Tuesday 28 October 2014

छठ पूजा महापर्व : डूबते व उगते सूर्य की पूजा-अर्चना

छठ पूजा महापर्व : जैसा कि आप सब जानते हैं कि भारत वर्ष में हर त्यौहार  धूमधाम से मनाया जाता है। कार्तिक मास में छठ कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। छठ पूजा महापर्व में सूर्योपासना का अनुपम लोकपर्व माना जाता है। यह एक ऐसा महापर्व है जिसमें डूबते हुए तथा उगते हुए सूर्य की पूजा आराधना की जाती है। छठ पूजा मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार,  झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलंवी भी मनाते देखे गए हैं।  धीरे धीरे यह त्यौहार प्रवासी भारतीयों के साथ साथ विश्वभर मे प्रचलित व प्रसिद्ध हो गया है।

छठ पूजा पर डूबते हुए सूर्य की  पूजा-अर्चना करते देखिये इस  लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/chat-puja-part-3
मनोकामना पूर्ण करती हैं छठ मईया :
इस साल छठ पूजा की शुरुआत *सोमवार* ( 27/10/2014) से "नहाय खाय" के साथ हो गयी है। व्रतियों ने सोमवार को अरवा चावल, लौकी व चने की दाल सहित केले की सब्जी खाकर व्रत शुरू किया। इस व्रत को महिला व पुरुष दोनों करते हैं। *मंगलवार* को पावन छठ पर्व का "खरना" रात में किया जाएगा। खरना के दिन व्रती शाम को भगवान सूर्य व चांद को ध्यान कर पूजा अर्चना करते हैं तथा प्रसाद खाकर अगले दिन *बुधवार* को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करेंगे और  *गुरुवार* को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करेंगे तथा प्रसाद वितरण करके व्रत का समापन करेंगे। इन दो दिनों तक निर्जला उपवास किया जाता है। 

छठ  मईया की  पूजा-अर्चना करते देखिये इस  लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/chat-puja-part-4

महिलाएं पानी में खड़ी होकर डूबते व उगते सूर्य की पूजा-अर्चना करती हैं। पूजा के वक्त हाथ में बांस से बने सूप व टोकरी में फल व कंद सहित पकवान के साथ पूजा की जाती है। उगते सूर्य की पूजा के उपरांत छठ पर्व का समापन होता है।  छठ पूजा का इतिहास महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य की पूजा किए जाने का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि छठ देवी भगवान सूर्य की बहन हैं। उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जल की महत्ता को साक्षी मानकर सूर्य की पूजा की जाती है।
छठ मईया के गीत देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/6ma9WFpEVvw/Karab-Hum-Amma-Ji-Bhojpuri-Chhath-Geet-Smita-Singh-Full-Video-Song-I-Chhathi-Maai-Hoihein-Sahay

छठ पूजा के कड़े नियम :
छठ पर्व पर दूसरे दिन यानि खरना पर पूरे दिन का व्रत रखा जाता है और शाम को गन्ने के रस की बखीर (कुछ जगह लोग गुड़ से खीर बनाते हैं वह भी बखीर ही मानी जाती है) बनाकर देवकरी में पांच जगह कोशा( मिट्टी के बर्तन) में बखीर रखकर उसी से हवन किया जाता है। बाद में प्रसाद के रूप में बखीर का ही भोजन किया जाता है तथा सगे संबंधियों में इसे बांटा जाता है। इस दिन का प्रसाद यानि खीर और रोटी बेहद स्वादिष्ट और सेहतमंद होता है। 
शाम के अर्घ्य के दिन दोपहर बाद से ही बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और नौजवान नए वस्त्रों में सुशोभित होकर घाट की ओर प्रस्थान करते हैं। घर के पुरुष सिर पर चढ़ावे वाला दऊरा लेकर आगे-आगे चलते हैं, पीछे-पीछे महिलाएं गीत गाती व्रत स्थल को जाती हैं। वहां पहुंचकर पहले गीली मिट्टी से सिरोपता बनाती हैं। अक्षत-सिंदूर, चंदन, फूल चढ़ाकर वहां एक अर्घ्य रखकर छठी मईया की सांध्य पूजा का शुभारम्भ करती हैं। व्रती नदी में पश्चिम की और मुंह करके खड़े होते हैं और भगवान दिवाकर की आराधना करते हैं। 
भोर-सुबह में छठ मईया की पूजा देखिये इस लिंक इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/chat-puja-part-1

वैसे तो लोग इस दिन घाट पर अपनी मर्जी और सामर्थ्य से फल ले जाते हैं लेकिन विधिवत रूप से एक सूप में कपड़े में लिपटा हुआ नारियल,  पांच प्रकार के फल, पूजा का अन्य सामान ही काफी होता है। शाम को पूजा करने के बाद घर वापस आया जाता है और अगली सुबह की तैयारी की जाती है। अगले दिन सुबह-सुबह सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंचा जाता है और भगवान सूर्य के निकलते ही उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य भगवान से अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। इसके बाद वहीं पर प्रसाद ग्रहण कर व्रत को तोड़ा जाता है और भगवान सूर्य को यह व्रत रखने की क्षमता प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया जाता है। 



No comments:

Post a Comment