भिखारी ठाकुर की पुण्य तिथि विशेष : भोजपुरी के पितामह भिखारी ठाकुर जिन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर भी कहा जाता है। उन्होंने भोजपुरी समाज को गीत संगीत के जरिये नया आयाम दिया। महान कवि, लोक गायक व अभिनेता भिखारी ठाकुर का १० जुलाई २०१५ को ४४वाँ पुण्य तिथि मनाई जा रही है। उनका जन्म १८ दिसम्बर सन १८८७ ई. को हुआ था तथा मृत्यु १० जुलाई सन १९७१ ई. को हुई थी। वे भोजपुरी के समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक, नारी विमर्श एवं दलित विमर्श के उद्घोषक, लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे। वे बहु आयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे भोजपुरी गीतों एवं नाटकों की रचना एवं अपने सामाजिक कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। वे एक ही साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे। भिखारी ठाकुर की मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपनेकाव्य और नाटक की भाषा बनाया। आज विश्व के कई देशों में उनका नाम ससम्मान आदर के साथ लिया जाता है।
जीवन परिचय : भिखारी ठाकुर का जन्म १८ दिसम्बर १८८७ को बिहार के सारन जिले के कुतुबपुर (दियारा) गाँव में एक नाई परिवार में हुआ था। उनके पिताजी का नाम दल सिंगार ठाकुर व माताजी का नाम शिवकली देवी था। वे जीविकोपार्जन के लिये गाँव छोड़कर खड़गपुर चले गये। वहाँ उन्होने काफी पैसा कमाया किन्तु वे अपने काम से संतुष्ट नहीं थे। रामलीला में उनका मन बस गया था। इसके बाद वे जगन्नाथ पुरी चले गये। अपने गाँव आकर उन्होने एक नृत्य मण्डली बनायी और रामलीला खेलने लगे। इसके साथ ही वे गाना गाते एवं सामाजिक कार्यों से भी जुड़े। इसके साथ ही उन्होने नाटक, गीत एवं पुस्तके लिखना भी आरम्भ कर दिया। उनकी पुस्तकों की भाषा बहुत सरल थी जिससे लोग बहुत आकृष्ट हुए। उनकी लिखी हुई किताबें वाराणसी, हावड़ा एवं छप रा से प्रकाशित हुईं। १० जुलाई सन १९७१ को चौरासी वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
- अन्य रचनाएँ : उनकी अन्य कई रचनाएँ शिव विवाह, भजन कीर्तन: राम, रामलीला गान, भजन कीर्तन: कृष्ण, माता भक्ति, आरती, बुढशाला के बयाँ, चौवर्ण पदवी, नाइ बहार, शंका समाधान, विविध आदि आज भी बेहद पसंद की जाती हैं।
- महान कवि, लोक गायक व अभिनेता भिखारी ठाकुर को ४४वाँ पुण्य तिथि कोटि कोटि नमन !!
No comments:
Post a Comment