हमारे हिंदू धर्म मे भगवान "हनुमान जी" सबसे अधिक लोकप्रिय देवता
हैं। हनुमान के जन्म-दिन के रूप में हनुमान जयंती सारे विश्व भर में मनाई जाती है।
हनुमान जी चिरंजीवी हैं, जिनको अमरत्व का वरदान प्राप्त है। भगवान राम भक्त हनुमान जी शक्ति और अप्रतिम निष्ठा
तथा निःस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। हिंदू कैलेण्डर के
अनुसार यह चैत्र की पूर्णिमा मार्च-अप्रैल को मनाई जाती है। इस साल 2015
में हनुमान जयंती की
तारीख़ 4 अप्रैल है। ऐसा माना जाता
है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को ही श्री राम भक्त हनुमान जी ने माता अंजनी जी के गर्भ से जन्म लिया था। वे भगवान राम के महानतम भक्त
हैं। वह ब्रह्मचारी हैं और विन्रमता उनका चिह्न है। एक महान् भक्त और असाधारण
ब्रह्मचारी थे। विन्रम,वीर और बुद्धिमान थे। वे सभी दैवी गुणों से संपन्न थे। उन्होने बिना किसी फल की
अपेक्षा किये हुये विशुद्ध प्रेम और निष्ठा के साथ राम की सेवा की। वे एक आदर्श निःस्वार्थ
कार्यकर्ता थे, वह एक सच्चे कर्म-योगी थे जिन्होने इच्छा रहित होकर सक्रियरूप से काम किया।
देखिये इस लिंक में हनुमान जी भजन -
हनुमान जयंती के दिन भक्तजन हनुमान की मूर्ति
पर सिंदूर लगाते हैं। इसके पीछे एक बहुत लोकप्रिय कथा है। एक बार सीता जी अपने
माथे पर सिंदूर लगा रही थीं, हनुमान ने उसके महत्व के बारे में पूछा। सीता जी ने कहा
कि इससे उनके पति "भगवान राम" की दीर्घ आयु सुनिश्चित होगी। यह सुनकर हनुमान
जी ने अपने
भगवान की अमरता की प्रार्थना करते हुये अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। वे जब
श्री राम जी के सामने
आये तो श्री राम जी ने पूरे शरीर पर सिन्दूर लगाने का कारण जाने के बाद और हनुमान जी
की भक्ति देखकर
भगवान राम बहुत प्रसन्न प्रसन्न हुए। श्री राम जी ने आशीर्वाद
दिया कि जो भी हनुमान के शरीर पर सिंदूर लगायेगा उसे मेरी प्रेम
भरी निष्ठा मिलेगी और मैं उस भक्त से खुश होउंगा। हनुमान जयंती के दिन हनुमान की विशेष पूजा-आराधना की जाती है तथा व्रत किया जाता है। सिन्दूर चढ़ाकर हनुमान जी का विशेष श्रृंगार किया जाता है तथा पान
चढ़ाया जाता है। लोग दर्शन के लिये हनुमान मंदिर जाते है और मूर्ति का सिंदूर अपने
माथे के ऊपर लगाते हैं। भक्तजन हनुमान चालीसा का पाठ करते है, हनुमान जी की आरती के विशेष
आयोजन करते हैं और भगवान राम के नाम का जाप करते हैं। माना जाता है कि इससे उन्हे सौभाग्य प्राप्त होगा। लोगों मे
प्रसाद बाँटा जाता है।
हनुमान जी के बारे में एक कथा प्रचलित है कि बल्यकाल में भूखे होने के कारण हनुमान जी उदय होते हुए सूर्य को फल समझकर आकाश में उनके समीप चले गए। उस दिन पर्व तिथि होने से सूर्य को ग्रसने के लिए राहु आ रहे थे परन्तु हनुमान जी को देखकर राहु ने उन्हें दूसरा राहु समझकर भागने लगे। तब इन्द्र ने अंजनीपुत्र पर वज्र का प्रहार किया। इससे उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा।
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