Friday, 21 March 2014

हिन्दी नववर्ष का आरम्भ है : फगुआ

भारत देश में हर ख़ुशी के लम्हों को त्यौहारों से जोड़कर मनाया जाता है। इसी  वजह से भारतवर्ष को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है। भारत देश की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ सभी धर्मों के लोग "सर्व धर्म समभाव'' की सदभावना के साथ रहते हैं। इसीलिए यह नारा लगाया जाता है - "हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, आपस में हैं भाई भाई''। जिस तरह से हिन्दू धर्मं में जो महत्व 'होली' का है वही महत्व इस्लाम में "ईद' का तथा ईसाईयों में 'क्रिसमस' का है।

फाल्गुन मास की शुरुआत बसंत ऋतु के रूप में होती है। वसंत के स्वागत में प्रकृति का कण-कण खिलने लगा है। पेड़-पौधों-फूलों पर बहार, खेतों में सरसों का चमकता सोना, गेहूं की सुडौल बालियां, आम के पेड़ों पर लदे बौर ऋतुराज के अभिनंदन में नत मस्तक हो रहे हैं। मौसम सुहाना हो गया है। न अधिक गर्मी है न अधिक ठंड। पूरे वर्ष को जिन छः ऋतुओं में बांटा गया है, उनमें वसंत मनभावन मौसम है।
फाल्गुन माह की अंतिम रात (पूर्णिमा) पूनम की रात को होली जलाकर ख़ुशी मनायी जाती है। साल की आखिरी रात होती है। सुबह नयी ताज़गी  साथ चैत्र महीने का पहिला दिन नववर्ष का आरम्भ होता है जिसे रंग गुलाल के साथ लोगो से गले मिलकर  होली के रूप में मनाया जाता है।
नववर्ष की शुरुआत का महत्व :- 

कोयल की कुंतर पुकार
बाग-बगीचों में बौराए हैं आम।
हर घर में सजी है गुड़ी 
नववर्ष की आई है सुहानी घड़ी।।
हिन्दी नववर्ष को भारत के प्रांतों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार मनाया जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण तिथियां मार्च और अप्रैल के महीनों में आती हैं। इस नववर्ष को प्रत्येक प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। फिर भी पूरा देश चैत्र माह में ही नववर्ष मनाता है और इसे नवसंवत्सर के रूप में जाना जाता है।


इस माह में चैता का विशेष महत्त्व है देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/dc3aTd6sSfk/Chait%2Bmaas-chaita%2Bgeet%2528Bhojpuri%2529Meghdoot%2BKi%2BPoorvanchal%2BYatra

गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी, नवरेह, चेटीचंड, उगाड़ी, चित्रेय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नवसंवत्सर के आसपास आती हैं। इसी दिन से सतयुग की शुरुआत मानी जाती है।

चैता गीत को देखें व सुनने के लिए  को क्लिक किजिए -

भोजपुरी से जुड़े हुए वीडियो देखने के लिए लॉगिन कीजिये -

No comments:

Post a Comment