Sunday 9 August 2015

सावन का पहला सोमवार का महत्त्व

 हिन्दू वर्ष में सावन माह को सबसे पवित्र माह माना जाता है। सावन को श्रावण मास भी कहा जाता है। यह पूरा महीना भोलेबाबा की पूजा का विशेष महत्त्व  है। जो श्रद्धालु भक्त सोमवार का व्रत नहीं रख पाते हैं अथवा रोज शंकर जी की  पूजा नहीं कर पाते हैं, वो लोग अगर सावन महीने का पहले सोमवार का व्रत रख लेते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इसी वजह से सावन माह के पहले  सोमवार का विशेष महत्त्व है। इस माह में पूरे महीने लोग गंगा घाट से गंगा जल लेकर दूर स्थान पर स्थित शिव मंदिर में शिव लिंग पर जलाभिषेक करने लिए समूह में श्रद्धालु गण नंगे पाँव पैदल चलकर पहुँचते हैं, जिन्हें काँवरिया कहते हैं। जिनकी मनोकामना पूरी जाती है वे मनौती के अनुसार काँवरिया बनके जलाभिषेक किया करते हैं।  पूरे माह तक लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। 

सावन का महीना भगवान भोलेनाथ  शिव शंकर की पूजा  श्रद्धा भक्ति का  होता है। सावन मास को सबसे पवित्र माह के रूप में माना  जाता है। इस माह में जितने भी सोमवार आते हैं उस दिन सुबह तड़के भोर में श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करके जल लेकर नंगे पाँव कई किलोमोटर दूर भोलेबाबा के मंदिर में काँवरिया का हिस्सा बनकर बोलबम का नारा लगाते हुए बाबा धाम पहुँचते हैं। सारा कष्ट भूलकर शिव लिंग पर गंगाजल चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद पर्याप्त करते हैं। भोले बाबा सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। लोग नाना प्रकार से अपनी श्रद्धा के अनुसार फल, फूल, बेलपत्र आदि शिवलिंग पर चढाकर भगवान शिव को खुश करते हैं। इस बार सावन माह में चार सोमवार है।
मनीषियों के अनुसार सावन महीने में ही समुद्र मंथन भी किया गया ,था।  मंथन में १४ प्रकार के तत्व की प्राप्ति हुई थी। विष को छोड़कर सभी १३ तत्व देवताओं और राक्षसों में वितरण किया गया था। विष को भोले बाबा ने ने पीकर अपने कण्ठ  में संग्रह कर लिए, जिससे वे नीलकण्ठ कहलाते हैं। देवताओं ने भगवान शिव को विष के प्रभाव से बचने के लिए उन्हें गंगाजल अर्पित किया। उस दिन  शिव भक्त सावन महीने में भगवान भोले शंकर को जलाभिषेक करते हैं। भोले दानी की क्रिपा सभी भक्तों पर बनी रहे। 

जय भोलेनाथ की !!
!! ॐ नमः शिवाय !!








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