{ फ़िल्म निर्माता - विश्वनाथ शाहाबादी एवं प्रथम राष्ट्रपति - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद } |
भोजपुरी सिनेमा का सुनहरा दौर दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी ही है। यह भाषा आम बोल चाल में इतनी सरल है कि हिन्दी भाषा जानने और समझने वाला कोई भी व्यक्ति आसानी से समझ लेता है। अगर हम बात करें हिन्दी सिनेमा के निर्माण की तो आज से 50 साल पहले की जितनी हिन्दी फिल्मों का निर्माण हुआ है लगभग सभी फिल्मों का भोजपुरी परिवेश में ही चरित्र-चित्रण किया गया है।
आइये जानते हैं भोजपुरी सिनेमा के अब तक के 50 साल के सफ़र बारे में :
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भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत :- जहाँ हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे हुए हैं, वहीँ भोजपुरी सिनेमा ने भी अपने 50 साल के सफ़र को पार कर अपनी राह पर तेज़ कदमों से आगे बढ़ रहा है। भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत यूँ तो सन 1960 में हुईं जब भारत के पहले राष्ट्रपति डा० राजेंद्र प्रसाद, जो कि बिहार में जन्में और पले बढ़े थे। उन्होंने फ़िल्म निर्माता विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी से मुलाकात कर भोजपुरी फिल्म बनाने की प्रेरणा दी और तीन साल बाद 1963 में, यानि आज से 50 साल पहले भोजपुरी की पहली फिल्म बनकर प्रदर्शित हुई जिसका नाम था *गंगा मईया तोहे पियरी चढ़ाइबो* जिसे विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी के बैनर निर्मल पिक्चर्स के बैनर तले कुन्दन कुमार के निर्देशन में बनाया गया था।
{ अभिनेता - नासिर हुसैन एवं प्रथम राष्ट्रपति - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद } |
पहला भाग समाप्त : दूसरा भाग आप पढ़िये शुक्रवार को शाम के समय।
नोट : हमारा हर पोस्ट प्रत्येक सप्ताह मंगलवार और शुक्रवार को किया जायेगा।
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