हिन्दी महीना के नये साल का स्वागत फगुआ गीत से किया जाता है जिसे होली के रूप में मनाया जाता है।
पुराने साल की अंतिम रात को होलिका दहन के रूप लकड़ियों के ढेर को जलाकर नाच गाना के साथ विदाई दी जाती है।
सुबह सवेरे नई ताजगी और नए जोश के साथ रंग बिरंगी होली खेलते हुए तथा फगुआ (फाग) गाते हुए घर-घर जाकर सामूहिक नाच गाना करते हुए मनाया जाता है। पुरुष लोग बेलवरिया, जोगीरा सररररररररा आदि आदि गीत गाते हुए महिलाओं को ललकारते हैं और महिलाएं बाल्टी भर - भरकर रंग पुरुषों पर डालती है।
इस लिंक में देखिये फगुआ गीत -
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फगुआ में भाँग की घोटाई और भाँग पीने का अलग ही आनंद है।
देखिये इस लिंक में भगवान शिवजी का पार्वती जी से भांग की मांग -
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फ़िल्म - सिलसिला के लिए सदी के महानायक - अमिताभ बच्चन द्वारा गीत - "रंग बरसे भीजे चुनार वाली ……" आज भी बड़े चाव से गाया तथा सूना जाता है।
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