Friday 18 July 2014

अब इंटरनेट पर भी बाबा की पूजा-अर्चना व जलार्पण



मंदिर प्रबंधन बोर्ड ने की तैयारी
* बाबाधाम डॉट ओआरजी साइट में मिली सुविधा
* घर बैठे ही भक्त लेंगे पूजा-अर्चना का आनंद 


अब देश-विदेश के भक्त घर बैठे ही श्रावणी मेले में बाबा बैद्यनाथ पूजा-अर्चना व जलार्पण के वीडियो को इंटरनेट पर देख सकेंगे. इसके लिए मंदिर प्रबंधन बोर्ड की ओर से तैयारी की जा रही है. बोर्ड के सचिव सह डीसी अमीत कुमार ने बताया कि बाबाधाम डॉट ओआरजी साइट खोलते ही मंदिर में पूजा-पाठ से संबंधित जानकारी, फोटो व वीडियो उपलब्ध होगी.
 इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो शुक्रवार से ही यह दिखने लगेगा. इसमें बाबा पर जलार्पण, कांवरियों की कतारबद्ध व्यवस्था, मानसरोवर तट, बीएड कॉलेज परिसर, तिवारी चौक, जलसार रोड सहित कुल 15 जगहों को लाइव देखा जा सकता है. इससे भक्तों के अलावा पर्यटक भी जानकारी हासिल करेंगे. 


* कांवरियों की कतार हो जाती है आठ किमी लंबी
* जब 5 से 10 घंटे लाइन में लगना पड़ता है तो टाइम स्लॉट प्रवेश कार्ड का क्या औचित्य?
* भेड़-बकरी की तरह महिला,  * बच्चे व पुरुष लगाये जाते हैं एक  ही कतार में
* विथ फैमिली पूजा का दावा खोखला
* मानसिंघी फुटओवर ब्रिज के बाद ही कांवरियों को मिलती है राहत

श्रावणी मेला : टाइम स्लॉट प्रवेश कार्ड का प्रबंधन फेल

भक्त परेशान, कतार में हो रही अफरा-तफरी


पिछले वर्ष की तरह इस बार भी टाइम स्लॉट प्रवेश कार्ड का प्रबंधन बिल्कुल ही फेल साबित हो रहा है. क्योंकि इस सिस्टम से भी कांवरियों की कतार लंबी लग रही है. तकरीबन आठ किमी लंबी कतार हो जा रही है. औसतन पांच से दस घंटे कांवरियों को कतार में खड़ा होना पड़ रहा है. इस कारण भक्त परेशान हैं. कतार में रोजाना अफरा-तफरी व अव्यवस्था दिख रही है. टाइम स्लॉट प्रवेश कार्ड सिस्टम लागू करने के पीछे उद्देश्य था कि कांवरियों को लंबी कतार से मुक्ति मिलेगी. उन्हें सीधे जलसार मोड़ में कतार में लगना होगा और वे कम समय में बाबा को जलार्पण कर सकेंगे. जो टाइम उन्हें कार्ड में दिया जायेगा उस अनुरूप वे अपनी खरीदारी, अपने पुरोहितों से जल का संकल्प या आराम कर सकेंगे. लेकिन जिला प्रशासन का यह दावा कि टाइम स्लॉट सिस्टम बेहतर ढंग से काम कर रहा है, श्रद्धालु आराम से जलार्पण कर रहे हैं, खोखला साबित हो रहा है. 

* कार्ड ले सीधे कतार में लगते हैं कांवरिये

जब भक्तों को प्रवेश कार्ड मिल जाता है तो उन्हें जलसार मोड़ में इंट्री नहीं मिलती है वे कतार की अंतिम छोर यानी बीएड कालेज, नंदन पहाड़ या बरमसिया में जाकर कतार में खड़े होते हैं. वहां से उन्हें जलसार मोड़ और नेहरू पार्क तक पहुंचने में कई घंटे लग जाते हैं. कार्ड में लिखे टाइम का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. कार्ड को देखने वाला कतार में कोई नहीं है, कांवरियों की काउंसेलिंग करना वाला कोई नहीं है. इस कारण कार्ड लेते ही कांवरिये कतार में खड़े हो जाते हैं. क्योंकि वे देखते हैं कि बड़े पंडालों में कोई वेट नहीं कर रहा है. जो भी आ रहे हैं सभी कतार में खड़े हो रहे हैं. इस कारण कतार में देखा जाता है कि जलसार मोड़ के पास जो कांवरिया कतार में खड़ा है वह दोपहर 12 से 3 बजे का कार्ड लिये हैं और जो बीएड कॉलेज या बरमसिया में खड़े हैं वह सुबह तीन से पांच बजे का कार्ड लिये है। 

* सिस्टम तो लागू किया लेकिन प्रबंधन फेल

जिला प्रशासन ने टाइम स्लॉट सिस्टम लागू कर तो कर दिया लेकिन यह फेल हो रहा है. क्योंकि नेहरू पार्क का स्कैनर पहले दिन से ही खराब है. कई काउंटर खाली रहते हैं. सरासनी में एक कांवरिया जिसने प्रवेश कार्ड लिया, उस वक्त दिन के 11 बज रहे थे लेकिन उसे जो कार्ड जारी किया गया, उसमें सुबह 9 से 11 बजे का टाइम स्लॉट मिला था. इसी से पता चलता है कि प्रशासन सिर्फ कार्ड जारी कर रहा है या उसमें दिये टाइम का कोई महत्व है.




काँवरिया से समबन्धित गीत सुनने एवं देखने के लिए लॉगिन करें 

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