हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा
३५ करोड़ लोगों के बीच बोली जाने वाली भोजपुरी बोली पूरे भारत विभिन्न राज्यों के
अलावा विदेश में भी बोली जाती है. भोजपुरी बोली की एक पहचान भोजपुरी सिनेमा से भी
है.
लोकगीत तालुकदार यादव पहलवान का बिरहा देखिये इस लिंक में -
भोजपुरी लोकगीत का भी अपना अलग महत्त्व है. जहां तक भोजपुरी साहित्य और काव्य
की बात है तो यह विधा भी अपना अलग स्थान बनाये हुए है. बहुत से कवि और साहित्यकार
ने मधुर शब्दों रचना करके भोजपुरी गरिमा बढाई है. देखा जाय तो भोजपुरी का इतिहास
हजारों साल पुराना है. चौरासी सिद्धों की कविता में भोजपुरी की क्रिया का रूप
मिलता है.
भोजपुरी लोकगायक व अभिनेता पवन सिंह स्टेज शो देखिये -
बाबा गोरखनाथ की कई कविता का वर्णन मिलता है उसके बाद कबीर दास की
बानी में विशाल रूप मिलता है. १९वीं सदी
में भोजपुरी में लिखने वाले निर्गुण संतों की बहुत लम्बी परम्परा है. धरमदास,
कमालदास, पलटू साहेब, लक्ष्मी सखी, दरिया साहेब, शिव नारायण, गुलाल साहेब आदि
संतों में भोजपुरी की अविरल धारा बह रही है.
भोजपुरी का लोकप्रिय विधा बिदेसिया का यह लोकप्रिय गीत देखिये नीचे दिए हुए लिंक में -
उन्नीसवीं सदी के
अंत से अब तक कई कवियों और रचनाकारों ने महाकाव्य से लेकर उपन्यास, कहानी, नाटक,
निबंध सहित कई साहित्य की रचना की है. भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी
ठाकुर के लोकगायन और विभिन्न समसामायिक घटनाओं पर नाटकों का भोजपुरी में बहुत ही
महत्त्वपूर्ण स्थान है. महेंद्र मिसिर और राहुल सांकृत्यायन से लेकर गोरख पाण्डेय
और प्रकाश उदय ने प्रसिद्ध रचना की है. राम नरेश त्रिपाठी, हीरालाल तिवारी और
कृष्णदेव उपाध्याय आदि लोक साहित्यकार की रचना भंडार अलग ही है. भोजपुरी सिनेमा में भी मशहूर रचनाकारों की रचना का बहुत ही लुभावन प्रयोग दर्शाया गया है.
www.bhojpurinama.com
www.bhojpurinama.com
No comments:
Post a Comment