बडा मंगल मनाने के पीछे एक और
कहानी है। नवाब सुजा-उद-दौला की दूसरी पत्नी जनाब-ए-आलिया को स्वप्न आया कि उसे
हनुमान मंदिर का निर्माण कराना है। सपने में मिले आदेश को पूरा करने के लिये आलिया
ने हनुमान जी की मूर्ति मंगवाई। हनुमान जी की मूर्ति हाथी पर लाई जा रही थी।
मूर्ति को लेकर आता हुआ हाथी अलीगंज के एक स्थान पर बैठ गया और फिर उस स्थान से
नहीं उठा। आलिया ने उसी स्थान पर मंदिर बनवाना शरू कर दिया जो आज नया हनुमान मंदिर
कहा जाता है। मंदिर का निर्माण ज्येष्ठ महीने में पूरा हुआ। मंदिर बनने पर मूर्ति
की प्राण प्रतिष्ठा करायी गयी और बड़ा भंडारा हुआ। तभी से जेठ महीने का हर मंगलवार
बड़ा मंगल के रूप में मनाने की पर परा चल पड़ी।
अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर के साथ अभिनेता स्वर्गीय सुनील दत्त का भी नाम जुडा़ हुआ है। देश विभाजन के बाद लखनऊ आने पर अभिनेता सुनील दत्त ने इसी मंदिर के प्रांगण में रात बिताई थी और उन्हें सोते समय स्वप्न हुआ था कि मुंबई जाओ। वहां तुम्हारा भाग्य चमकेगा। सुनील दत्त ने लखनऊ से सीधे मुंबई का रूख किया और सफलता प्राप्त की।
चार सौ साल पुरानी इस परंपरा ने इतना बृहद रूप ले लिया है कि अब पूरे लखनऊ के हर चौराहे, हर गली और हर नुक्कड पर भंडारा चलता है। पूरे दिन शहर बजरंगबली की आराधना से गूंजता रहता है और हर व्यक्ति जाति, धर्म, अमीरी-गरीबी सब भूला कर भंडारा में हिस्सा लेने और हनुमानजी का प्रसाद ग्रहण करने की होड़ में लग जाता है। हनुमान जी की कृपा सभी पर बनी रहे।
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