Sunday 22 March 2015

नवरात्रि से मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष

नवरात्रि से मनाया जाता है हिन्दू नववर्ष : हमारे देश भारत में अंग्रेजी महीना मार्च तथा हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार चैत्र  महीना से नवर्ष आरम्भ होता है। इस साल विक्रम संवत २०७२  नववर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। 
विदित है कि जिस तरह से अग्रेजी महीना का दिसंबर का अंतिम रात  ३१ तारीख को थर्टी फर्स्ट फेस्टवल और पहिला महीना का १ जनवरीको हैप्पी न्यू ईयर के रूप में मनाया जाता है। उसी प्रकार हिंदी महीना के अंतिम माह फाल्गुन की  अंतिम रात को होलिका दहन और चैत्र महीने के प्रथम दिन की सुबह से ही रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है। 
विक्रम संवत के अनुसार हिन्दू नवर्ष पर्व चैत्र  माह के द्वितीय पक्ष शुक्ल पक्ष में माता जी के नौ रूप की पूजा के साथ मनाया जाता है। 
 नवरात्रि  चैत्र  माह के अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन से नवरात्रि आरम्भ हो जाती है। हिन्दू वर्ष के प्रथम महीने का पहला त्यौहार "वासन्तिक नवरात्रि पर्व" के रूप  में नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस  दौरान आदिशक्ति माता जगदम्बा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक शुद्ध एवं पवित्र दिवस माने गए हैं।                          

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नवरात्रि पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है – हिन्दू वर्ष के आरम्भ में अर्थात चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस वासन्तिक नवरात्रि आते हैं जबकि शीत ऋतु बीत चुकी होती है और ग्रीष्म ऋतु आरम्भ होने वाली होती है। प्रचलित अंग्रेजी कैलेन्डर के अनुसार ये समय साधारणतः मार्च-अप्रैल के महीनों के दौरान आता है।

माता जी का भजन देखें इस लिंक में -

दूसरे नवरात्रि जिन्हें शारदीय नवरात्रि  के नाम से जाना जाता है। वर्षा ऋतु बीत जाने के बाद तथा शीत ऋतु के आगमन से पहले अश्विन माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन से मनाए जाते हैं। अंग्रेजी कैलेन्डर के अनुसार सितम्बर-अक्तूबर के दौरान शारदीय नावरात्रि का पर्व मनाया जाता है। वासन्तिक नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति माता दुर्गा  के उन नौ रूपों का भी पूजन किया जाता है जिन्होंने सृष्टि के आरम्भ से लेकर अभी तक इस पृथ्वी लोक पर विभिन्न लीलाएँ की थीं। माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। वासन्तिक नवरात्रि के इन्हीं नौ दिनों पर मां दुर्गा के जिन नौ रूपों का पूजन किया जाता है वे क्रमशः इस प्रकार हैं – पहला - शैलपुत्री, दूसरा - ब्रह्माचारिणी, तीसरा - चन्द्रघन्टा, चौथा - कूष्माण्डा, पाँचवा - स्कन्द माता, छठा - कात्यायिनी, सातवाँ - कालरात्रि, आठवाँ - महागौरी, नौवां - सिद्धिदात्री।

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