Tuesday 3 March 2015

६ मार्च २०१५ : होली रंगों का त्यौहार

हमारे देश भारत का महत्त्पूर्ण और जीवन में ख़ुशी के रंग भर देने वाला रंगों का त्यौहार होली इस वर्ष दिनांक ६ मार्च २०१५, दिन शुक्रवार को मनाया जाने वाला है. देश विदेश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला रंगों का पर्व होली  महत्त्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है.  हिन्दू पंचांग के अनुसार इस पर्व से हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत होती है.
बसंत ऋतु में समय मनाया जाने वाला एक यह पर्व हिन्दू वर्ष के अंतिम माह फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात में सुखी लकड़ियों का खास तरह से ढेर लगाकर पूजा-पाठ करके आग जलाकर होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन सुबह से शाम तक रंग अबीर और गुलाल के साथ होली यानि फगुआ का त्यौहार मनाया जाता है, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है. रंगों का यह त्यौहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल के अलावा पूरे विश्व में बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं. राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है.  

होली पर्व का इतिहास : इस पर्व का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है. इनमें प्रमुख हैं, जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र.  नारद पुराण  औऱ भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है. इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों में भी इस पर्व का प्रचलन था लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था. विन्ध्य क्षेत्र के राम गढ़ स्थान पर स्थित ईसा से ३०० वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है. संस्कृत साहित्य में वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव अनेक कवियों के प्रिय विषय रहे हैं.
भोजपुरी फिल्म का होली गीत देखिये इस  लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/item-song-holi-hai-from-bhojpuri-movie-zilla-chhapra


होली में संगीत :  होली के पर्व में गीत संगीत का बहुत अनोखा मेल है. ढोल, मजीरा, हारमोनियम और झांझ के मधुर संगीत के साथ फगुआ गीत में फाग और बेलवरिया का बहुत ही महत्त्व है, जो खुशहाली का प्रतीक भी है. भारतीय शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक तथा फ़िल्मी संगीत की परम्पराओं में होली का विशेष महत्व है. शास्त्रीय संगीत में  धमार का होली से गहरा संबंध है, हालांकि ध्रुपद, धमार और  ठुमरी में भी होली के गीतों का सौंदर्य देखते ही बनता है. कत्थक नृत्य के साथ होली, धमार और ठुमरी पर प्रस्तुत की जाने वाली अनेक सुंदर बंदिशें जैसे चलो गुंइयां आज खेलें होरी कन्हैया घर ... आज भी अत्यंत लोकप्रिय हैं. ध्रुपद में गाये जाने वाली एक लोकप्रिय बंदिश है खेलत हरी संग सकल, रंग भरी होरी सखी...

भोजपुरी फिल्म खोंईछा का देहाती होली देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/holi-me-hadbad


भारतीय शास्त्रीय संगीत में कुछ  राग ऐसे हैं जिनमें होली के गीत विशेष रूप से गाए जाते हैं. बसंत, बहार, हिंडोल, आदि कई राग हैं. उपशास्त्रीय संगीत में चैती, दादरा, और ठुमरी में अनेक प्रसिद्ध होली गीत हैं. जहां ब्रजधाम में राधा और कृष्ण के होली खेलने के वर्णन मिलते हैं वहीं अवध में राम और सीता के जैसे होली खेलें रघुवीरा अवध में... राजस्थान के अजमेर  शहर में  ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली का विशेष रंग है. उनकी एक प्रसिद्ध होली है आज रंग है री मन रंग है, अपने महबूब के घर रंग है री... इसी प्रकार शंकर जी से संबंधित एक होली में दिगंबर खेले मसाने में होली ... कह कर शिव द्वारा श्मशान में होली खेलने का वर्णन मिलता हैं. भारतीय फिल्मों में भी अलग अलग रागों पर आधारित होली के गीत प्रस्तुत किये गए हैं जो काफी लोकप्रिय हुए हैं. फिल्म - 'सिलसिला' के गीत रंग बरसे भीगे चुनर वाली, रंग बरसे ... और फिल्म - 'नवरंग' के आया होली का त्योहार, उड़े रंगों की बौछार... को आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं.

पौराणिक कहानियाँ :
होली महापर्व से जुड़ी हुई अनेक कहानियाँ  हैं. इन सबमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है भक्त प्रह्लाद और होलिका की. प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था. अपने बल के दर्प में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था. उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी. हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था.  प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा. हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती. हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे. आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया.  ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है. 

प्रह्लाद की कथा के अलावा यह पर्व राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ है.  कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण करते हैं तथा शिव की बारात का दृश्य बनाते हैं.  कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था. इसी खु़शी में गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की और रंग खेला था.

होली, फगुआ गीत सुनने व देखने के लिए लॉगिन कीजिये -
http://www.bhojpurinama.com/


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