Friday 5 December 2014

भोजपुरी सिनेमा के जनक के प्रेरक प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेन्द्र प्रसाद : बाबू राजेन्द्र प्रसाद जयंती विशेष

भोजपुरी सिनेमा के निर्माण काल वैसे तो अपने आपमें बहुत ही रोचक है मगर निर्माण की प्रेरणा हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र  प्रसाद ने दिया था जिनको बहुत ही प्यार से बाबू राजेन्द्र  प्रसाद भी कहा जाता है।
किसी समारोह में जब बाबू राजेन्द्र प्रसाद से उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के मूल निवासी नाजिर हुसैन से हुई जो मुंबई हिन्दी फिल्मों के निर्देशक एवं अभिनेता भी थे और धनबाद के  झरिया में कोयला खदान के मालिक विश्वनाथ शाहाबादी से हुई। तो उसी समय राजेंद्र प्रसाद ने भोजपुरी सिनेमा के निर्माण करने की बात कही। इन दोनों के अथक प्रयास से पहली भोजपुरी फिल्म का निर्माण हुआ जिसका नाम था ‘‘गंगा मइया तोहे पियरीचढ़इबो''। इसके निर्माता विश्वनाथ शाहाबादी।निर्देशक कुन्दन कुमार,गीतकार शैलेन्द्र, संगीतकार चित्रगुप्त नायक असीम कुमार और नायिका कुमकुम थे। साथ ही नज़ीर हुसैन और रामायण तिवारी भी दमदार भूमिका में थे। इस फिल्म का मुहुर्त पटना में हुआ और प्रथम प्रदर्शन वाराणसी के प्रकाश सिनेमाहाल में किया गया था।

पहली भोजपुरी फिल्म - ‘‘गंगा मइया तोहे पियरीचढ़इबो'' एक गीत इस लिंक में -

http://www.bhojpurinama.com/video/sonwa-ke-pinjra-mein-song-of-film-ganga-maiya-tohe-piyari-chadhaibo

भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न बाबू राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के छपरा जिले के गाँवजीरादेई हुआ था। उनके दादा हथुआ रियासत के दीवान थे। पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे सो बचपन मे उन्होने एक मौलवी साहब को बालक राजेन्द्र को फारसी सिखाने पर लगा दिया। छपरा के जिला स्कूल , पटना की टी० के० घोष अकादमी मे पढाई के बाद 1902 में उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।

1915 में उन्होंने स्वर्ण पदक के साथ विधि परास्नातक की परीक्षा पास की और लॉ मे डॉक्ट्रेट किया। वे अंग्रेजी, हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी व बंगाली गुजराती भोजपुरी , संस्कृत आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान था। भारत मित्र, भारतोदय, कमला आदि में उनके लेख छपते थे। उन्होंने हिन्दी के “देश” और अंग्रेजी के “पटना लॉ वीकली” समाचार पत्र का सम्पादन भी किया था।

चम्पारण में गान्धीजी के तथ्य अन्वेषण समूह मे वे प्रमुख थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गये। संविधान निर्माण मे उनकी भूमिका इतनी अधिक थी कि भारतीय संविधान उन्हे पूरा याद हो गया था । उन्होने अपनी आत्मकथा , बापू के कदमों में , इण्डिया डिवाइडेड , सत्याग्रह ऐट चम्पारण आदि अनेक पुस्तकों की रचना की थी।

सितम्बर 1962 में राष्ट्रपति पद से अवकाश ग्रहण करते ही राष्ट्र ने उन्हें "भारत रत्ना" की सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। उनके जीवन का अंतिम पड़ाव पटना का सदाकत आश्रम था, जहां पर 28 फ़रवरी 1963 को उनकी मृत्यु हुई।


भोजपुरी सिनेमा के वीडियो देखने के लिए लॉगिन कीजिये - 

www.bhojpurinama.com 

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