विश्व प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि शंकर ने सम्पूर्ण भारत में ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों में भी अपनी अद्भुत संगीत कला को प्रस्तुत किया है। उन्होंने हिंदी सिनेमा के कई फिल्मों में भी बतौर संगीतकार कई गीतों के संगीत से सजाया है। प्रसिद्ध सितार वादक और संगीतज्ञ पंडित रवि शंकर का जन्म ७ अप्रैल १९२० ई० में बनारस, उत्तर प्रदेश में हुआ था । दुर्लभ संयोग वाली तिथि १२ दिसंबर २०१२ की सुबह भारत देश के लिये दुखद समाचार लेकर आई. भारत के संगीत राजदूत पंडित रविशंकर का अमेरिका के सैन डिएगो में निधन हो गया। उस समय वो 92 साल के थे। उन्होंने भारतीय समयानुसार सुबह ४.४० मिनट पर अंतिम सांस ली। उन्होंने विश्व के कई मह्त्वपूर्ण संगीत उत्सवों में हिस्सा लिया है। पंडित रवि शंकर का युवावस्था यूरोप और भारत में अपने भाई उदय शंकर के नृत्य समूह के साथ दौरा करते हुए बीता है। उस समय उन्हें पहचान के साथ ही साथ बहुत कुछ सीखने को भी मिला। जिसके फलस्वरूप रवि शंकर ने संगीत जगत में कड़ी मेहनत और लगन से कामयाबी का परचम लहराया।
पंडित रवि शंकर का सजीव राग खमाज देखिये इस लिंक में -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/9xB_X9BOAOU/Ravi-Shankar-Anoushka-Shankar-Live-Raag-Khamaj-1997-
शिक्षा : भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा रविशंकर ने उस्ताद अल्लाऊद्दीन खाँ से प्राप्त की। वे अपने बड़े भाई उदयशंकर की तरह नृत्यकला की ऊंचाइयां छूना चाहते थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।अठारह साल की उम्र में पंडित जी ने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू कर दिया। पं. रविशंकर उस्ताद अलाउद्दीन खां से सितार की दीक्षा लेने मैहर, मध्य प्रदेश पहुंचे और खुद को उनकी सेवा में समर्पित कर दिया।
उन्होंने अपनी प्रतिभा से गुरु का नाम विश्वभर में ऊंचा किया। सितार और पं. रविशंकर एक-दूसरे के पर्याय बन गए। युवावस्था यूरोप और भारत में अपने भाई उदय शंकर के नृत्य समूह के साथ दौरा करने के अलावा रविशंकर ने सन 1938 से 1944 तक सितार का गहन अध्ययन किया। सितार वादन की बारीकियाँ सीखने के बाद फिर स्वतंत्र तौर से काम करने लगे।
पंडित रवि शंकर का विदेश में राग अल्हैया का शो देखिये इस लिंक को ओपन करके -
उन्होंने अपनी प्रतिभा से गुरु का नाम विश्वभर में ऊंचा किया। सितार और पं. रविशंकर एक-दूसरे के पर्याय बन गए। युवावस्था यूरोप और भारत में अपने भाई उदय शंकर के नृत्य समूह के साथ दौरा करने के अलावा रविशंकर ने सन 1938 से 1944 तक सितार का गहन अध्ययन किया। सितार वादन की बारीकियाँ सीखने के बाद फिर स्वतंत्र तौर से काम करने लगे।
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जीवन परिचय : संगीत के क्षेत्र करियर बनाने बाद में उनका विवाह भी उस्ताद अल्लाऊद्दीन खाँ की बेटी अन्नपूर्णा से हुआ था। उनके परिवार में एक पुत्र शुभेन्दु शंकर, दो पुत्रियाँ अनुष्का शंकर एवं नोरोह जोन्स हैं। उनकी पहली शादी गुरु अलाउद्दीन खां की बेटी अन्नपूर्णा से हुई। बाद में उनका तलाक हो गया। उनकी दूसरी शादी सुकन्या से हुई, जिनसे उनकी एक संतान है। इसके अलावा उनका संबंध एक अमेरिकी महिला सू जोन्स से भी रहा, जिनसे उनकी एक बेटी नोरा जोन्स हैं।
उन्होंने सू से शादी नहीं की। पंडितजी की दोनों बेटियां अनुष्का शंकर औऱ नोरोह जोन्स, पंडितजी की संगीत विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। पंडित रविशंकर को मैगसैसे, तीन ग्रैमी अवॉर्ड सहित देश-विदेश के न जाने कितने पुरस्कार मिले। १९८६ से १९९२ तक वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/mQdScf6wF3k/Pandit-Ravi-Shankar-Monument-of-Strings-Hindustani-Classical-Audio-Jukebox-Sitar
संगीत के क्षेत्र में करियर बनाने के बाद पंडित रवि शंकर ने सत्यजीत रे की फिल्मों में संगीत भी दिया। १९४९ से १९५६ तक उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में बतौर संगीत निर्देशक काम किया। १९६० के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरु किये और येहूदी मेन्यूहिन व बिटल्स ग्रूप के जॉर्ज हैरिशन जैसे लोगों के साथ काम करके अपनी खास पहचान बनाई। उनकी बेटी अनुष्का शंकर सितार वादक हैं तो दूसरी बेटी नोरोह जोन्स भी शीर्षस्थ गायिकाओं में शुमार की जाती हैं। पंडित रवि शंकर को सन् १९९९ ई० में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। रवि शंकर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन् १९६७ ई० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
भारतीय संगीत को दुनिया भर में सम्मान दिलाने वाले भारत रत्न और पद्मविभूषण से नवाजे गये पंडित रविशंकर को तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उन्होंने भारतीय और पाश्चात्य संगीत के संलयन में भी बड़ी भूमिका निभाई। उन्हें पूरी दुनिया में शास्त्रीय संगीत में भारत का दूत माना जाता था। उनके परिवार में पत्नी अन्नपूर्णा देवी तथा पुत्र शुभेन्दु शंकर संगीतकार के रूप जाने जाते हैं।
भारत रत्न पंडित रवि शंकर का सितार वादन देखिये इस लिंक में -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/rmOIh1lqWzc/Ravi-Shankar-Sitarभारतीय संगीत को दुनिया भर में सम्मान दिलाने वाले भारत रत्न और पद्मविभूषण से नवाजे गये पंडित रविशंकर को तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उन्होंने भारतीय और पाश्चात्य संगीत के संलयन में भी बड़ी भूमिका निभाई। उन्हें पूरी दुनिया में शास्त्रीय संगीत में भारत का दूत माना जाता था। उनके परिवार में पत्नी अन्नपूर्णा देवी तथा पुत्र शुभेन्दु शंकर संगीतकार के रूप जाने जाते हैं।
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