Friday 4 April 2014

नवरात्रि की शुरुआत और उसका महत्त्व

नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवा दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। यह पर्व साल में चार बार आता है। पोष ,चैत्र,आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातो में तीन देवियों -महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवालीहोता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जीसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। रोशनी का त्योहार दीवाली, दशहरा के बीस दिन बाद मनाया जाता है।
माता जी का भजन देखें इस लिंक में -

माँ जगदम्बा  का रूप नौ देवियाँ है :-
  • श्री शैलपुत्री -इसका अर्थ-पहाड़ों की पुत्री होता है।
  • श्री चंद्रघरा -इसका अर्थ-चाँद की तरह चमकने वाली।
  • श्री कूष्माडा -इसका अर्थ-पूरा जगत उनके पैर में है।
  • श्री स्कंदमाता -इसका अर्थ-कार्तिक स्वामी की माता।
  • श्री कात्यायनी -इसका अर्थ-कात्यायन आश्रम में जन्मि।
  • श्री महागौरी -इसका अर्थ-सफेद रंग वाली मां।

माँ जगदम्बे  का भजन देखने के लिए यह लिंक क्लिक करें- 

शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की । तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं । नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
माता जी का भजन देखने के लिए यह लिंक क्लिक करें- http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/mp5ludsSONg/Bhojpuri%2BNavratri%2BSong%2B-%2Bdur%2Bgaon%2Bse%2Bayeel%2Bbani%2Bdarshan%2Bkhatir
नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

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