Friday, 28 November 2014

भोजपुरी जगत में तीन सितारों का उदय : जान लेबू का हो, सेटिंगबाज़ और लाल दुपट्टा वाली का बिहार में प्रदर्शन

आज शुक्रवार (२८ / ११ / २०१४ ) को भोजपुरिया बॉक्स ऑफिस पर तीन भोजपुरी फिल्म - जान लेबू का हो, सेटिंगबाज़ और लाल दुपट्टा वाली का प्रदर्शन किया गया है। खास बात यह है कि "जहां जान लेबू का हो" के नायक सुपर स्टार पवन सिंह हैं वहीं दूसरे नायक गौरव झा इस फिल्म से भोजपुरी सिनेमा में पदार्पण कर रहे हैं। इसके साथ दोनो फिल्मों से भी दो नए सितारे भी आगमन कर रहे हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि तीनों ही फिल्मो की खासियत है कि इन  तीनों  फिल्मो से तीन नए अभिनेता का उदय हो रहा है।

१ - फिल्म : "जान लेबू का हो" :- इस फिल्म में सुपर स्टार पवन सिंह के साथ उड़िया फिल्मों में स्टारडम हासिल कर चुके "गौरव झा'' का पदार्पण हुआ है। इस फिल्म में मुख्य नायिका मोनालिसा हैं। मिथिला टाकिज के बैनर से निर्मित  निर्माता मनोज कुमार चौधरी की भोजपुरी फिल्म "इज्ज़त" के बाद यह दूसरी भोजपुरी  फिल्म " जान लेबू का हो" है।  राजू के निर्देशन में बने वाला एह फिल्म में मुख्य किरदार में पवन सिंह, गौैरव झा, मोनालिसा, बृजेश त्रिपाठी, मनोज टाइगर सहित कई नामी कलाकार हैं। फिल्म में सीमा सिंह का  आइटम नंबर भी धमाकेदार है। 

भोजपुरी फिल्म "इज्ज़त" का ट्रेलर देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/trailer-of-movie-diler




२ - फिल्म : "सेटिंगबाज़" :-   इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे "राहुल सिंह" महुआ टीवी के शो लाफ्टर एक्सप्रेस के विजेता और ज़ी पुरवैया के शो गजब है के एंकर रह चुके हैं,  इसके अलावा उन्होंने कई धारावाहिको में काम भी किया है। फिल्म में उनके अपोजिट हैं अपूर्वा बीट। फिल्म के अन्य प्रमुख कलाकारों में मनोज टाइगर , बब्बन यादव, प्रकाश जैस, नैना दास , संगीता सिंह, रूपा सिंह , ज़फर खान , साहेब लालधारी, समर्थ चतुर्वेदी और सपना सप्पू आदि हैं। 









देखिये इस लिंक को ओपन करके सेटिंगबाज़ का ट्रेलर

३ - फिल्म : "लाल दुपट्टा वाली" :- इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं "रोहित सिंह" जबकि उनके अपोजिट हैं भोजपुरी फिल्मो की हॉट केक कही जाने वाली अंजना सिंह। निर्देशक शैलेश रमाकांत पाण्डेय ने अभिनेता रोहित सिंह की तारीफ़ करते हुए कहा की उन्होंने अपने अभिनय से यह साबित किया है की उन्होंने फिल्म से पहले काफी तैयारी की थी क्योंकि उनका अभिनय दर्शाता है की वह एक परिपक्व अभिनेता है। फिल्म के अन्य प्रमुख कलाकारों में कुणाल सिंह, संजय पाण्डेय, अयाज़ खान आदि हैं।



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Tuesday, 25 November 2014

कथक नृत्यांगना "सितारा देवी" हमारे बीच नहीं रहीं

हम सभी के दिल में अमर हैं हैं कथक क्वीन सितारा देवी :  सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सितारा देवी का निधन 15 नवम्बर को हो गया। वे 94 वर्ष की थीं। मुंबई के जसलोक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सीतारा देवी का जन्म सन 1920 में 8 नवंबर को ब्राह्मण कथक नर्तक सुखदेव महाराज के घर दीपावली की पूर्वसंध्या पर कोलकाता में हुआ था। उनका बचपन का नाम धनलक्ष्मी था। 16 साल की उम्र में उनकी नृत्य प्रतिभा देखकर रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘नृत्य साम्राज्ञी’ कहा था। कथक क्वीन के नाम से मशहूर सितारा देवी ने भारत सहित अमेरिका और ब्रिटेन के कई शहरों में भी प्रस्तुति दी।
मां-बाप के लाड-दुलार से वंचित होना पड़ा था : इनका मूल नाम धनलक्ष्मी और घर में धन्नो था। इनको बचपन में मां-बाप के लाड-दुलार से वंचित होना पड़ा था। मुंह टेढ़ा होने के कारण भयभीत मां-बाप ने उसे एक दाई को सौंप दिया जिसने आठ साल की उम्र तक उसका पालन-पोषण किया। इसके बाद ही सितारा देवी अपने मां बाप को देख पाईं। 




बाल विवाह : उस समय की परम्परा के अनुसार सितारा देवी का विवाह आठ वर्ष की उम्र में हो गया। उनके ससुराल वाले चाहते थे कि वह घरबार संभालें लेकिन वह स्कूल में पढना चाहती थीं। स्कूल जाने के लिए जिद पकड लेने पर उनका विवाह टूट गया और उन्हें कामछगढ हाई स्कूल में दाखिल कराया गया। वहां उन्होंने मौके पर ही नृत्य का उत्कृष्ट प्रदर्शन करके सत्यवान और सावित्री की पौराणिक कहानी पर आधारित एक नृत्य नाटिका में भूमिका प्राप्त करने के साथ ही अपने साथी कलाकारों को नृत्य सिखाने का उत्तरदायित्व भी प्राप्त कर लिया। बाद में उनकी दो शादियां (पहली मुगल-ए-आजम फेम के. आसिफ और दूसरी प्रताप बारोट से ) हुईं, लेकिन दोनों ही नहीं चलीं। दूसरी शादी से उनका एक बेटा रंजीत बारोट है।

बाल्यकाल अवस्था में फिल्म ‘उषाहरण’ में काम : बाल्यकाल अवस्था महज 12-13 साल की उम्र में फिल्मकार निरंजन शर्मा के अनुरोध पर पिता ने ना चाहते हुए भी सितारा को मां और बुआ के साथ फिल्म ‘उषाहरण’ में काम करने मुंबई भेज दिया. इस फिल्म में उन्होंने एक बाल नृत्यांगना की भूमिका निभायी थी। 





सितारा देवी ने और भी कई फिल्मों में भी काम किया : सितारा देवी ने और भी कई फिल्मों में भी काम किया है। उनकी फिल्मों में शहर का जादू (1934), जजमेंट आफ अल्लाह (1935), नगीना, बागबान, वतन (1938), मेरी आंखें (1939) होली, पागल, स्वामी (1941), रोटी (1942), चांद (1944), लेख (1949), हलचल (1950) और मदर इंडिया (1957) प्रमुख हैं।




बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया : इन्होंने तीन घंटे के एकल गायन से नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को प्रभावित किया था। सितारा देवी ने बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण दिया है। मधुबाला, रेखा, माला सिन्हा और काजोल जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की है। 


पद्म श्री सम्मान : 1973 में सितारा देवी को पद्म श्री सम्मान मिला था जिसे इन्होंने  ठुकरा दिया था। कहा कि क्या सरकार मेरे योगदान को नहीं जानती है। ये मेरे लिये सम्मान नहीं अपमान है। मैं भारत रत्न से कम नहीं लूंगी। वे संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री और कालिदास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान पा लिया था। सितारा देवी के बेटे विदेश में रहते है, बेटे के लौटने के बाद मुंबई में ही गुरूवार को सितारा देवी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। बॉलीवुड में कथक नृत्य कला को लाने का श्रेय इन्‍हीं को जाता हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें और स्वर्ग में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त हो।



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Friday, 21 November 2014

अस्सी और नब्बे के दशक की सुपर हिट भोजपुरी फिल्में


३० करोड़ से ज्यादा जनसंख्या में बोली जाने वाली भोजपुरी बोली की भोजपुरी फिल्मों का वह दौर याद करके बहुत ही सुखद एहसास होता है. भोजपुरी सिनेमा का पहला और दूसरा दौर ऐतिहासिक और बहुत ही रोचक है. अब तक हमने जाना पहले  और दूसरे दौर की कैसे शुरुआत हुई तथा क्या इतिहास रहा. आईये जानते हैं अस्सी और नब्बे के दशक की सुपर हिट भोजपुरी फिल्मों का इतिहास –



अस्सी के दशक की सुपर हिट भोजपुरी फिल्में - धरती मईया १९८१, चनवा के ताके चकोर १९८१, सईयाँ मगन पहलवानी में १९८१, सईयाँ तोरे कारन १९८१, नदिया के पार १९८२, हमार भौजी १९८३, बैरी कँगना १९८३, चुटकी भर सेनुर १९८३, गंगा किनारे मोरा गाँव १९८४, पान खाये सईयाँ हमार १९८४, पिया के गाँव १९८५, दूल्हा गंगा पार के १९८६, रूस गइलें सईयाँ हमार १९८८, माई १९८९,  आदि प्रदर्शित की गई। 

भोजपुरी फिल्म गंगा किनारे मोरा गाँव का एक गीत इस लिंक में - 
http://bhojpurinama.com/video/kahe-ke-ta-sab-kehu-aapan-song-of-bhojpuri-movie-ganga-kinare-mora-gaon-


नब्बे के दशक की सुपर हिट भोजपुरी फिल्में –  बिहारी बाबू, गोदना, पिया टूटे ना पिरितिया हमार, बलमा मोरा बाँका, बाबा के दुआरी, कसम गंगाजल के, कजरी, हमार बेटवा, कईसन बनाउला संसार, गंगा से नाता बा हमार, गंगा मईया भर द गोदिया हमार, धनिया मुनिया, रंगली चुनरिया रंग में तोहार, बबुनी, चंपा चमेली, हमार सजना, मुनिया, प्यारा भईया, गंगा तोरी ममता महान, जग जिया मोरे लाल इत्यादि दर्शकों के बीच आई। 


बलमा मोरा बाँका का गीत देखिये इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/old-classic-song-zhumi-zhumi-zhumaka-goriya-from-bhojpuri-movie-balama-mora-baka


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Tuesday, 18 November 2014

भोजपुरी सिनेमा का दूसरा दौर : रंगीन फिल्मों का स्वर्णिम काल

भोजपुरी सिनेमा का प्रथम दौर श्वेत/श्याम फिल्मों का रहा है। जोकि भोजपुरी सिनेमा जगत के बहुत महत्वपूर्ण दौर रहा। दूसरा दौर रंगीन भोजपुरी फिल्म - बलम परदेसिया (१९७९) के निर्माण से शुरू होकर भोजपुरी सिने जगत  में क्रांति की लहर पैदा हो गई। अस्सी  और नब्बे का दशक भोजपुरी  फिल्मों के लिए सुनहरा दौर था। अत्यधिक तादाद में फिल्में बनती रही और सुपर डुपर हिट भी होती रहीं। सन  १९८१ में  अशोक चन्द जैन निर्मित  कमर नार्वी निर्देशित फिल्म - धरती मईया प्रदर्शित की गई। इस फिल्म से भोजपुरी सिनेमा  पहले सुपर स्टार कुणाल सिंह (यादव) का पदार्पण हुआ। इस फिल्म के कलाकार  पदमा खन्ना, कुणाल सिंह, गौरी खुराना, श्री गोपाल तथा मेहमान भूमिका में राकेश पाण्डेय थे। लक्ष्मण शाहाबादी के लिखे गीतों को संगीत  दिया था चित्रगुप्त ने। 

इस फिल्म के गीत आज बहुत ही कर्णप्रिय है देखिए इस लिंक में - 
http://www.bhojpurinama.com/video/jaldi-jaldi-chala-re-kanhara-song-of-bhojpuri-movie-dharti-maiya-


सन १९८२ में राजश्री प्रोडक्शंन के बैनर तले केशव प्रसाद मिश्र  के उपन्यास 'कोहबर की शर्त' पर आधारित फिल्म 'नदिया के पार' प्रदर्शित गई।  जो  काफी सराही गयी और सफलता के कीर्तिमान भी रचा। फिल्म के लेखक व निर्देशक गोविन्द मुनीस थे। यह  फिल्म सभी तरह के लोगो को पसंद आई। इस फिल्म मुख्य कलाकार सचिन, साधना सिंह, इन्दर ठाकुर, मिताली, सविता बज़ाज़, शीला डेविड, लीला मिश्रा, सोनी राठौड़ थे।
इस ऐतिहासिक हिट फ़िल्म का  हिन्दी  वर्जन में सन १९९२ में हम आपके हैं कौन के नाम से  निर्माण राजश्री प्रोडक्शन ने किया। जिसके मुख्य कलाकार सलमान खान, माधुरी दीक्षित, मोहनीश बहल, रेणुका शहाणे, अलोक नाथ, अनुपम खेर,  रीमा लागु आदि थे।  यह फिल्म भी सुपर हिट रही।

देखिये इस लिंक में - आज भी सुपर हिट गीत कवने दिशा में लेके चला रे बटोहिया 
http://bhojpurinama.com/video/kaun-disa-mein-song-of-film-nadiya-ke-paar



उस दौर  में कई फिल्में सुपर हिट रही और सभी हिट फिल्मों के हीरो कुणाल सिंह हुआ करते थे। गंगा किनारे मोरा गाँव, बैरी कंगना, पिया टूटे ना पिरितिया हमार आदि बहुत सी भोजपुरी फिल्में आज भी हिट हैं।


भोजपुरी फिल्म गंगा किनारे मोरा गाँव का एक गीत इस लिंक में - 


नोट : अगले ब्लॉग में अस्सी के दशक की सुपर हिट फिल्मों का इतिहास विस्तृत रूप में दिया जायेगा। 






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Friday, 14 November 2014

भोजपुरी सिनेमा की पहली रंगीन भोजपुरी फिल्म : "बलम परदेसिया''

भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में जितना ही खखोलेंगे उतना ही सीखने को मिलता है। पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मईया तोहे पियरी चढईबो से श्याम/श्वेत फिल्मों का निर्माण होना शुरू हुआ और कई श्याम श्वेत फिल्मों का निर्माण किया गया।  सन १९७९ में पहली रंगीन भोजपुरी फिल्म बलम परदेसिया का प्रदर्शन हुआ। 

पहली रंगीन भोजपुरी फिल्म बलम परदेसिया का एक गीत देखिये इस लिंक में - 
http://bhojpurinama.com/video/chadhte-faagun-jiara-jari-gaile-re-song-of-bhojpuri-movie-balam-pardesia-



भोजपुरी सिनेमा के निर्माण की शुरुआत सन १९६१ से आरम्भ होने से सन १९७८ तक कई श्याम/श्वेत फिल्में बनाई गई और दिन व दिन दर्शकों की  तादाद बढ़ती गई जिससे सिनेमा के व्यवसाय को अधिक लाभ मिलने लगा।  और फिर सन १९७९ में पहली रंगीन भोजपुरी फिल्म का निर्माण किया गया। फिल्म नाम रखा गया "बलम परदेसिया''। 

बलम परदेसिया का गीत देखिये  में - 
http://bhojpurinama.com/trendsplay/K2K3uIbqsX4/Hansi-Ke-Je-Dekha-Tu-Ek-Beriya-Balam-Pardesia-Bhojpuri-Song

इस फिल्म से हिमांचल प्रदेश के मूल निवासी राकेश पाण्डेय का बतौर नायक भोजपुरी सिनेमा में पदार्पण हुआ। राकेश पाण्डेय ने इसके पहले कई हिंदी धारावाहिक और हिंदी सिनेमा में अभिनय कर अपनी अलग पहचान बना लिए थे। इस फिल्म "बलम परदेसिया'' में उनकी नायिका थी पदमा खन्ना जिन्होंने हिंदी सिनेमा में खूब नाम कमाया था। मुख्य साथी कलाकार में सबसे आगे नज़ीर हुसैन, लीला  और जयश्री टी  का नाम आता है। इस फिल्म के निर्देशक भी स्वयं नज़ीर हुसैन थे तथा निर्मात्री थीं मुमताज़ हुसैन और संगीत तैयार किया था चित्रगुप्त ने। सभी के सभी गाने आज भी बहुत ही कर्णप्रिय हैं। 


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Tuesday, 11 November 2014

भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत श्याम श्वेत फिल्म से

भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत श्याम श्वेत फिल्म से : भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आज भोजपुरी सिनेमा ने बिना किसी अनुदान अथवा सहयोग के गौरवशाली 50 साल पूर्ण करने के बाद अब सौ वर्ष की तरफ गर्व के साथ अग्रसर है। पहली भोजपुरी फिल्म - गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो के निर्माण काल से अब तक भोजपुरी सिनेमा बहुत बदलाव हुआ है और आगे भी बहुत कुछ परिवर्तन देखेगा। आज हम चर्चा कर रहे हैं भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म के निर्माण से श्याम-श्वेत (Black & White) फिल्मों के बारे में -
सबसे पहले हम नमन करते हैं उन महान हस्तियों को जिन्होंने भोजपुरी सिनेमा की उत्पत्ति की और आज उन्हीं की देन है जो हम सभी भोजपुरी सिनेमा से जुड़े हुए हैं। जब देश विदेश भोजपुरी बोली की बात होती है तो वहाँ भोजपुरी सिनेमा का भी जिक्र ज़रूर किया जाता है। 


देखिये भोजपुरी सिनेमा का एक गीत इस लिंक में -


पहली  भोजपुरी फिल्‍म का  निर्माण : जनवरी 1961 का वह ऐतिहासिक समय जब पहली  भोजपुरी फिल्‍म के निर्माण की आरंभिक तैयारियां नजीर हुसैन के मार्गदर्शन में शुरू हुई। फिल्‍म का नाम रखा गया  “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो”। असीम कुमार, बच्‍चालाल पटेल, रामायण तिवारी और  भगवान सिन्‍हा जैसे हिन्दी सिनेमा  से जुड़े हुए भोजपुरीभाषियों के  अथक परिश्रम और आपसी सहयोग फिल्म निर्माण कार्य आरम्भ किया गया। उत्तर भारतीय फिल्‍मकर्मियों की एक सूची तैयार कर कलाकारों और तकनीशियनों का चयन किया गया। बतौर निर्देशक कुंदन कुमार का भी चयन किया गया और लेखक नजीर हुसैन की कहानी पर विश्वनाथ शाहाबादी और कुंदन कुमार ने तुरंत ही शूटिंग शुरू कर देने का फैसला कर लिया। 16 फरवरी 1962 को पटना के ऐतिहासिक शहीद स्‍मारक पर फिल्‍म का मुहूर्त समारोह संपन्‍न हुआ और अगले दिन से शूटिंग शुरू हो गयी। फिल्‍म से संबंधित सारे लोगों ने समर्पण की भावना के साथ अपना-अपना योगदान दिया। “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो” की पूरी टीम के अथक परिश्रम और लगन से फिल्म का निर्माण पूर्ण किया गया और वह स्वर्णिम दिन भी आया जब सन 1962 वर्षांत में प्रथम भोजपुरी फिल्म का पहला प्रदर्शन बनारस के प्रकाश टॉकीज की गई। लोगों में यह फिल्म देखने की ललक ऐसी जगी कि दूर-दराज़ गॉव से भी लोग ट्रैक्टर अथवा बैलगाड़ी से खानी-पीना साथ लेकर फिल्म देखने आने लगे।

भोजपुरी फिल्म एक गीत इस लिंक में - 


प्रथम फिल्मकी सफलता और अन्य फिल्मों का निर्माण : इस फिल्म की सफलता से भोजपुरी सिनेमा के निर्माण में फिल्म निर्माता रूचि लेने लगे। हालांकि उस समय रंगीन फिल्मों की जगह  श्याम-श्वेत (Black & White) फिल्मों निर्माण किया जाता था। भोजपुरी भाषी इलाकों में व्‍याप्‍त दहेज, बेमेल विवाह, नशेबाजी, सामंती संस्‍कारों तथा अंधविश्‍वासी परंपराओं से उत्‍पन्‍न सामाजिक समस्‍याओं पर आधारित भोजपुरी  फिल्म दर्शकों को यह महज फिल्‍म नहीं बल्कि अपनी ही जिंदगी की अनकही कहानी लगती थी। 
पहले की भोजपुरी फिल्म -  बिदेसिया का गीत देखिये  इस लिंक में - 
उस समय गंगा मईया तोहे पियरी चढईबो (1962), लागी नाही छूटे रामा (1963), बिदेसिया (1963), गंगा (1965), भौजी (1965), लोहा सिंह (1966), ढेर चलाकी जिनकरा (1971), डाकू रानी गंगा (1976), अमर सुहागिन (1978) इत्यादि श्याम-श्वेत भोजपुरी फिल्मों का निर्माण किया गया।

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Tuesday, 4 November 2014

भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म : गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो


फिल्में मनोरंजन ही नहीं अपितु जन जागरण का भी एक सशक्त माध्यम हैं।हमारे देश में हिन्दी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्मों का निर्माण हुआ है और हो रहा है, हालांकि हिन्दी फिल्मों का निर्माण जिस तरह हो रहा है उस तरह इलेक्ट्रॉनिक यन्त्रों का प्रचलन बढ़ा है तब से सिनेमाघर लगातार बन्द होने लगे हैं और दर्शक बड़े पर्दे पर फिल्में न देखकर घर के छोटे कमरे में बैठकर उनकाआनन्द उठाते हैं। फिल्म एक ऐसा माध्यम है जो जिस भाषा में बनती है उसी क्षेत्रकी संस्कृति को दर्शाती है। सभ्यता, संस्कृति और परम्पराओं के अलावा फिल्मोंमें मनोरंजन हेतु गीत गाने स्टंट (मारधाड़) आदि का चित्रांकन पटकथा के अनुसार किया जाता है। भोजपुरी भाषा को पुरबिया भाषा कहते हैं, जो उत्तर प्रदेशके पूर्वांचल से शुरू होकर बिहार, झारखण्ड आदि प्रदेशों में बोली जाती है। प्रदेश के पूर्वांचल गोरखपुर, बलिया, देवरिया, गाजीपुर, मऊ, वाराणसी, चन्दौली, जौनपुर, आजमगढ़ जिलों सहित बिहार, झारखण्ड प्रान्तों में भोजपुरी भाषा बोली जाती है।

देखिये भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म : गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो का एक गीत इस लिंक में -
http://bhojpurinama.com/video/jaldi-jaldi-chala-re-kanhara-song-of-bhojpuri-movie-dharti-maiya-

वर्तमान समय से दो दशक पूर्व सिनेमा घरों में ‘हाउस फुल’ का बोर्ड लटकता देखा जाता था अब वह बात नहीं है। एक जमाना था जब फिल्मों को सिनेमाघरों में देखने के लिए अपार भीड़ उमड़तीथी। हिन्दी फिल्मों का जमाना था बीच में 60- 70 के बीच भोजपुरी फिल्मों की धूम थी। ये क्षेत्रीय भाषा की फिल्में मनोरंजन से भरपूर हुआ करती थीं। बहुत कम ही हिन्दी भाषी लोग जानते होंगे कि भोजपुरी भाषा में फिल्मों का निर्माण कब और किसकी प्रेरणा से शुरू हुआ। तो आप भी जानें कि भोजपुरी फिल्मों के निर्माण की प्रेरणा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने दी थी। उनकी प्रेरणा का असर गाजीपुर निवासी मुम्बई में फिल्म अभिनेता नाजिर हुसैन और झरिया -धनबाद की कोयला खदान के मालिक विश्वनाथ शाहाबादी पर पड़ा और इन दोनों के प्रयास से प्रथम भोजपुरी फिल्म का निर्माण हुआ। पहली भोजपुरी फिल्म का नाम था ‘‘गंगा मइया तोहे पियरीचढ़इबो’’ इसके निर्माता विश्वनाथ शाहाबादी, निर्देशक कुन्दन कुमार, गीतकार शैलेन्द्र, संगीतकार चित्रगुप्त नायक असीम कुमार और नायिका कुमकुम थे। इस फिल्म का मुहुर्त पटना में हुआ और प्रथम प्रदर्शन वाराणसी के प्रकाशसिनेमाहाल में हुआ था। 

गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो का एक गीत इस लिंक में - 


हम अपने पाठकों की जानकारी के लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं भोजपुरी फिल्मों के निर्माणके 50 वर्ष पूरे होने पर एक रिपोर्ट- दैनिक जागरण गोरखपुर संस्करण में सहायक संपादक के पद पर कार्यरत धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय की दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट पढ़ा जिसमें उन्होंने भोजपुर सिनेमा के 50 वर्ष पूरे होने का जिक्र किया था और उसमें दी गई जानकारी भी काफी रोचक लगी। धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय से सम्पर्क कर उनसे उक्त रिपोर्ट को रेनबो न्यूज के लिए मांगा गया, फिर भी आलेख नहीं मिल पाया। सोचा गया कि क्यों न इसे अपने ढंग से पाठकों की जानकारी केलिए प्रकाशित किया जाए। यहाँ प्रस्तुत है भोजपुरी सिनेमा के 50 साल पूरे होने से सम्बन्धित रोचक जानकारी।
पाण्डेय के रिपोर्ट अनुसार देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने भोजपुर फिल्म बनाने की प्रेरणा दिया था। परिणाम स्वरूप 16 फरवरी1961 में ‘‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’’ नामक भोजपुरी फिल्म का निर्माण शुरू हुआ जो अपने प्रदर्शन उपरान्त सुपर हिट हुई। इस फिल्म के बाद भोजपुरी फिल्म निर्माण का दौर चल पड़ा। उक्त रिपोर्ट के अनुसार 1950 के उत्तरार्ध में मुम्बई में एक फिल्म एवार्ड का आयोजन हुआ, जिसमें डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद मुख्य अतिथि थें। इसी कार्यक्रम में उ0प्र0 के गाजीपुर जिले के निवासी और बालीवुड फिल्म अभिनेता नाजिर हुसैन की मुलाकात डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद से हुई। बातचीत के दौरान राजेन्द्र बाबू ने नाजिर हुसैन को भोजपुरी फिल्म बनाने का मशवरा दिया। डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद की बात से प्रभावित होकर फिल्म अभिनेता नाजिर हुसैन ने भोजपुरी फिल्म ‘‘गंगा मइया तोहें पियरी चढ़इबो’’ की पटकथा लिख डाली और निर्माता की तलाश शुरू कर दिया।

इसी दौरान नाजिर हुसैन ने कोयला खदान मालिक विश्वनाथ शाहाबादी से बात किया। विश्वनाथ शाहाबादी भी भोजपुरी बनाने को लेकर डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद से प्रेरित थें। शाहाबादी मुम्बई पहुँचे और दादर के प्रीतम होटल में ठहरें वहीं नाजिर हुसैन के साथ पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’’ के निर्माण की योजनाबनी। फिल्म के निर्देशक की जिम्मेदारी वाराणसी के कुन्दन कुमार को सौंपी गई। इस फिल्म में नायक असीमकुमार और नायिका कुमकुम थीं। इसके अलावा पद्मा खन्ना, रामायण तिवारी समेत कई कलाकारों का चयन हुआ।फिल्म में संगीत दिया था चित्रगुप्त नें और गीतकार थें शैलेन्द्र।
साभार : रीता विश्वकर्मा



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