Tuesday 25 March 2014

फगुआ गीत से किया जाता है नये साल का स्वागत



हिन्दी महीना के  नये साल का स्वागत फगुआ गीत से किया जाता है जिसे होली के रूप में मनाया जाता है।
पुराने साल की अंतिम रात को होलिका दहन के रूप लकड़ियों के ढेर को जलाकर नाच गाना के साथ विदाई दी जाती है।
सुबह सवेरे नई ताजगी और नए जोश के साथ रंग बिरंगी होली खेलते हुए तथा फगुआ (फाग) गाते हुए घर-घर जाकर सामूहिक नाच गाना करते हुए  मनाया जाता है। पुरुष लोग बेलवरिया, जोगीरा सररररररररा आदि आदि गीत गाते हुए महिलाओं को ललकारते हैं और महिलाएं बाल्टी भर - भरकर रंग पुरुषों पर डालती है।
रंग गुलाल और फागुआ  के साथ  भाँग की घोटाई तथा खूब जमके भाँग पीने का भी आनंद उठाया जाता है। पुरुष उअर महिलाओं में होड़ भी लगती नही कि कौन ज्यादा भांग पी सकता है। भंग के  रंग का आनंद तो तब आता है जब भाँग का नशा सर पर सवार हो जाता है।

फगुआ में भाँग की घोटाई और भाँग पीने का अलग ही आनंद है।
 देखिये इस लिंक में भगवान शिवजी का पार्वती जी से भांग की मांग -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/zwyzLs3DT5c/GANESH%2BKE%2BPAPA.mp4

फ़िल्म - सिलसिला के लिए सदी के महानायक - अमिताभ बच्चन द्वारा  गीत - "रंग बरसे भीजे चुनार वाली  ……"  आज भी बड़े चाव से गाया तथा सूना जाता है।




होली, फगुआ गीत सुनने व देखने के लिए लॉगिन कीजिये -
http://www.bhojpurinama.com/


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