Wednesday 29 July 2015

भारत रत्‍न एपीजे अब्दुल कलाम का निधन : देश ने एक प्रख्यात वैज्ञानिक, कुशल शिक्षक व कवि खो दिया


भारत रत्न  पूर्व राष्‍ट्रपति और अब्‍दुल कलाम आजाद का हमारे बीच से हमेशा के लिए विदा होना देश के लिए बहुत बड़ी अपूरणीय क्षति है, जिसे कभी भी नहीं पूर्ण किया जा सकता है। कुछ लोग दुनियाँ से जाते समय सिर्फ भाव छोड़ जाते हैं, कुछ लोग सिर्फ शब्द छोड़कर जाते हैं और कुछ लोग सिर्फ कर्म छोड़कर जाते हैं। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जिनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम भाव, शब्द और कर्म तीनों ही छोड़कर गए हैं।  83 साल के कलाम की शिलांग में आईआईएम में लेक्‍चर देने गए थे लेकिन वहीं पर भाषण देने के दौरान वह बेहोश होकर गिर पड़े। जानकारी के अनुसार उन्‍हें वहां के ही एक अस्‍पताल में 7 बजे भर्ती कराया गया था। सूत्रों ने बताया कि उनकी ब्‍लड प्रेशर और दिल की धड़कन एकदम से कम हो गई थी जिसके बाद उन्‍हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। 
जीवन परिचय : भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात अब्दुल कलाम का जन्म 5 अक्टूबर 1931 को हुआ था तथा मृत्यु  27 जुलाई 2015  को हुई। भारत के अब तक के सर्वाधिक लोकप्रिय व चहेते राष्ट्रपतियों में से एक डॉ. अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम ने तमिलनाडु के एक छोटे से तटीय शहर रामेश्वरम में अखबार बेचने से लेकर भारत के राष्ट्रपति पद तक का लंबा सफर तय किया है। पूर्व राष्ट्रपति अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम को पूरा देश एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानता है। वैज्ञानिक और इंजीनियर कलाम ने 2002 से 2007 तक 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की। मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध कलाम देश की प्रगति और विकास से जुड़े विचारों से भरे व्यक्ति थे।
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ। पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। ये मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा। आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बजे उठते थे और नहाकर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे। सुबह नहाकर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे। ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे।
कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को बताते थे। वो कहते थे कि ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे। एक बार उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए, वहां कई पक्षी उड़ रहे थे। कुछ समुद्र किनारे उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे, वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया, साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है। उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी। बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाऊं। मैंने बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं। 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। कलाम ने विजन 2020 दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई। कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया। उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया। कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई।
इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर था। दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने का प्रस्ताव था। पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए। कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया। सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया। इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है। इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
अब्दुल कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पर पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया।
भारत  अनाथ हो गया। न कोई ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब जैसा था न हो सकता है। भारत के इस लाडले सपूत को भावभीनी श्रद्धांजलि । आपकी खाली जगह पूरे संसार में कोई नहीं भर सकता है।

कलाम साहब आपको को शत शत नमन !!

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