भारत देश को त्यौहारों का देश के रूप में भी जाना जाता है। होली बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है।यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता हैं।
उत्तर प्रदेश तथा बिहार की होली (फगुआ) : पूरी तरह से भारतीय संस्कार को प्रस्तुत करते हुए भोजपुरी में ढोल, मंजीरा, करताल, हारमोनियम आदि वाद्ययंत्रों बजाते एवं फगुआ गायन करते पूरे गाँव में फेरी लगाते हैं तथा रंग अबीर लगाकर बड़े बुजर्गों का पाँव छूकर आशीर्वाद लेते हैं। लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।
बृज की होली : यहाँ की होली आज भी सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। बरसाने की लठमार होली काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं।
दिल्ली वालों की दिलवाली होली : दिल्ली की होली तो सबसे निराली है क्योंकि राजधानी होने की वजह से यहाँ पर सभी जगह के लोग अपने ढंग होली मानते है जो आपसी समरसता और सौहार्द का स्वरूप है, वैसे दिल्ली में नेताओं की होली की भी खूब धूमधाम से होती है।
वे राधा-कृष्ण की पूजा से भले दूर रहते हों, रंग और अबीर लगवाने में उनको कोई दिक्क़त नहीं होती। कोलकाता का यही चरित्र यहाँ की होली को सही मायने में सांप्रदायिक सदभाव का उत्सव बनाता है। शांतिनिकेतन की होली का ज़िक्र किये बिना दोल उत्सव अधूरा ही रह जाएगा।
बंगाल उड़ीसा की होली : बंगाल में होली को 'डोल यात्रा' व 'डोल पूर्णिमा' कहा जाता है। होली के दिन श्री राधा एवं कृष्णा की प्रतिमाओं डोली में बैठकर पूरे शहर में घुमाते हैं और औरतें नृत्य करती हैं। इसे बसंत पर्व भी कहते हैं। इसकी शुरुआत रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन में की थी।
उड़ीसा में भी होली को 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं। यहाँ पर भगवान जगन्नाथ जी की डोली निकाली जाती है।
कर्नाटक में होली समारोह - कामना हब्बा : यहाँ यह त्योहार कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इस दिन कूड़ा-करकट फटे वस्त्र, एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। आस-पास के सभी पड़ोसी इस उत्सव को देखने आते हैं।
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