Tuesday 25 November 2014

कथक नृत्यांगना "सितारा देवी" हमारे बीच नहीं रहीं

हम सभी के दिल में अमर हैं हैं कथक क्वीन सितारा देवी :  सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सितारा देवी का निधन 15 नवम्बर को हो गया। वे 94 वर्ष की थीं। मुंबई के जसलोक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सीतारा देवी का जन्म सन 1920 में 8 नवंबर को ब्राह्मण कथक नर्तक सुखदेव महाराज के घर दीपावली की पूर्वसंध्या पर कोलकाता में हुआ था। उनका बचपन का नाम धनलक्ष्मी था। 16 साल की उम्र में उनकी नृत्य प्रतिभा देखकर रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘नृत्य साम्राज्ञी’ कहा था। कथक क्वीन के नाम से मशहूर सितारा देवी ने भारत सहित अमेरिका और ब्रिटेन के कई शहरों में भी प्रस्तुति दी।
मां-बाप के लाड-दुलार से वंचित होना पड़ा था : इनका मूल नाम धनलक्ष्मी और घर में धन्नो था। इनको बचपन में मां-बाप के लाड-दुलार से वंचित होना पड़ा था। मुंह टेढ़ा होने के कारण भयभीत मां-बाप ने उसे एक दाई को सौंप दिया जिसने आठ साल की उम्र तक उसका पालन-पोषण किया। इसके बाद ही सितारा देवी अपने मां बाप को देख पाईं। 




बाल विवाह : उस समय की परम्परा के अनुसार सितारा देवी का विवाह आठ वर्ष की उम्र में हो गया। उनके ससुराल वाले चाहते थे कि वह घरबार संभालें लेकिन वह स्कूल में पढना चाहती थीं। स्कूल जाने के लिए जिद पकड लेने पर उनका विवाह टूट गया और उन्हें कामछगढ हाई स्कूल में दाखिल कराया गया। वहां उन्होंने मौके पर ही नृत्य का उत्कृष्ट प्रदर्शन करके सत्यवान और सावित्री की पौराणिक कहानी पर आधारित एक नृत्य नाटिका में भूमिका प्राप्त करने के साथ ही अपने साथी कलाकारों को नृत्य सिखाने का उत्तरदायित्व भी प्राप्त कर लिया। बाद में उनकी दो शादियां (पहली मुगल-ए-आजम फेम के. आसिफ और दूसरी प्रताप बारोट से ) हुईं, लेकिन दोनों ही नहीं चलीं। दूसरी शादी से उनका एक बेटा रंजीत बारोट है।

बाल्यकाल अवस्था में फिल्म ‘उषाहरण’ में काम : बाल्यकाल अवस्था महज 12-13 साल की उम्र में फिल्मकार निरंजन शर्मा के अनुरोध पर पिता ने ना चाहते हुए भी सितारा को मां और बुआ के साथ फिल्म ‘उषाहरण’ में काम करने मुंबई भेज दिया. इस फिल्म में उन्होंने एक बाल नृत्यांगना की भूमिका निभायी थी। 





सितारा देवी ने और भी कई फिल्मों में भी काम किया : सितारा देवी ने और भी कई फिल्मों में भी काम किया है। उनकी फिल्मों में शहर का जादू (1934), जजमेंट आफ अल्लाह (1935), नगीना, बागबान, वतन (1938), मेरी आंखें (1939) होली, पागल, स्वामी (1941), रोटी (1942), चांद (1944), लेख (1949), हलचल (1950) और मदर इंडिया (1957) प्रमुख हैं।




बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया : इन्होंने तीन घंटे के एकल गायन से नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को प्रभावित किया था। सितारा देवी ने बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया है। मधुबाला, रेखा, माला सिन्हा और काजोल जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है। 


पद्म श्री सम्मान : 1973 में सितारा देवी को पद्म श्री सम्मान मिला था जिसे इन्होंने  ठुकरा दिया था। कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है। ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है। मैं भारत रत्न से कम नहीं लूंगी। वे संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री और कालिदास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान पा लिया था। सितारा देवी के बेटे विदेश में रहते है, बेटे के लौटने के बाद मुंबई में ही गुरूवार को सितारा देवी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। बॉलीवुड में कथक नृत्य कला को लाने का श्रेय इन्‍हीं को जाता हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें और स्वर्ग में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त हो।



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