Tuesday 21 July 2015

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के ‪अग्रदूत‬ बाग़ी‬ ‪बलिया‬ शहीद मंगल पाण्डेय जी की ‪जयन्ती‬ विशेष

माँ भारती के अमर सपूत प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत‬  बाग़ी‬ बलिया‬ शहीद मंगल पाण्डेय जी का जन्म १९ जुलाई १८२७ ई. को ग्राम नागवा, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैण्ट्री की ३४वी रेजीमेण्ट में सिपाही के रूप कार्यरत थे। ८ अप्रैल १८५७ को बैरकपुर में अंग्रेजों द्वारा फाँसी की सजा से शहीद हो गये। 
जीवन परिचय : बाग़ी‬ बलिया‬ अमर शहीद मंगल पांडे हरजोत कोली कलोली के  पक्का दोस्त थे।  उत्तर प्रदेश को अंग्रेजी हुकूमत के समय में संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में जिला बलिया के  नागवा गाँव में उनका हुआ था। 
विद्रोह की शुरुआत : भारत की आजादी की पहली लड़ाई अर्थात् १८५७ के विद्रोह की शुरुआत मंगल पाण्डेय से हुई।  जब गाय व सुअर की  चर्बी लगे कारतूस लेने से मना करने पर उन्होंने विरोध जताया, जिसके  परिणाम स्वरूप उनके हथियार छीन लिये जाने व वर्दी उतार लेने का फौजी हुक्म हुआ। मंगल पाण्डेय ने उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया और २९ मार्च सन् १८५७ ई. को उनकी राइफल छीनने के लिये आगे बढ़े  अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण कर दिया। आक्रमण करने से पूर्व उन्होंने अपने अन्य साथियों से उनका साथ देने का आह्वान भी किया था किन्तु कोर्ट मार्शल के डर से जब किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपनी ही रायफल से उस अंग्रेज अधिकारी मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया जो उनकी वर्दी उतारने और रायफल छीनने को आगे आया था। इसके बाद विद्रोही मंगल पाण्डेय को अंग्रेज सिपाहियों ने पकड लिया। उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर ६ अप्रैल १८५७ को मौत की सजा सुना दी गयी। 
शहीद दिवस : कोर्ट मार्शल के अनुसार उन्हें १८ अप्रैल १८५७ को फाँसी दी जानी थी, परन्तु इस निर्णय की प्रतिक्रिया कहीं विकराल रूप न ले ले। इसी कूट रणनीति के तहत क्रूर ब्रिटिश सरकार ने मंगल पाण्डेय को निर्धारित तिथि से दस दिन पूर्व ही ८ अप्रैल सन् १८५७ को फाँसी के फन्दे पर लटका कर शहीद कर दिया।

No comments:

Post a Comment