Tuesday 18 March 2014

भारत देश के विभिन्न राज्यों में अलग अलग परम्पराओं में मनायी जाती है : होली


 भारत देश को त्यौहारों का देश के रूप में भी जाना जाता है। होली बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है। यह पर्व हिन्दू पंचांग  के अनुसार फाल्गुन मास  की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है।यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता हैं। 
होलिका जलाने के अगले  दिन लोग रंगों से खेलते हैं। सुबह होते ही सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। गुलाल और रंगों से सबका स्वागत किया जाता है। लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। इस दिन जगह-जगह टोलियाँ रंग-बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती दिखाई पड़ती हैं। बच्चे पिचकारियों से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते हैं। सारा समाज होली के रंग में रंगकर एक-सा बन जाता है। रंग खेलने के बाद देर दोपहर तक लोग नहाते हैं और शाम को नए वस्त्र पहनकर सबसे मिलने जाते हैं। प्रीति भोज तथा गाने-बजाने के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश तथा बिहार की  होली (फगुआ) : पूरी तरह से भारतीय संस्कार को प्रस्तुत करते हुए भोजपुरी में ढोल, मंजीरा, करताल, हारमोनियम आदि वाद्ययंत्रों बजाते एवं  फगुआ गायन करते पूरे गाँव में फेरी लगाते हैं तथा रंग अबीर लगाकर बड़े बुजर्गों का पाँव छूकर आशीर्वाद  लेते हैं। लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।
बृज की होली : यहाँ की होली आज भी सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। बरसाने की लठमार होली काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं।
दिल्ली वालों की दिलवाली होली : दिल्ली की होली तो सबसे निराली है क्योंकि राजधानी होने की वजह से यहाँ पर सभी जगह के लोग अपने ढंग होली मानते है जो आपसी समरसता और सौहार्द का स्वरूप है, वैसे दिल्ली में नेताओं की होली की भी खूब धूमधाम  से  होती है।
राजस्थान की होली : यहाँ मुख्यत: तीन प्रकार की होली होती है। माली होली- इसमें माली जात के मर्द, औरतों पर पानी डालते है और बदले में औरतें मर्दों की लाठियों से पिटाई करती है। इसके अलावा गोदाजी की गैर होली और बीकानेर की डोलची होली भी बेहद ख़ूबसूरत होती है।
पंजाब की होली : होला मोहल्ला पंजाब में होली को 'होला मोहल्ला' कहते है और इसे निहंग सिख मानते है। इस मौके पर घुड़सवारी, तलवारबाज़ी आदि का आयोजन होता है।
महाराष्ट्र की रंगपंचमी : यहाँ पर होली के त्यौहार को रंगपंचमी के नाम से मनाया जाता है। पूरन पोली महाराष्ट्र का विशेष भोजन है। लोग रंगों की सामूहिक होली खेलते हैं तथा  रंग अबीर लगाकर बड़े बुजर्गों का पाँव छूकर आशीर्वाद लेते हैं। गोवा की शिमगो, गुजरात की गोविंदा होली, और पश्चिमी पूर्व की 'बिही जनजाति की होली' की धूम भी निराली है।
कोलकाता : कोलकाता की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यहाँ मिली-जुली आबादी वाले इलाक़ों में मुसलमान और ईसाई तबके के लोग भी हिंदुओं के साथ होली खेलते हैं.
वे राधा-कृष्ण की पूजा से भले दूर रहते हों, रंग और अबीर लगवाने में उनको कोई दिक्क़त नहीं होती। कोलकाता का यही चरित्र यहाँ की होली को सही मायने में सांप्रदायिक सदभाव का उत्सव बनाता है। शांतिनिकेतन की होली का ज़िक्र किये बिना दोल उत्सव अधूरा ही रह जाएगा।
बंगाल  उड़ीसा की होली : बंगाल में होली को 'डोल यात्रा' व 'डोल पूर्णिमा' कहा जाता है। होली के दिन श्री राधा एवं  कृष्णा की प्रतिमाओं डोली में बैठकर पूरे शहर में  घुमाते हैं और औरतें नृत्य करती हैं। इसे बसंत पर्व भी कहते हैं। इसकी शुरुआत रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन में की थी।
उड़ीसा में भी होली को  'डोल पूर्णिमा'  कहते हैं। यहाँ पर भगवान जगन्नाथ जी की  डोली निकाली जाती है।
कर्नाटक में  होली समारोह - कामना हब्बा : यहाँ  यह त्योहार कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान  शिव  ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इस दिन कूड़ा-करकट फटे वस्त्र, एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। आस-पास के सभी पड़ोसी इस उत्सव को देखने आते हैं।

नोट : होली से सम्बंधित गीत देखने लिए लॉगिन करें - www.bhojpurinama.com







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