीता तिवारी और गायक व  अभिनेता राकेश मिश्रा का स्टेज प्रोग्राम ( गदरल जवानी मोरी बनारस के पान, आरा के पारा चढ़ल सीवान के पान ... आदि )

5). बेस्ट सिनेमोटोग्राफर - फ़िरोज़ खान, फिल्म- जीना तेरी गली में ( पूर्व सांसद संजय निरुपम के हाथ से)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
जीना तेरी गली में
टाईगर
प्यार झुकता नही
प्रेम दीवानी

6). बेस्ट Audioghraphy - अविनाश फिल्म- धुरंधर (फिल्म के डायरेक्टर दीपक तिवारी ने पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह के हाथ से लिया)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
बनारसवाली
धुरंधर
रखवाला
लक्ष्मण रेखा
छपरा एक्सप्रेस

7). बेस्ट स्टोरी- धर्मेन्द्र नाथ, फिल्म- लक्ष्मण रेखा (व्यवसाई राहुल कपूर के हाथ से)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
बनारसवाली
जीना तेरी गली में
लक्ष्मण रेखा
संसार
साली बड़ी सातवेली

8). बेस्ट स्क्रीनप्ले- असलम शेख, फिल्म रखवाला (उद्योगपति जय किशन के हाथ से)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
जीना तेरी गली में
रखवाला
संसार
लक्ष्मण रेखा
छपरा एक्सप्रेस

इसके बाद कॉमेडियन मनोज टाईगर का आगमन और अपने कॉमेडी से खूब गुदगुदाया.

9). बेस्ट डॉयलॉग्स- सुरेन्द्र मिश्रा (आरडीसी गुप्ता MTNL के हाथो)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
जीना तेरी गली में
रखवाला
संसार
धुरंधर
प्यार झुकता नहीं 

10).बेस्ट गीतकार - प्यारे लाल यादव कवि, फिल्म- संसार (निर्देशक रंजन कुमार सिंह के हाथों निर्माता शंकर रोहरा ने लिया)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
जीना तेरी गली में
संसार
प्रेम दीवानी
दूल्हे राजा
साली बड़ी सतावेली

11). बेस्ट आइटम डांसर- संवाभना सेठ, फिल्म -बनारसवाली (अभिनेत्री मधु शर्मा के हाथ से)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
छपरा एक्सप्रेस
रखवाला
बनारसवाली
प्यार झुकता नहीं 
टाईगर

12). बेस्ट म्यूजिक- राजकुमार आर पाण्डेय, फिल्म- जीना तेरी गली में ( संगीतकार रविन्द्र जैन के हाथों से)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
दूल्हे राजा
जीना तेरी गली में
प्रेम दीवानी
संसार
टाईगर

( इसके बाद अभिनेत्री कृशा खण्डेलवाल ने मज़ा ले ल तू सरक के पजरिया में और हिंदी गीत- तेरे जैसा दुनिया में कोई नही, जिन्हे यार मिले ते मर जावा जैसे गीतों पर परफॉर्म किया)

13). बेस्ट प्लेबैक सिंगर फीमेल- कल्पना, फिल्म- जीना तेरी गली में गीत - गाव गाव सखी मंगल गीत
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
जीना तेरी गली में
प्रेम दीवानी
दबंग मोरा बलमा
दूल्हे राजा
संसार

14). बेस्ट सिंगर मेल- उदित नारायण, फिल्म- दबंग मोरा बलमा (राजेन्द्र गवई के हाथों) दबंग मोरा बलमा  का नाम *नॉमनी में नही था*.
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
जीना तेरी गली में
साली बड़ी सतावेली
संसार
टाईगर
दूल्हे राजा

15). बेस्ट डांस मास्टर- कानू मुखर्जी,फिल्म- जीना तेरी गली में गीत- चंचल पुरवा ( संग्राम शिर्के के हाथों)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
जीना तेरी गली में
बनारसवाली
साली बड़ी सतावेली
टाईगर
दूल्हे राजा

16). बेस्ट न्यूकमर फीमेल- प्रियंका पंडित, फिल्म-जीना तेरी गली में
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
फूहड़ सिनेमा
जीना तेरी गली में
(अन्य क्लिप तकनीकी खराबी के कारण नहीं दिखाए गए)
17). बेस्ट न्यूकमर - राकेश मिश्रा, फिल्म- प्रेम दीवानी
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
बूटन
प्रेम दीवानी
(अन्य क्लिप तकनीकी खराबी के कारण नहीं दिखाए गए)

18). बेस्ट खलनायक- अवधेश मिश्रा, फिल्म दिलेर ( अभिनेता कुणाल सिंह के हाथों)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम)
संसार
छपरा एक्सप्रेस
जीना तेरी गली में
लक्ष्मण रेखा
दिलेर

( इसके बाद आइटम डांसर सम्भावना सेठ ने हिंदी गीत राम चाहे लीला चाहे और अन्य हिंदी भोजपुरी गीतों पर परफॉर्म किया) उसके बाद भोजपुरी फिल्म लतखोर का प्रोमो टेलीकास्ट किया गया)

19). बेस्ट सपोर्टिंग फीमेल- माया यादव, फिल्म- संसार ( मेडिकल फील्ड से जुड़े राजेश सिंह के हाथों)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
संसार
छपरा एक्सप्रेस
जीना तेरी गली में
बनारसवाली
जीना तेरी गली में

20). बेस्ट सपोर्टिंग मेल- कुणाल सिंह, फिल्म-संसार ( संपादक कुमार मोहन के हाथों)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
संसार
बूटन
प्रेम दीवानी
प्यार झुकता नहीं
रखवाला

21). बेस्ट कॉमेडी- मनोज टाईगर, फिल्म- टाईगर (आर सी गर्ग के हाथों)
नॉमनी .... (सिर्फ फिल्म का नाम) -
प्रेम दीवानी
टाईगर
दूल्हे राजा
दिलेर

(इसके बाद अभिनेता प्रदीप पाण्डेय ने कभी मिलने तो आओ, जरा के जवानी के अंगीठी, और अन्य गीतों पर परफार्म किया)

22). मुख्य अतिथि कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी, टी.पी अग्रवाल और अन्य अतिथि को बुला कर लक्ष्मण रेखा को बेस्ट समाजिक फिल्म का आवर्ड दिया गया.)
23). बेस्ट एक्ट्रेस- रानी चटर्जी, फिल्म- प्रेम दीवानी
नॉमनी
(कोई भी नॉमनी नही दिखाया गया)
24). बेस्ट एक्टर मेल- रवि किशन, फिल्म-धुरंधर
(कोई भी नॉमनी नही दिखाया गया)
25). बेस्ट निर्देशक- राजकुमार आर पाण्डेय, फिल्म- जीना तेरी गली में
(कोई भी नॉमनी नही दिखाया गया)
26). बेस्ट फिल्म- दूल्हे राजा ( अभय सिन्हा)
(कोई भी नॉमनी नही दिखाया गया)
(इसके बाद अभिनेत्री रानी चटर्जी ने ढोढ़ी मुनले रहनी पियरी माटी से और अन्य गीतों पर परफार्म किया)

27). ऑस्कर मूवी चैनल को अवार्ड दिया गया (रोनू मजमूदार के हाथों से)
(इसके बाद अभिनेता रवि किशन ने ये बुची, तमंचे पर डिस्को जैसे गानों पर परफार्म किया).
इति श्री.... साभार : मधुप श्रीवास्तव 


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Friday 19 December 2014

भोजपुरी के पितामह भिखारी ठाकुर जयंती

भोजपुरी के पितामह श्री भिखारी ठाकुर का जन्म १८ दिसम्बर १८८७  को बिहार के  सारन जिले के कुतुबपुर (दियारा) गाँव में हुआ था जो आज भी पिछड़ा इलाका है। आज के आधुनिक सुधाओं बावजूद भी इस गाँव में जाने के नाँव से नदी पार करके जाना पड़ता है। बूड़ा बाढ़ का प्रकोप आज भी सहन करता है कुतुबपुर गाँव। -भिखारी ठाकुर जी का देहावसान १० जुलाई सन १९७१ को हुआ था। भोजपुरी के समर्थ लोक भिखारी ठाकुर कलाकार, रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक, नारी विमर्श एवं दलित विमर्श के उद्घोषक, लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे। वे बहु आयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे भोजपुरी गीतों एवं नाटकों की रचना एवं अपने सामाजिक कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। वे एक महान लोक कलाकार थे जिन्हें 'भोजपुरी का शेक्शपीयर' कहा जाता है।
वे एक ही साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे। भिखारी ठाकुर की मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया।

भिखारी ठाकुर का बिदेसिया नाटक का देखिये पहला भाग -
http://bhojpurinama.com/trendsplay/dM_wIyvtb1w/Bidesia-Part1

भिखारी ठाकुर की जीवनी :-
भिखारी ठाकुर का जन्म १८ दिसम्बर १८८७ को बिहार के सारन जिले के कुतुबपुर (दियारा) गाँव में एक नाई परिवार में हुआ था। उनके पिताजी का नाम दल सिंगार ठाकुर व माताजी का नाम शिवकली देवी था।
वे जीविकोपार्जन के लिये गाँव छोड़कर खड़गपुर चले गये। वहाँ उन्होने काफी पैसा कमाया किन्तु वे अपने काम से संतुष्ट नहीं थे। रामलीला में उनका मन बस गया था। इसके बाद वे जगन्नाथ पुरी चले गये।
अपने गाँव आकर उन्होंने एक नृत्य मण्डली बनायी और रामलीला खेलने लगे। इसके साथ ही वे गाना गाते एवं सामाजिक कार्यों से भी जुड़े। इसके साथ ही उन्होने नाटक, गीत एवं पुस्तके लिखना भी आरम्भ कर दिया। उनकी पुस्तकों की भाषा बहुत सरल थी जिससे लोग बहुत आकृष्ट हुए। उनकी लिखी किताबें वाराणसी, हावड़ा एवं छपरा से प्रकाशित हुईं। १० जुलाई सन १९७१ को चौरासी वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

भिखारी ठाकुर का बिदेसिया नाटक का देखिये दूसरा  भाग -
http://bhojpurinama.com/trendsplay/dJwEkAtCSkY/Bidesia-Part-2

मुख्य कृतियाँ:-
लोकनाटक
बिदेसिया
भाई-बिरोध
बेटी-बियोग या बेटि-बेचवा
कलयुग प्रेम
गबर घिचोर
गंगा स्नान (अस्नान)
बिधवा-बिलाप
पुत्रबध
ननद-भौजाई
बहरा बहार,
कलियुग-प्रेम,
राधेश्याम-बहार,
बिरहा-बहार,
नक़ल भांड अ नेटुआ के। 
अन्य रचना :-
शिव विवाह, भजन कीर्तन: राम, रामलीला गान, भजन कीर्तन: कृष्ण, माता भक्ति, आरती, बुढशाला के बयाँ, चौवर्ण पदवी, नाइ बहार, शंका समाधान, विविध।

भिखारी ठाकुर का बिदेसिया नाटक का देखिये दूसरा  भाग -
http://bhojpurinama.com/trendsplay/1_A9O0u_Th0/Bidesia-Part-3

उनकी एक रचना का यहाँ उल्लेख :-
हँसि हँसि पनवा खियवले बेइमनवा, कि अपना बसे रे परदेस!
कोरी रे चुनरिया में दगिया लगाइ गइले, मारी रे करेजवा में तीर!!
हे ऽ ऽ ऽ ऽ दोहाई हऽ दोहाई हऽ
कजरी नजरिया से खेलइ रे बदरिया, कि बरसइ रकतवा के नीर!
दरदी के मारे छाइ जरदी चनरमा पे, गरदी मिली रे तकदीर!!
तकदीर दोहाई हऽ दोहाई हऽ
चढ़ते फगुनवा सगुनवा मनावइ गोरी, चइता करे रे उपवास!
गरमी बेसरमी ना बेनिया डोलाये माने, डारे सँइया गरवा में फाँस!!
हो हँसि हँसि पनवा खियवले बेइमनवा, कि अपना बसे रे परदेस!
कोरी रे चुनरिया में दगिया लगाइ गइले, मारी रे करेजवा में तीर!!

हँसि हँसि पनवा खियवले बेइमनवा... इस गीत को देखिये इस लिंक में -http://bhojpurinama.com/trendsplay/k20HGsWfxgY/Bhojpuri-Bidesiya-Hansi-hansi-panwa

ये गीत बिहार रत्न से सम्मानित स्वर्गीय भिखारी ठाकुर जी का लिखा हुआ है,जिसे मन्ना डे ने गाया है और इसे भोजपुरी फिल्म “विदेशिया” में लिया गया था। ये विरह का अमर गीत आजतक लोकप्रिय है। 

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Friday 12 December 2014

भोजपुरी सिनेमा के दूसरे दौर के अनछुए पहलू भाग २

भोजपुरी सिनेमा का दूसरा दौर स्वर्ण काल था। यह दौर सन १९७७  से सन २००० ई० इस समय कई भोजपुरी फिल्में ब्लॉक बस्टर सुपर हिट हुई थी। इतना ही नहीं यह वह दौर था जब हिंदी सिनेमा के कई मशहूर हस्तियों ने अपनी जबरदस्त मौजूदगी दर्ज़ करायी और आज भी उनका नाम बड़े गर्व से लिया जाता है।
अब आगे की घटनाक्रम पर हम प्रकाश डालते हैं। आइये हम जानते हैं कि कितनी महान और चर्चित हस्तियों ने भोजपुरी सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपना नाम व शोहरत भी कमाया। 

बायें से दायें संगीतकार नदीम - श्रवण 
१९७७ सजाई द मांग हमार सुजीत कुमार, पदमा खन्ना अभिनीत सरजू भाई निर्मित इस फिल्म के संगीतकार नदीम श्रवण हैं. इसी सन में एक म्यूजिकल हिट भोजपुरी फिल्म आई थी गंगा घाट, जिसके मुख्य कलाकार सुजीत कुमार और पदमा खन्ना थे. निर्देशन किया था राजपति राही ने. इस फिल्म के संगीतकार नदीम श्रवण ही थे. १९७९ राजपति राही के निर्देशन में प्रदर्शित  माई के लाल फिल्म के संगीतकार नदीम श्रवण थे और मुख्य भूमिका में सुजीत कुमार और प्रेमा नारायण थे.


http://bhojpurinama.com/video/chadhte-faagun-jiara-jari-gaile-re-song-of-bhojpuri-movie-balam-pardesia-


यह वह दौर था जब फिल्मों के साथ साथ गाने भी सुपर हिट होते थे. जहाँ नदीम श्रवण के संगीत बेहद पसंद किये जा रहे थे वहीं एक और संगीतकार चित्रगुप्त का भी नाम लोकप्रिय हो गया था.


बाएं से दाएं चित्रगुप्त और लता मंगेशकर 
संगीतकार चित्रगुप्त के संगीत निर्देशन में बहुत सी हिट फिल्मों का प्रदर्शन हुआ. कुछ प्रमुख फिल्मों का जिक्र किया जा रहा है. –

राकेश पाण्डेय, पदमा खन्ना अभिनीत फिल्म  रूस गईले सईया हमार (१९७९) निर्माता निर्देशक नज़ीर हुसैन थे और संगीतकार चित्रगुप्त थे. 








बृजेश त्रिपाठी 
तीसरे दौर के सुप्रसिद्ध और सबसे वरिष्ठ अभिनेता बृजेश त्रिपाठी की पहली भोजपुरी फिल्म सईया तोरे कारन का प्रदर्शन सन (१९७९) में  हुआ. राकेश पाण्डेय, पदमा खन्ना नायक नायिका थे और बृजेश त्रिपाठी ने गाँव का गुण्डा का किरदार निभाया था. निर्माता धनेश्वर सिंह तथा निर्देशक शर्मा जी थे. संगीत चित्रगुप्त का था. सन (१९८०) में निर्माता धनेश्वर सिंह तथा निर्देशक  शर्मा जी की फिल्म बिटिया भईल सयान प्रदर्शित हुई जिसके संगीतकार चित्रगुप्त थे और मुख्य भूमिका में राकेश पाण्डेय, पदमा खन्ना, सुजीत कुमार थे.  चनवा के ताके चकोर (१९८०) के मुख्य कलाकार राकेश पाण्डेय, पदमा खन्ना थे. निर्माता निर्देशक नज़ीर हुसैन और संगीतकार चित्रगुप्त थे.
सन (१९८१) में धरती मईया का प्रदर्शन हुआ. मुख्य कलाकार कुनाल सिंह, पदमा खन्ना, श्री गोपाल, गौरी खुराना तथा मेहमान भूमिका में राकेश पाण्डेय थे. इस फिल्म के निर्माता अशोक चन्द जैन और निर्माता कमर नार्वी थे. संगीत दिया था चित्रगुप्त ने. इस फिल्म के जरिये भोजपुरी सिनेमा के पहले सुपर स्टार  कुनाल सिंह ( यादव ) का आगमन हुआ था, जिन्होंने दो दशक (२० साल तक) अकेले सुपर स्टार का ख़िताब हासिल किया.



भोजपुरी फिल्म धरती मईया का गीत देखिये इस लिंक में - 







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Tuesday 9 December 2014

भोजपुरी सिनेमा के दूसरे दौर के अनछुए पहलू


 भोजपुरी सिनेमा का दूसरा दौर स्वर्ण काल था। यह दौर सन १९७७  से सन २००० ई० इस समय कई भोजपुरी फिल्में ब्लॉक बस्टर सुपर हिट हुई थी। इतना ही नहीं यह वह दौर था जब हिंदी सिनेमा के कई मशहूर हस्तियों ने अपनी जबरदस्त मौजूदगी दर्ज़ करायी और आज भी उनका नाम बड़े गर्व से लिया जाता है। मशहूर संगीतकार नदीम-श्रवण की हिट जोड़ी ने कई सुपर डुपर हिट फिल्मों का संगीत दिया। प्रसिद्द गीतकार समीर ने बतौर गीतकार अपना करियर भोजपुरी सिनेमा के गीत लेखन से किया। ऐसे ही और भी कई अनछुए पहलुओं पर आज हम चर्चा कर रहे हैं।


सन १९७७ में प्रदर्शित हुई भोजपुरी सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म  बलम परदेसिया का निर्माण निर्माता निर्देशक नज़ीर हुसैन ने किया।  निर्मात्री थीं मुमताज़ हुसैन। राकेश पाण्डेय और पदमा खन्ना केंद्रीय भूमिका में थे। राकेश पाण्डेय की यह पहली भोजपुरी फिल्म थी। मुख्य साथी कलाकार में नज़ीर हुसैन, लीला  और जयश्री टी आदि थे। मशहूर संगीतकार चित्रगुप्त ने संगीत दिया था जो आज बहुत ही कर्णप्रिय है।


१९७७ में ही दूसरी रंगीन भोजपुरी फिल्म दंगल प्रदर्शित की गई। मुख्य कलाकार सुजीत कुमार, प्रेमा नारायण, राम सिंह थे। इस फिल्म से सिने जगत को एक महान खलनायक मिला राम सिंह, जो उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला के मूल निवासी थे।  फिल्म के निर्माता बच्चू भाई शाह थे और निर्देशक थे रति कुमार। मशहूर संगीतकार नदीम-श्रवण ने संगीत दिया था यह उनकी बतौर संगीतकार पहली भोजपुरी फिल्म थी। काशी हीले पटना हीले...... यह गीत आज लोग बड़े चाव से सुनते हैं। इसके बाद माई के लाल, गंगा घाट इत्यादि कई भोजपुरी फिल्मों का संगीत इस हिट जोड़ी ने दिया।

अपने ज़माने की सुपर हिट फिल्म दंगल देखिये इस लिंक में -
 http://bhojpurinama.com/trendsplay/rwzaSOmHdys/Dangal---Full-Bhojpuri-Movie

नोट : शुक्रवार की शाम को अगले ब्लॉग में और भी कई अनछुए पहलुओं पर चर्चा करूँगा। आप सबसे अनुरोध है कि अगर कोई जानकारी छूट रही है तो कृपया अपने विचार प्रकट करें और सुझाव अवश्य दें। 

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