धनतेरस का महत्त्व : हिन्दी महीना में कार्तिक मास का बहुत ही महत्त्व है। इस माह में कई हिन्दू पर्व करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज एवं छठपूजा आदि मनाने के साथ ही साथ शुभ कार्य का शुभारम्भ हो जाता है। इसी कार्तिक मास के त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस पूजा की जाती है।
समुन्द्र मंथन के समय आयुर्वेद के जनक भगवान धनवन्तरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। देवी लक्ष्मी भी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी देवी लक्ष्मी हालांकि की धन देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए क्योंकि मनुष्य सच्चा धन उसका स्वास्थ होता है। यही कारण है दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजाकर पूजा की जाती है।
धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। लोगों का यह मानना है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं ताकि पूरे वर्ष तक बरक्कत होती रहे ।
हिन्दू समाज मे धनतेरस सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर और आयूर्वेद के देव धन्वन्तरी की पूजा का बड़ा महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला यह महापर्व को इस साल 2014 में 21 अक्टूबर को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा।
धनतेरस पूजा विधि देखिये इस लिंक में -
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/gaJPXrrwnSU/Dhanteras-Puja-Vidhi---How-to-do-Dhanteras-Puja-on-Diwali-Festival-for-Good-Health%252C-Wealth
नयी वस्तुओं को खरीदने की परम्परा : धनतेरस के दिन नयी वस्तुओं खरीदना शुभ माना जाता है। समुन्द्र मंथन में जब धन्वन्तरी जी प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। पीतल के बर्तन खरीदना विशेषकर शुभ माना जाता है। इस दिन घरों को साफ़-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।
http://www.bhojpurinama.com/trendsplay/4uvHaEjPwdA/vaibhav-lakshmi-vratha-pooja-by-KANAPARTHI-PADMA
धनतेरस के दिन यमराज की पूजा : प्राचीन काल में धनतेरस के ही दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र के प्राण की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था। यमराज को जीवन दान देना पड़ा था। इसी वजह से दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सांयकाल को यमदेव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है और अकाल मृत्यु छुटकारा मिलती है।
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