Friday 24 October 2014

भाई दूज : भाई बहन के प्रेम का त्यौहार

दीपावली के दूसरे दिन  कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला ''भाई दूज'' त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह के प्रतीक है। इस त्यौहार को यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं वहीं भाई अपनी बहन को बदले में उपहार देता है। 




भाई दूज की कथा जानिए इस लिंक को ओपन करके -

पौराणिक कथा के अनुसार छाया भगवान सूर्यदेव की पत्नी हैं जिनकी दो संतान हुई यमराज तथा यमुना।  यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थी।  वह उनसे सदा यह निवेदन करती थी वे उनके घर आकर भोजन करें।  लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे। एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड़े। रास्ते में यमराज ने नरक में रहनेवाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई को देखते ही यमुना ने बहुत हर्षित हुई और भाई का स्वागत सत्कार किया।

भाई दूज की पूजा विधि का वीडियो  देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/usKzJX-Nxck/Bhai-Dooj-Puja-Vidhi---Puja-Process


इस त्यौहार को महाराष्ट्र में भाव-भीज और बंगाल में भाई-फोटा के रूप में मनाया जाता है। हालांकिचैत्र माह में होली के बाद भी भाई दूज मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिए थे। घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने उनकी आवभगत की थी तब यम ने खुश होकर बहन को वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाद प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कि- आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस दिन जो भाई अपनी बहन से मिलेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे।

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