Saturday 4 October 2014

बुराई पर अच्छाई की जीत है : विजय दशमी

जीवन में हम सभी को सत्य मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है हिन्दू महापर्व विजय दशमी, जिसे हम दशहरा के नाम से भी मनाते हैं। बुराई कितनी भी बलवान क्यूँ ना हो मगर उसे नतमस्तक होना ही पड़ता है। बुराई का प्रतीक रावण को इस पावन पर्व पर नाच, ढोल, नगाड़े के साथ अच्छाई  प्रतीक राम द्वारा जलाया जाता है ताकि जन जन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का  वास हो सके।
दशहरा पर्व पूरे भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में मनाया जाता है। हमारा देश भारतवर्ष विश्व गुरु रह चुका है। पूरे विश्व में सबसे धनी देश के रूप में जाना जाता था इसीलिए हमारा देश भारत सोने की चिड़िया कहलाया करता था। प्राचीन काल में भारत देश को आर्याव्रत के नाम से जाना जाता था तदोपरान्त परम सुरवीर चक्रवर्ती राजा दुष्यंत पुत्र महाराजा भरत के नाम से भारत वर्ष नाम पड़ा। भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म जिसे सनातन धर्म भी कहा जाता है को आज भी विश्व स्तर पर पावन और पवित्र माना जाता है और इस वजह से हमारे देश के प्रमुख त्यौहारों को पूरे विश्व पूरी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। यही कारण है कि सम्पूर्ण विश्व में दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है। कुल्लू और मैसूर का दशहरा विश्वविख्यात है। जिसमे विदेशी नागरिक भी शामिल होते हैं।
दशहरा यानि विजय दशमी के दिन ही पुरुषोत्तम राम  महाबली रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी। महाशक्तिमान कहे जाने वाला रावण प्रारम्भ मेंअतिसामान्य आदमी था। जिसकी झलक रामचरित मानस में मिलती हैं। 

अंगद - रावण संवाद में रावण के राजसभा में अंगद रावण के इतिहास के बारे में ललकार कर कहते हैं कि जितने रावणों को मैं जानता हूँ,  तू सुन और बता कि उनमें से तू कौन सा रावण है। 
अंगद की वाणी तुलसीदास जी रचित रामचरित मानस की चौपाई में देखिये - 


''बलिहि जितन एक गयउ पताला। राखेउ बाँधि सिसुन्ह हयसाला।।
एक बहोरि सहसभुज देखा। धाइ धरा जिमि जंतु बिसेषा।।''

''एक कहत मोहि सकुच अति, रहा बालि की काँख।
 इन्ह माह रावन तैं कवन, सत्य बदहि तजि माखि।।"

ये सब वही रावण दस सिर वाले दशानन थे। जिसके पास शक्ति आ जाने से कितना भयानक हो गया था। राम - रावण कथा में दो साधारण मनुष्यों की कहानी है जिसमे शक्तियाँ दोनों के पास हैं मगर एक पास सत्य की शक्ति है और दूसरे के पास अहंकार की शक्ति है। सत्य की शक्ति के बलबूते  निर्वासित राजपुरुष ने बंदरों, भालुओं को इकट्ठा करके उस महाशक्तिमान अहंकार की शक्ति को हरा दिया। 

दशहरा-विजयदशमी के भजन व गीत देखने व सुनने के लिए लॉगिन कीजिये -
http://www.bhojpurinama.com

सभी देशवासियों को दशहरा (विजयादशमी) की हार्दिक शुभकामना।।

  

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