Tuesday 29 April 2014

भोजपुरी सिनेमा के सुपर हिट जोड़ियों का सफ़र : 50 साल से अब तक ( भाग - 3 )

( रवि किशन तथा बृजेश त्रिपाठी )
भोजपुरी  सिनेमा के तीसरे दौर की शुरुआत में निर्माता - निर्देशक मोहन जी प्रसाद द्वारा निर्मित तथा भोजपुरी के दूसरे सुपर स्टार "रवि किशन" अभिनीत सन 2002 में फिल्म - "सईयाँ हमार" का निर्माण हुआ।  इस फिल्म के निर्माता थे - किशन खदरिया। निर्देशक और हीरो की जोड़ी के रूप में मोहन जी प्रसाद और रवि किशन लगातार कई सुपर हिट फिल्मों में साथ में काम किया है।

( दिव्या देसाई तथा रवि किशन )
पहली फिल्म - "सईयां हमार'' के बाद "सईया से कर द मिलनवा हे राम", "गंगा जईसन माई हमार",  "पंडित जी बताईं ना बियाह कब होई" तथा "हमार सईयाँ हिन्दुस्तानी" इत्यादि सुपर हिट फिल्में रही हैं।  मोहन जी प्रसाद और रवि किशन की जोड़ी को जोड़ने वाले खल अभिनेता - "बृजेश त्रिपाठी" ने भी कई फिल्मों में मोहन जी प्रसाद के निर्देशन में काम किया है।  नायक और खलनायक की जोड़ी में रवि किशन और बृजेश त्रिपाठी की जोड़ी बहुत सी फिल्मों में एक साथ नज़र आई हैं। 
हीरो - हिरोईन की चर्चित एवं हिट जोड़ी बात की जाये तो राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त फिल्म - "कब होई गवनवाँ हमार" में "रवि किशन" और "दिव्या देसाई" (अब "रश्मि देसाई" के नाम से प्रसिद्ध) की हिट जोड़ी कई फिल्मों में नज़र आई।  साथ ही  
( मनोज तिवारी व रानी चटर्जी )
( नगमा व रवि किशन )
सन 2004 - 2005 में भोजपुरी सिनेमा को नया आयाम देने के साथ ही भोजपुरी सिने इंडस्ट्री को व्यवसायिक मजबूती प्रदान करने वाली "सुधाकर पाण्डेय" द्वारा निर्मित तथा "अभय सिन्हा" निर्देशित फिल्म - ''ससुरा बड़ा पईसा वाला"  के माध्यम से दो सितारों "मनोज तिवारी"  और "रानी चटर्जी" का आगमन हुआ। यह जोड़ी सुपर डुपर हिट रही।
इसी  सन में भोजपुरी सिनेमा को जबरदस्त पहचान दिलाने वाली फिल्म -  "पंडित जी बताईं ना बियाह कब होई" में "रवि किशन" और बॉलीवुड अभिनेत्री "नगमा" की जोड़ी हिट और चर्चित रही है। इसके अलावा कई फिल्मों में एक साथ यह जोड़ी ने काम किया।
( दिनेश लाल यादव "निरहुआ" तथा "पाखी हेगड़े )
सन  2007 की सबसे बड़ी हिट फिल्म - "निरहुआ रिक्शावाला" से "दिनेश लाल यादव 'निरहुआ'' सुपर स्टार बन गए और  इस फ़िल्म की नायिका - "पाखी हेगड़े'' के साथ "निरहुआ" की  हिट एवं हॉट जोड़ी बहुचर्चित हैं। अब तक इनकी  बहुत सी हिट फिल्मों का  प्रदर्शन हो चुका है।
(दिनेश लाल यादव "निरहुआ" व  मनोज टाईगर)





साथ ही हास्य अभिनेता - "मनोज टाईगर" जिनको भोजपुरी सिनेप्रेमी प्यार से "बतासा चाचा" के नाम सम्बोधित करते हैं। "दिनेश लाल यादव 'निरहुआ'' और मनोज टाईगर" की जोड़ी कई हिट फिल्मों का हिस्सा रही हैं।

( रानी चटर्जी एवं पवन सिंह )

"जब केहू दिल मे समा जाला'' फिल्म सहित कई फिल्मों मे पवन सिंह और रानी चटर्जी की रोमांटिक जोड़ी खूब चर्चित रही है ।





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Friday 25 April 2014

भोजपुरी सिनेमा के सुपर हिट जोड़ियों का सफ़र : 50 साल से अब तक (भाग - 2)


भोजपुरी सिनेमा के पहले सुपर स्टार कुणाल सिंह (यादव ) धरती मईया फिल्म  से भोजपुरी सिने जगत में बुलंदी का परचम लहराया। उसके दो दशक 1980 से 2000  तक लगातार सुपर हिट फिल्मों के पहले सुपर स्टार नायक रहे हैं और इनकी नायिका थी गौरी खुराना थी। इनकी यह सुपर हिट जोड़ी आज भी याद की जाती है।सन 1984 में निहाल सिंह के निर्देशन मे बानी फ़िल्म - बैरी कंगना इनकी नायिका थीं "प्रेमा नारायण" .यह जोड़ी भी  खूब पसन्द की गयी।
1984 में  सचिन कुमार और साधना सिंह  हिट जोड़ी ने "नदिया के पार" फिल्म से तहलका मचा दिया था। आज भी चन्दन और गुंजा  किरदार को सिनेप्रेमी बहुत पसन्द करते हैं।
 अपने ज़माने की जबरदस्त हिट फ़िल्म - *नदिया के पार* यह हिट गीत **कौने दिसा में ले के चला रे बटोहिया ...** देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/kaun-disa-mein-song-of-film-nadiya-ke-paar
( खल अभिनेता -  विजय खरे तथा गोपाल राय ) 

इसी दौरान सन 1984 में ही कुणाल सिंह अभिनीत फिल्म - गंगा किनारे मोर गॉंव मे खल अभिनेता - विजय खरे तथा ग़ोपाल खरे की जोडी लगातार कई फ़िल्मों मे नजर आतीं रही।

गंगा किनारे मोरा गाँव* का आज भी हिट है यह गीत देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। 
http://www.bhojpurinama.com/video/kahe-ke-ta-sab-kehu-aapan-song-of-bhojpuri-movie-ganga-kinare-mora-gaon-

कुणाल सिंह - गौरी खुराना तथा कुणाल सिंह - प्रेमा नारायण की हिट जोड़ी  अलावा फ़िल्म - "पिया टूटे न पिरितिया हमार'' में सुजीत कुमार, पदमा खन्ना,  कुणाल सिंह  के साथ  ''मनोज वर्मा'' और ''बंदिनी मिश्रा'' की जोड़ी भी हिट रही। इतना  ही नहीं कॉमेडी कलाकार हिट जोड़ी में सबसे ज्यादा लोकप्रिय थी हास्य अभिनेता - हरी शुक्ला और प्रसिद्ध अभिनेत्री - "टुनटुन" की। 
( हरी शुक्ला तथा  टुनटुन ) 
निर्माता - निर्देशक की हिट जोड़ी मे निर्माता - मुक्ति लाल तथा निर्देशक - दिलीप बोस ने कई सुपर हिट फिल्मों क निर्माण किया। 

नोट : अस्सी के दशक से नब्बे के दशक तक की हिट जोड़ियों के बारे  में आज शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया है। शेष  जानकारी आगामी मंगलवार को अगले ब्लॉग में प्रस्तुत किया जायेगा। 

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Tuesday 22 April 2014

भोजपुरी सिनेमा के सुपर हिट जोड़ियों का सफ़र : 50 साल से अब तक ।


भोजपुरी सिनेमा के 50 साल के सफ़र में तब से लेकर अब तक कई जोडियाँ हिट रही हैं जिन्होंने भोजपुरी सिनेमा को मज़बूती प्रदान किया है। फिल्म निर्माता व निर्देशक, गीतकार व संगीतकार, नायक व नायिका आदि ने सिनेप्रेमियों को आनंदित किया है।
भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म - "गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो'' (1962) के निर्माण होने से जहाँ भोजपुरी सिनेजगत का जन्म हुआ वहीं  कई जोड़ियों ने कदम ताल मिलाकर भोजपुरी सिनेमा को ऊँचाई प्रदान किया। निर्माता - बिश्वनाथ शाहाबादी द्वारा निर्मित इस फिल्म के निर्देशक थे कुन्दन कुमार।  नायक - ''असीम कुमार'' एवं नायिका - ''कुमकुम'' की जोड़ी दर्शकों को बहुत पसंद आई थी। अभिनेता एवं निर्माता "रामायण तिवारी" द्वारा निर्मित दूसरी फिल्म - "लागी नाही छूटे  रामा" (1963) में यही जोड़ी फिर से नज़र आई जिसे निर्देशित किया था कुंदन कुमार ने।
इसके बाद सन  1963 में ही निर्माता - बच्चू भाई शाह  निर्मित तथा  निर्देशक - एस एन त्रिपाठी  निर्देशित फिल्म - "बिदेसिया" में नायक - "सुजीत कुमार" तथा नायिका - "पदमा खन्ना" की जोड़ी हिट रही, जो कई फिल्मों में  नज़र आई। इस दोनों फिल्मों के निर्देशक - कुंदन कुमार तथा संगीतकार - चित्रगुप्त थे।  इस जोड़ी का खास योगदान रहा।

देखिये इस  लिंक में फिल्म - गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो का गीत - 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/zSEShvkZfz0/Hey%2BGanga%2BMaiya%2BTohe%2BPiyari%2BChadhayibo%2B-%2BTitle%2BSong%2B%2528Bhojpuri%2Bclassic%2529

 
सन 1977 में प्रदर्शित फिल्म - "दंगल" में "सुजीत कुमार" और "प्रेमा नारायण" नायक - नायिका थे तथा इस फिल्म फिल्म का संगीत तैयार किया था संगीतकार - "नदीम श्रवण" की जोड़ी ने। फिल्म "दंगल" भोजपुरी  सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म है। इसके बाद से भोजपुरी फिल्में रंगीन बनने  लगी थी। 
सन 1979 में नज़ीर हुसैन के निर्देशन में बनी फिल्म - "बलम परदेसिया" से भोजपुरी सिने जगत में पदार्पण किया "राकेश पाण्डेय" ने और इनकी नायिका थीं  "पदमा खन्ना"। यह जोड़ी भी दर्शकों को बहुत पसंद आई।

दंगल फिल्म का सुपर हिट गीत  को देखिये इस लिंक में 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/hm0gedadJjc/Kashi%2BHile%2BPatna%2BHile%2B%2528Dangal--Bhojpuri%2BFilm%2529


अभिनेता - कुणाल सिंह 
1981 में कमर नकवी निर्देशित फिल्म - "धरती मईया" में राकेश पाण्डेय और पदमा खन्ना की पति-पत्नी के जोड़े के साथ ही भोजपुरी सिनेमा के पहले सुपर स्टार "कुणाल सिंह" का आगमन हुआ और इनकी नायिका बनी "गौरी खुराना"।  यह जोड़ी भी दर्शकों को खूब पसंद आई। इस फिल्म का संगीत संगीतकार  "आनंद - मिलिंद" की जोड़ी ने  दिया था। 

नोट : अस्सी के दशक से नब्बे के दशक तक की हिट जोड़ियों के बारे अगले ब्लॉग में शुक्रवार को प्रस्तुत किया जायेगा। 

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Friday 18 April 2014

"भोजपुरी नामा डॉट काम" का पहली वर्ष गाँठ


''भोजपुरी नामा डॉट काम" लांच, बिग बॉस फेम "निरहुआ" बने ब्रांड अम्बेसडर :- 
भोजपुरी भाषा व संस्कृति से जुडी हर खबर हर पल जन जन तक पहुँचाने हेतु एक नयी क्रांति का  आगाज़ हो चुका है "भोजपुरी नामा डॉट काम" के माध्यम से।  8 मार्च 2013 को मुंबई में एक भव्य कार्यक्रम में भोजपुरी के इस पहले वीडियो पोर्टल का उद्घाटन किया गया . भोजपुरी फिल्मो के सुपर स्टार *दिनेश लाल यादव निरहुआ* इस पोर्टल के ब्रांड अम्बेसडर बनाए गए हैं। 


वी ३ मोबी द्वारा संचालित इस वीडियो पोर्टल के निदेशक अमित चौरसिया, ओम प्रकाश सिंह, अलोक सिंह हैं।  *भोजपुरी नामा डॉट काम* ने अपना टेग लाइन *माटी की महक* रखा है अर्थात , भोजपुरी मनोरंजन जगत की हर गतिविधियों पर पोर्टल की पैनी नज़र रहती है।  फिल्म  निर्माण की शुरुआत से लेकर प्रदर्शन तक की सारी खबर जन-जन तक पहुँचाया जा रहा है, साथ ही भोजपुरी भाषा और संस्कृति से जुड़े हर पहलू पर नज़र रखते हुए सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों को भी विशेषता के साथ दिखाया जाता है।  भोजपुरी की लोक संस्कृति, लोक विधा, पारम्परिक गीत व रीति रिवाज को भी समय-समय पर प्रस्तुत किया जाता है।  ताकि भोजपुरी माटी से दूर जो  भोजपुरिया समाज के लोग सुदूर विदेशों में अपनी निजी दिनचर्या तथा बिजिनेस-व्यापार में व्यस्त हैं और बहुत चाहते हुए भी भोजपुरिया माटी की महक उन तक नहीं पहुँच पाती है, उन सभी लोगों तक *भोजपुरी नामा डॉट कॉम*  के माध्यम से पहुँचाया जा रहा है। देश-विदेश के सभी लोग घर-बाहर, ऑफिस, रोजी-रोजगार अथवा कहीं भी किसी भी समय भोजपुरी माटी की महक के आनन्द को आत्मसात कर सकते हैं।
 *भोजपुरी नामा डॉट काम* के लाँचिंग समारोह में अभिनेता पंकज केसरी, सुदीप पाण्डेय, अजय दीक्षित, मनोज टाइगर , संजय पाण्डेय, सुशील सिंह, अनिल सम्राट, संजय यादव, धर्मेन्द्र सिंह,  प्रकाश जैस, यश कुमार, विक्रांत आनद , प्रवेश लाल , उदय तिवारी , सलीम अन्सारी, अभिनेत्री पाखी हेगड़े, संगीता तिवारी, स्मृती सिन्हा, शुभी शर्मा, अर्चना सिंह, प्रतिभा पाण्डेय, दीपिका सिंह, निर्देशक राजकुमार पाण्डेय, रवि कश्यप, हरीश जैसवाल  सहित भोजपुरी फिल्म जगत से जुड़े सैकड़ो लोग मौजूद थे . इसके अलावा  रवि किशन एवं  मनोज तिवारी ने विडियो सन्देश के जरिये  तथा  राजनेता- ददन सिंह यादव पहलवान, सिंगापुर से  चुन्नू सिंगापुरी तथा भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष रविकांत दूबे  ने फोन पर बधाई दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्द हास्य कलाकार सुनील सावरा ने किया। 

 भोजपुरी का पहला डिजिटल *भोजपुरीनामा डॉट कॉम* को बेस्ट विडियो पोर्टल का अवार्ड दिया गया  :



आपकी आवाज़ फाउन्डेशन द्वारा आयोजित 8वाँ प्रेस मीडिया अवार्ड में भोजपुरी सिनेमा और फिल्म निर्माताओं के उत्थान हेतु अग्रसर भोजपुरी का पहला डिजिटल चैनल *भोजपुरी नामा डॉट कॉम* को *बेस्ट विडियो पोर्टल* के लिए इस डिजिटल चैनल के सी एम डी - अलोक सिंह, राजन सोनी, अमित चौरसिया, ओमप्रकाश सिंह व पंकज पाण्डेय को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया तथा रामचन्द्र  यादव को *बेस्ट न्यूज़ रिपोर्टर* का अवार्ड दिया गया। 
यह आयोजन आपकी आवाज़ फाउन्डेशन के संस्थापक *अंजन गोस्वामी* ने  शुक्रवार 21 जून को मुम्बई स्थित इस्कान अडोटोरियल (हरे रामा हरे कृष्णा मन्दिर) जुहू में  किया। इस अवसर पर फिल्म, सीरियल, भोजपुरी इण्डस्ट्री और मीडिया से जुड़े तमाम लोगों ने ये अवार्ड हासिल करने के लिए बधाईयां दी।

भोजपुरी का पहला डिजिटल चैनल *www.bhojpuri.com* पर अपने विडियो खुद अपलोड कर सकते हैं :
यू ट्यूब का विकल्प है-  (www.bhojpurinama.com) भोजपुरीनमा डॉट कॉम : यू ट्यूब के विकल्प के रूप में भोजपुरी सिनेमा भाषा व संस्कृति से जुडी हर ख़बरों की  खबर हर पल जन जन तक पहुँचाने हेतु एक नयी क्रांति का है "भोजपुरी नामा डॉट काम" ।   8 मार्च 2013 को मुंबई में एक भव्य कार्यक्रम में भोजपुरी के इस पहले वीडियो पोर्टल का उद्घाटन किया गया। 

भोजपुरी नाम डॉट कॉम  पर विजिट करने के लिए लोगिन करें -
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नोट : अगले हप्ते से ब्लॉग में हम भोजपुरी सिनेमा की हिट जोड़ियों का जिक्र करने जा रहे हैं। आगर आप कोई सुझाव एवं जानकारी देना चाहते हैं तो हमारे comment Box  तथा Facebook  के Bhojpurinama.com (Like page) https://www.facebook.com/Bhojpurinamadotcom  के inbox  में लिख सकते हैं। 

Tuesday 15 April 2014

हनुमान जयंती

हिंदू धर्म मे भगवान "हनुमान जी" सबसे अधिक लोकप्रिय देवता हैं। हनुमान के जन्म-दिन के रूप में हनुमान जयंती सारे विश्व भर में मनाई जाती है। हनुमान जी चिरंजीवी हैं, जिनको अमरत्व का वरदान प्राप्त है। भगवान राम भक्त हनुमान जी शक्ति और अप्रतिम निष्ठा तथा निःस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। हिंदू कैलेण्डर  के अनुसार यह चैत्र की पूर्णिमा मार्च-अप्रैल को मनाई जाती है। इस साल 2014 में हनुमान जयंती की तारीख़ 15 अप्रैल है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को ही श्री राम भक्त हनुमान जी  ने माता अंजनी जी  के गर्भ से जन्म लिया था। वे भगवान राम के महानतम भक्त हैं। वह ब्रह्मचारी हैं और विन्रमता उनका चिह्न है। एक महान् भक्त और असाधारण ब्रह्मचारी थे। विन्रम,वीर और बुद्धिमान थे। वे सभी दैवी गुणों से संपन्न थे। उन्होने बिना किसी फल की अपेक्षा किये हुये विशुद्ध प्रेम और निष्ठा के साथ राम की सेवा की। वे एक आदर्श निःस्वार्थ कार्यकर्ता थे, वह एक सच्चे कर्म-योगी थे जिन्होने इच्छा रहित होकर सक्रियरूप से काम किया। 
देखिये इस लिंक में  हनुमान जी भजन -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/ASb9b3pHglU/Hanuman%2BJayanti%2BBhajans%2BBy%2BHariom%2BSharan%252C%2BHariharan%252C%2BLata%2BMangeshkar%2BI%2BShri%2BHanuman%2BChalisa%2BJuke%2BBox
हनुमान जयंती के दिन भक्तजन हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर लगाते हैं। इसके पीछे एक बहुत लोकप्रिय कथा है। एक बार सीता जी अपने माथे पर सिंदूर लगा रही थीं, हनुमान ने उसके महत्व के बारे में पूछा।  सीता जी ने कहा कि इससे उनके पति "भगवान राम" की दीर्घ आयु सुनिश्चित होगी। यह सुनकर हनुमान जी ने अपने भगवान की अमरता की प्रार्थना करते हुये अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। वे जब श्री राम जी  के सामने आये तो श्री राम जी ने  पूरे शरीर पर सिन्दूर लगाने का कारण जाने के बाद और हनुमान जी की भक्ति देखकर भगवान राम बहुत प्रसन्न प्रसन्न हुए। श्री राम जी ने आशीर्वाद दिया  कि जो भी हनुमान के शरीर पर सिंदूर लगायेगा उसे मेरी प्रेम भरी निष्ठा मिलेगी और मैं उस भक्त से खुश होउंगा। हनुमान जयंती के दिन हनुमान की विशेष पूजा-आराधना की जाती है तथा व्रत किया जाता है। सिन्दूर चढ़ाकर हनुमान जी का विशेष श्रृंगार किया जाता है तथा पान चढ़ाया जाता है। लोग दर्शन के लिये हनुमान मंदिर जाते है और मूर्ति का सिंदूर अपने माथे के ऊपर लगाते हैं। भक्तजन हनुमान चालीसा का पाठ करते है, हनुमान जी की आरती के विशेष आयोजन करते हैं और भगवान राम के नाम का जाप करते हैं। माना जाता है कि इससे उन्हे सौभाग्य प्राप्त होगा। लोगों मे प्रसाद बाँटा  जाता है।
हनुमान जी की आरती देखिये इस लिंक में- 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/ZjtXCUDnHfU/arti%2Bhanuman%2Bji%2Bki
 हनुमान जी के बारे में एक कथा प्रचलित है कि बल्यकाल में भूखे होने के कारण हनुमान जी उदय होते हुए सूर्य को फल समझकर आकाश में उनके समीप चले गए। उस दिन पर्व तिथि होने से सूर्य को ग्रसने के लिए राहु आ रहे थे परन्तु हनुमान जी को देखकर राहु ने उन्हें दूसरा राहु समझकर  भागने लगे। तब इन्द्र ने अंजनीपुत्र पर वज्र का प्रहार किया। इससे उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा।
हनुमान जी की आरती, भजन देखने के लिए लॉगिन कीजिये -

Friday 11 April 2014

किसान की ख़ुशी का त्योहार है : बैशाखी पर्व

हिन्दू नववर्ष का दूसरा महीना बैशाख के पहले दिन बैसाखी का पर्व भारत भर में सभी जगह मनाया जाता है। इसे दूसरे नाम से खेती का पर्व भी कहा जाता है। कृषक इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है। जिसमें फसल पकने के बाद उसके कटने की तैयारी का उल्लास साफ तौर पर दिखाई देता है। लोकजीवन में बैसाखी फसल पकने का त्योहार है। फसल पकने को ग्रामीण जीवन की समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। 
बैसाखी एक लोक त्योहार है। यह पर्व पूरी दुनिया को भारत के करीब लाता है। बैसाखी एक राष्ट्रीय त्योहार है। जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्मपंथ के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। सूर्य मेष राशि में प्राय: (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) 13 या 14 अप्रैल को प्रवेश करता है, इसीलिए बैसाखी भी इसी दिन मनाई जाती है। वैसे बैसाखी पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है, परन्तु कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्योहार 14 तारीख को भी आ जाता है। इस वर्ष सन 2014 में 13 अप्रैल को यह पर्व मनाया जा रहा है। 
भारत में महीनों के नाम नक्षत्रों पर रखे गए हैं।इस समय उत्तर भारत खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में दिन भर फसल की कटाई की थकान मिटाने और मनोरंजन के लिए ''चैता गीत'' खूब गाया जाता है 

 देखिये इस लिंक में चैता गीत -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/hA0FDKk9sEw/Gori%2BGori%2BToree%2BBahiyaa-%2BChaita%2B%255BFull%2BSong%255D%2BDamad%2BJi

बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा युवा पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। इसलिए वैशाख मास के प्रथम दिन को बैसाखी कहा गया और पर्व के रूप में स्वीकार किया गया। बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है अतः इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना, महाराजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत का शुभारंभ, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक, नवरात्रों का आरंभ, सिंध प्रांत के समाज रक्षक वरुणावतार संत झूलेलाल का जन्म दिवस, महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना, धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक, महावीर जयंती आदि अनेक गौरवपूर्ण इतिहास वैशाख माह से जुड़ा है।
स कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवक - युवतियां प्रकृति के इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं एक-दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं और झूम-झूमकर नाच उठते हैं। 
बैसाखी आकर पंजाब के युवा वर्ग को याद दिलाती है। साथ ही वह याद दिलाती है उस भाईचारे की जहां माता अपने दस
गुरुओं के ऋण को उतारने के लिए अपने पुत्र को गुरु के चरणों में समर्पित करके सिख बनाती थी।

गुरु साहेब भजन देखिये इस लिंक में http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/5R29AQJje3c/Guru%2BGranth%2BSahib%2BBhajan%2B%2528contd%2529
केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के अन्य प्रांतों में भी बैसाखी पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है। सौर नववर्ष या मेष संक्रांति के कारण पर्वतीय अंचल में इस दिन मेले लगते हैं। लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं तथा उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता है। 

बैसाखी का भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भी विशिष्ट स्थान है। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के समीप 13 अप्रैल 1919 में हजारों लोग जलियाँवाला बाग में एकत्र हुए थे। लोगों की भीड़ अंग्रेजी शासन के रालेट एक्ट के विरोध में एकत्र हुई थी। जलियाँवाला बाग में जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर गोलियाँ बरसाईं जिसमें करीब 1000 लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। अंग्रेजी सरकार के इस नृशंस कृत्य की पूरे देश में कड़ी निंदा की गई और इसने देश के स्वाधीनता आंदोलन को एक नई गति प्रदान कर दी।
जलियाँवाला बाग़ कांड की एक झलक देखिये इस लिंक में -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/l1Ge5RgkSO8/Jallianwala%2BBagh%2Bmassacre

जलियाँवाला बाग की घटना ने बैसाखी पर्व को एक राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान कर दिया। आज भी लोग जहाँ इस पर्व को पारंपरिक श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं वहीं वे जलियाँवाला बाग कांड में शहीद हुए लोगों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। 



चैता गीत देखने के लिए लॉगिन करें -


Tuesday 8 April 2014

रामनवमी का महत्व

भारतीय संस्कृति को दुनिया भर बहुत महत्व दिया जाता है। ऐसा ही एक पर्व चैत्र नवरात्रि के दिनों में मनाया जाता है, जिसे 'रामनवमी' के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म में राम का नाम बहुत महत्त्व रखता है। राम सदाचार के प्रतीक हैं और "मर्यादा पुरूषोत्तम राम" के नाम की महिमा जग विख्यात हैं। रामनवमी को राम के जन्‍मदिन की स्‍मृति में मनाया जाता है। राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।रामनवमी के मौके पर भारत ही क्या विदेशों के मंदिरों में भी शोभा देखते ही बनती है। ऐसा लगता है पूरी दुनिया श्री राम की भक्ति में डूबी हुई है।
राम नवमी भजन देखिये इस लिंक में -
 http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/bMFxDbXfkTU/Janmein%2BAwadh%2BMein%2BRam...%2BRamnavami%2BBhajans%2BI%2BFull%2BAudio%2BSongs%2BJuke%2BBoxhttp://www.bhojpurinama.com/trendsplay/bMFxDbXfkTU/Janmein%2BAwadh%2BMein%2BRam...%2BRamnavami%2BBhajans%2BI%2BFull%2BAudio%2BSongs%2BJuke%2BBox
पुरूषोतम भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को दोपहर 12 बजे पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में कौशल्या की कोख से हुआ था। यह दिन भारतीय जीवन में पुण्य पर्व माना जाता हैं। इस दिन सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं। 


रामनवमी का महत्व :-
त्रेता युग में अत्याचारी रावन के अत्याचारो से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था । साधू संतो का जीना मुश्किल हो गया था । अत्याचारी रावण ने अपने प्रताप से नव ग्रहों और काल को भी बंदी बना लिया था । कोई भी देव या मानव रावण का अंत नहीं कर पा रहा था । तब पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने राम के रूप में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया । यानि भगवान श्री राम भगवान विष्णु के ही अवतार थे।
भगवान विष्णु ने असुरों का संहार करने के लिए राम रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। ‍तभी से लेकर आज तक मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव तो धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारा जाता।
अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग कर चौदह वर्षों के लिए वन चले गए। उन्होंने अपने जीवन में धर्म की रक्षा करते हुए अपने हर वचन को पूर्ण किया। 
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भगवान विष्णु ने राम रूप में असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव तो धूमधाम से मनाया जाता है पर उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारा जाता। अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग 14 वर्ष के लिए वन चले गए और आज देखें तो वैभव की लालसा में ही पुत्र अपने माता-पिता का काल बन रहा है।
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Friday 4 April 2014

नवरात्रि की शुरुआत और उसका महत्त्व

नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवा दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। यह पर्व साल में चार बार आता है। पोष ,चैत्र,आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातो में तीन देवियों -महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवालीहोता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जीसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। रोशनी का त्योहार दीवाली, दशहरा के बीस दिन बाद मनाया जाता है।
माता जी का भजन देखें इस लिंक में -

माँ जगदम्बा  का रूप नौ देवियाँ है :-
  • श्री शैलपुत्री -इसका अर्थ-पहाड़ों की पुत्री होता है।
  • श्री चंद्रघरा -इसका अर्थ-चाँद की तरह चमकने वाली।
  • श्री कूष्माडा -इसका अर्थ-पूरा जगत उनके पैर में है।
  • श्री स्कंदमाता -इसका अर्थ-कार्तिक स्वामी की माता।
  • श्री कात्यायनी -इसका अर्थ-कात्यायन आश्रम में जन्मि।
  • श्री महागौरी -इसका अर्थ-सफेद रंग वाली मां।

माँ जगदम्बे  का भजन देखने के लिए यह लिंक क्लिक करें- 

शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की । तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं । नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
माता जी का भजन देखने के लिए यह लिंक क्लिक करें- http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/mp5ludsSONg/Bhojpuri%2BNavratri%2BSong%2B-%2Bdur%2Bgaon%2Bse%2Bayeel%2Bbani%2Bdarshan%2Bkhatir
नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

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