Tuesday 9 September 2014

गणेश चतुर्थी उत्सव -


महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में गणेश चतुर्थी की पूजा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। पूरे ग्यारह दिन तक श्रद्धा - भक्ति के साथ मनाये जाने वाले इस महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व का बड़ा महत्व है। यह पर्व घरेलू उत्सव तथा सार्वजनिक उत्सव के रूप में पूजा, अर्चना, भजन, आरती के साथ हर्सोल्लाष साथ  मनाया जाता है। प्रसाद में श्री गणेश जी मन पसंद भोग मोदक चढ़ाया जाता है। पूरे भारत में मनाया  जाने वाला यह पावन पर्व महाराष्ट्र का गणेशोत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में भी पुणे का गणेशोत्सव बहुत ही प्रसिद्ध है। यह उत्सव हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की चतुर्थी से ग्यारह दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी भी कहते हैं।
गणेशजी भगवान की आरती देखने व सुनने के लिए इस लिंक को क्लिक कीजिए. 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/D_2llhhAzYw/arti-ganesh-ji-ki

गणेशोत्सव - 
गणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र में  मंगलपूर्ति के नाम से पूजा जाता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है।मैसूर  तथा तंजौर  के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं।
गणेश हिन्दुओं के आदि आराध्य देव है। हिन्दू धर्म में गणेश को एक विशष्टि स्थान प्राप्त है। कोई भी धार्मिक उत्सव हो, यज्ञ, पूजन इत्यादि सत्कर्म हो या फिर विवाहोत्सव हो, निर्विध्न कार्य सम्पन्न हो इसलिए शुभ के रूप में गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। महाराष्ट्र में सात वाहन, राष्ट्रकूट, चालुक्य आदि राजाओं ने गणेशोत्सव की प्रथमा चलायी थी। छत्रपति शिवाजी महाराज भी गणेश जी  की उपासना किया करते थे। 

आजादी की लड़ाई में गणेशोत्सव का उपयोग  -
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, वीर सावरकर और कवि गोविंद ने नासिक में ‘मित्रमेला’ संस्था बनाई थी। इस संस्था का काम था देशभक्तिपूर्ण पोवाडे (मराठी लोकगीतों का एक प्रकार) आकर्षक ढंग से बोलकर सुनाना। इस संस्था के पोवाडों ने पश्चिमी महाराष्ट्र में धूम मचा दी थी। कवि गोविंद को सुनने के लिए लोगों उमड़ पड़ते थे। राम-रावण कथा के आधार पर वे लोगों में देशभक्ति का भाव जगाने में सफल होते थे। उनके बारे में वीर सावरकर ने लिखा है कि कवि गोविंद अपनी कविता की अमर छाप जनमानस पर छोड़ जाते थे। गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किए जाने की बात पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। बाद मेंनागपुर, वर्धा, अमरावती  आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेज भी इससे घबरा गये थे। इस बारे में रोलेट समिति रपट में भी चिंता जतायी गयी थी। रपट में कहा गया था गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन विरोधी गीत गाती हैं व स्कूली बच्चे पर्चे बांटते हैं। जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और मराठों से शिवाजी की तरह विद्रोह करने का आह्वान होता है। साथ ही अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक संघर्ष को जरूरी बताया जाता है। गणेशोत्सवों में भाषण देने वाले में वीर सावकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय,  मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्ट चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू आदि प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे।

गणेश जी का मंत्र सुनिए इस लिंक में

गणेश विसर्जन -
ग्यारह दिनों तक हर्सोल्लाष के साथ घरों में तथा सार्वजनिक पंडालों में श्रद्धा भाव से पूजा, अर्चना, भजन, आरती के साथ उपासना करने के बाद नदी अथवा समुद्र के गहरे पानी में गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। सभी लोग आतिशबाज़ी, बैंडबाजा के सड़कों पर नाचते गाते हुए तथा "गणपति बाप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" का नारा  लगाते हुए गणेश विसर्जन के साथ पर जाते हैं। 


गणेश जी का भजन एवं आरती देखने के लिए लोगिन कीजिये -

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