हम सभी के दिल में अमर हैं हैं कथक क्वीन सितारा देवी : सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सितारा देवी का निधन 15 नवम्बर को हो गया। वे 94 वर्ष की थीं। मुंबई के जसलोक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सीतारा देवी का जन्म सन 1920 में 8 नवंबर को ब्राह्मण कथक नर्तक सुखदेव महाराज के घर दीपावली की पूर्वसंध्या पर कोलकाता में हुआ था। उनका बचपन का नाम धनलक्ष्मी था। 16 साल की उम्र में उनकी नृत्य प्रतिभा देखकर रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘नृत्य साम्राज्ञी’ कहा था। कथक क्वीन के नाम से मशहूर सितारा देवी ने भारत सहित अमेरिका और ब्रिटेन के कई शहरों में भी प्रस्तुति दी।
मां-बाप के लाड-दुलार से वंचित होना पड़ा था : इनका मूल नाम धनलक्ष्मी और घर में धन्नो था। इनको बचपन में मां-बाप के लाड-दुलार से वंचित होना पड़ा था। मुंह टेढ़ा होने के कारण भयभीत मां-बाप ने उसे एक दाई को सौंप दिया जिसने आठ साल की उम्र तक उसका पालन-पोषण किया। इसके बाद ही सितारा देवी अपने मां बाप को देख पाईं।


बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया : इन्होंने तीन घंटे के एकल गायन से नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को प्रभावित किया था। सितारा देवी ने बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया है। मधुबाला, रेखा, माला सिन्हा और काजोल जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है।

पद्म श्री सम्मान : 1973 में सितारा देवी को पद्म श्री सम्मान मिला था जिसे इन्होंने ठुकरा दिया था। कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है। ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है। मैं भारत रत्न से कम नहीं लूंगी। वे संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री और कालिदास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान पा लिया था। सितारा देवी के बेटे विदेश में रहते है, बेटे के लौटने के बाद मुंबई में ही गुरूवार को सितारा देवी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। बॉलीवुड में कथक नृत्य कला को लाने का श्रेय इन्हीं को जाता हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें और स्वर्ग में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त हो।
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