फिल्में मनोरंजन ही नहीं अपितु जन जागरण का भी एक सशक्त माध्यम हैं।हमारे देश में हिन्दी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्मों का निर्माण हुआ है और हो रहा है, हालांकि हिन्दी फिल्मों का निर्माण जिस तरह हो रहा है उस तरह इलेक्ट्रॉनिक यन्त्रों का प्रचलन बढ़ा है तब से सिनेमाघर लगातार बन्द होने लगे हैं और दर्शक बड़े पर्दे पर फिल्में न देखकर घर के छोटे कमरे में बैठकर उनकाआनन्द उठाते हैं। फिल्म एक ऐसा माध्यम है जो जिस भाषा में बनती है उसी क्षेत्रकी संस्कृति को दर्शाती है। सभ्यता, संस्कृति और परम्पराओं के अलावा फिल्मोंमें मनोरंजन हेतु गीत गाने स्टंट (मारधाड़) आदि का चित्रांकन पटकथा के अनुसार किया जाता है। भोजपुरी भाषा को पुरबिया भाषा कहते हैं, जो उत्तर प्रदेशके पूर्वांचल से शुरू होकर बिहार, झारखण्ड आदि प्रदेशों में बोली जाती है। प्रदेश के पूर्वांचल गोरखपुर, बलिया, देवरिया, गाजीपुर, मऊ, वाराणसी, चन्दौली, जौनपुर, आजमगढ़ जिलों सहित बिहार, झारखण्ड प्रान्तों में भोजपुरी भाषा बोली जाती है।
देखिये भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म : गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो का एक गीत इस लिंक में -

गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो का एक गीत इस लिंक में -
हम अपने पाठकों की जानकारी के लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं भोजपुरी फिल्मों के निर्माणके 50 वर्ष पूरे होने पर एक रिपोर्ट- दैनिक जागरण गोरखपुर संस्करण में सहायक संपादक के पद पर कार्यरत धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय की दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट पढ़ा जिसमें उन्होंने भोजपुर सिनेमा के 50 वर्ष पूरे होने का जिक्र किया था और उसमें दी गई जानकारी भी काफी रोचक लगी। धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय से सम्पर्क कर उनसे उक्त रिपोर्ट को रेनबो न्यूज के लिए मांगा गया, फिर भी आलेख नहीं मिल पाया। सोचा गया कि क्यों न इसे अपने ढंग से पाठकों की जानकारी केलिए प्रकाशित किया जाए। यहाँ प्रस्तुत है भोजपुरी सिनेमा के 50 साल पूरे होने से सम्बन्धित रोचक जानकारी।

इसी दौरान नाजिर हुसैन ने कोयला खदान मालिक विश्वनाथ शाहाबादी से बात किया। विश्वनाथ शाहाबादी भी भोजपुरी बनाने को लेकर डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद से प्रेरित थें। शाहाबादी मुम्बई पहुँचे और दादर के प्रीतम होटल में ठहरें वहीं नाजिर हुसैन के साथ पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’’ के निर्माण की योजनाबनी। फिल्म के निर्देशक की जिम्मेदारी वाराणसी के कुन्दन कुमार को सौंपी गई। इस फिल्म में नायक असीमकुमार और नायिका कुमकुम थीं। इसके अलावा पद्मा खन्ना, रामायण तिवारी समेत कई कलाकारों का चयन हुआ।फिल्म में संगीत दिया था चित्रगुप्त नें और गीतकार थें शैलेन्द्र।
साभार : रीता विश्वकर्मा
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